नई दिल्ली। प्रधानमंत्री आवास योजना के मदद से दलित घर बनाते हैं, लेकिन घर बनने के कुछ समय के बाद वन विभाग कि भूमि की जमीन बताकर दलितों के घर पर बुलडोजर चला दिया जाता है। खबर है मध्य प्रदेश के सागर जिला की है। जहां जसराज ग्राम पंचायत के रेपुरा गांव में करीब 7 परिवार एक अलग टोला बनाकर रह रहे थे। लेकिन शायद इन परिवारों का वहां रहना वन विभाग को पसंद नहीं आया, और इन परिवारों के बने घर पर वन विभाग ने ये कहते हुए बुलडोजर चला दिया कि जिस जमीन पर उन्होंने घर बनाया वो जमीन वन विभाग की है और उनका घर अवैध है।
देखते-देखते इन परिवार के घरों को मलबे के ढेर में बदल दिया गया, और इससे भी चौंकाने वाली बात ये है कि इन सभी परिवारों ने ये घर प्रधानमंत्री आवास योजना के मदद से बनाया था। देश में बुलडोजर कुछ ज्यादा ही तेजी से चल रहा है, ये जहां भी चलता है लोग बेघर हो जाते है और शायद यही वजह है कि लोग अब बुलडोजर से भी डरने लगे हैं।
देश की जनता की यही विडंबना है। एक तरफ से सरकार उनसे कहती है कि हम तो आपके लिए ही हैं और दूसरी तरफ से उनकी रोजी-रोटी और आवास उनसे छीनती रहती है।
वन विभाग घर को तोड़ने के लिए इतनी उतावला था कि उसने उन परिवारों को घर से सामान निकालने देने तक का मौका नहीं दिया और दलितों के घरों को अतिक्रमण बताकर तोड़ दिया। किसी ने ये भी नहीं सोचा कि घर को तोड़ने के बाद इन परिवारों का क्या होगा। वो सभी दलित परिवार है ना कि कोई जमींदार या धन्ना सेठ की कोई दूसरा घर बना लेंगे।
वैसे भी इंसान अपनी जीवन में एक ही बार घर बना पाता है, और उसकी घर को कोई ताश के पत्तों कि तरह ढाह कर चला जाये। इससे ज्यादा बुरा उन परिवारों के साथ क्या हो सकता है। ये परिवार किसे दोषी माने, जिस सरकार ने घर बनाने के लिए पैसे दिये, या फिर उस आला अधिकारी को जिसके आंख में इन गरीबों का घर खटकने लग गया था।
किसी ने इन दलितों के घर को तोड़ने से पहले ये भी नहीं सोचा कि शरीर जला देने वाले इस गर्मी में ये परिवार वाले कहां जायेंगे। घर इंसान की बुनियादी जरूरत है और ऐसी भीषण गर्मी जैसी स्थिति से बचने के लिए ही तो घरों का सहारा चाहिए।
हालांकि इन परिवार वालों के लिए राहत भरी एक बात जरूर सामने आई। वे सरकार के खिलाफ लड़ाई में अकेले नहीं है। दलितों का घर ध्वस्त होने की खबर के बाद पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह इन परिवारों के लिए मुआवजे की मांग करते हुए घटनास्थल पर धरने पर बैठ गए। दिग्विजय सिंह की मांग है कि सरकार इन्हें या तो घर दे या फिर इन्हें घर बनाने के लिए जमीन और पैसा दे।
कांग्रेस नेता ने सरकार पर इस तथ्य पर सोए रहने का आरोप लगाया कि जब पीएम आवास योजना के तहत घर बनाए गए थे तब कोई ये दावा करने क्यों नहीं आया कि ये वन विभाग कि भूमि है।
जिले के अधिकारियों ने कहा है कि तोड़फोड़ बुधवार दोपहर को हुई, पीएम आवास योजना के तहत बनाए गए घर कथित तौर पर वन भूमि पर थे और एक साल पहले इस मामले में वहां रहने वाले परिवारों को नोटिस भी दिया गया था। वन विभाग के जमीन पर नई निर्माण गतिविधि दिखने के बाद प्रशासन हरकत में आ गया।
सागर के जिला कलेक्टर दीपक आर्य ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बताया कि, “सात घरों को ध्वस्त कर दिया गया क्योंकि वे वन भूमि पर बने थे। हम पिछले एक साल से उन्हें इस बात का नोटिस दे रहे हैं कि उनका घर अवैध जमीन पर है। हालांकि हम इस बात कि तफ्तीश करेंगे कि ये घर पीएम आवास योजना के तहत बनाए गए थे या नहीं। जिला कलेक्टर ने कहा कि “जिला प्रशासन छह परिवारों को पट्टा (भूमि दस्तावेज) देकर पुनर्वास करेगा”।
(जनचौक की रिपोर्ट)
+ There are no comments
Add yours