देश अंधकार के कितने गहरे कुएं में चला गया है उसकी ताजा नजीर इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज की वह टिप्पणी है जिसमें मी लॉर्ड ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की है। और फिर इस कड़ी में उन्होंने गाय की तारीफों के लिए जो-जो बातें कहीं हैं वो किन्हीं किताबों या वैज्ञानिक शोधों के हवाले से न होकर शुद्ध ह्वाट्सएपिया ज्ञान पर आधारित हैं। मसलन उन्होंने यहां तक कह डाला कि वह सांस में भी आक्सीजन ही लेती हैं और निकालती भी ऑक्सीजन ही है। अब अगर इस तरह के कुपढ़ लोग देश की उच्च न्यायपालिका में पहुंच गए हैं तो समझा जा सकता है कि देश के पतन की गति कितनी तेज है।
यह वह न्यायपालिका है जिसे तमाम संवैधानिक नियमों और कानूनों का न केवल परीक्षण करना है बल्कि यह सब कुछ वैज्ञानिकता और तार्किकता की कसौटी पर होगा। लेकिन जिस शख्स को इन सारी चीजों की हवा तक नहीं लगी है उससे भला क्या उम्मीद की जा सकती है। बस इसमें एक बात जरूर जोड़ी जा सकती है कि मौजूदा निजाम अपने मंसूबों में पूरी तरह से सफल रहा है। समाज, देश और विधायिका से लेकर कार्यपालिका तक अभी उसकी गिरफ्त में माने जा रहे थे लेकिन न्यायपालिका के बारे में यह कहा जाता था कि अभी उसकी पकड़ से बाहर है कम से कम वैचारिक स्तर पर। लेकिन इस वाकये ने बता दिया है कि दीमक उसकी नींव में भी लग गए हैं। इसी मसले पर देखिए कार्टूनिस्ट तन्मय का नया कार्टून:

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