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गांधी जी ने 1906 में नागरिकता कानून को जलाया था

अहमदाबाद। दिल्ली के शाहीन बाग के समर्थन में अहमदाबाद के अजित मिल में चल रहा धरना तेरहवें दिन भी जारी रहा। गणतंत्र दिवस के मौक़े पर लगभग 2000 महिलाओं ने हाथ में तिरंगा लेकर मिल से वीर अब्दुल हमीद चौक तक मार्च किया। अब्दुल हमीद चौक पहुंच कर संविधान की प्रस्तावना पढ़ी, फिर रैली की ही शक्ल में अजित मिल वापस आ कर धरने पर बैठ गईं।

इस रैली के लिए पुलिस से अनुमति मांगी गई थी, जो मंजूर कर ली गई थी। पूरी रैली पुलिस बंदोबस्त में निकाली गई। रैली में केवल महिलाओं को मार्च की अनुमति थी, जिस कारण वालंटीयर के अलावा पुरुषों को रैली में शामिल नहीं होने दिया गया। 

मार्च से पहले महिलाओं ने तिरंगा फहरा कर गणतंत्र दिवस मनाया। उसके बाद उपस्थित मेहमानों ने महिलाओं को संबोधित किया। गुजरात हाईकोर्ट के एडवोकेट आनंद याग्निक ने योगी की विवादित टिप्पणी पर कहा, “योगी जी नफरत की आग दिलों से निकालो। नफरत से देश नहीं चलता यह झंडा जितना तुम्हारा है उतना ही हमारा है। यही आज़ादी है। इतनी नफरत रखोगे तो हिमालय जाकर आराधना करनी होगी।” 

याग्निक ने अमित शाह पर टिप्पणी करते हुए कहा, “मोटा भाई आप का सीना 56 का नहीं 72 का है। तभी तो आप को IIT, IIM, मुंबई और कई बड़े संस्थान के छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। जो अमित शाह को नहीं दिखता है। 19 दिसंबर से लाखों मुसलमान CAA के विरोध में सड़कों पर हैं। इसी तरह लाखों की संख्या में हिंदू भी CAA के विरोध में हैं। जो शाह को नहीं दिख रहे हैं।” 

याग्निक ने कहा कि मोदी जी आपको गंगा-जमुनी तहज़ीब अच्छी नहीं लगती तो कोई बात नहीं, लेकिन साबरमती आश्रम की तहज़ीब की तो शर्म करो। उन्होंने टुकड़े-टुकड़े पर कहा, “असली टुकड़े-टुकड़े लोग यही हैं, जिन्होंने 130 करोड़ जनता के विकास और विश्वास के टुकड़े कर दिए।”

याग्निक ने कहा कि इनके पास संसद में बहुमत है, लेकिन देश की जनता के बीच बहुमत नहीं है। देश भर में हो रहे बहनों द्वारा विरोध को सलाम। यदि यह बहनें कानून बनने से पहले सड़क पर आई होतीं तो यह कानून पास ही नहीं होता। 1906 में गांधीजी ने नागरिकता कानून को जलाया था। 2020 में हम काग़ज़ जलाएंगे।”

मधु मेनन ने कहा, “हम सब एक हैं और सभी मिलकर लड़ाई लड़ेंगे और जो लोग देश की एकता को तोड़ना चाहते हैं। उनके मंसूबे कामियाब नहीं होंगे।” मेनन ANALA संस्था से जुड़े हैं जो पर्यावरण के लिए काम करती है। गणतंत्र दिवस के मौक़े पर अहमदाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सार्थक बागची ने धरना स्थल पर बच्चों की चित्र प्रतियोगिता रखी, जिसमें बच्चों ने CAA, NRC, NPR का विरोध दिखाते चित्र बनाए। 

जयेश पटेल ने 1942 में अंग्रेज़ों के विरोध में गाया जाने वाला गीत प्रस्तुत किया, “कोड़ी पाड़ो ज़ुल्मी कायदा नो डंकों वाग्यो लडवय्या नो।” उनके गायन ने सभी में जोश भर दिया। बड़ी संख्या में अहमदाबाद और गांधी नगर के छात्रों ने भी कार्यक्रम में शिरकत की। इन छात्रों ने संविधान की प्रस्तावना उर्दू भाषा में पढ़ कर एकजुटता दिखाई।

(अहमदाबाद से जनचौक संवाददाता कलीम सिद्दीकी की रिपोर्ट।)

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