झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएसपीएस) की कैडेट अंजली उरांव की विभाग की लापरवाही और इलाज के अभाव में 19 फरवरी 2023 को हुई मौत का मामला अभी थमा भी नहीं था कि जेएसएसपीएस पर झारखंड सरकार के वित्त विभाग द्वारा किए गए ऑडिट के खुलासे ने जेएसएसपीएस की विश्वसनीयता और उसकी कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
बता दें कि पिछले दिनों जेएसएसपीएस का झारखंड सरकार के वित्त विभाग द्वारा ऑडिट कराया गया था। इसमें कई वित्तीय अनियमितताएं सामने आयी हैं। सबसे बड़ी गड़बड़ी बजट के अनुसार, खर्च नहीं करके एलएमसी द्वारा चार साल में आठ करोड़ 67 लाख रुपये अधिक खर्च किया गया है, वहीं ये खर्च भी अलग- अलग मद में किया गया है। इसके अलावा खिलाड़ियों के रख-रखाव से लेकर स्टेडियम बुकिंग तक में भारी गड़बड़ी की गयी हैं। झारखंड सरकार और सीसीएल के एमओयू के अनुसार, दिये जानेवाले अनुदान राशि में भी सीसीएल ने पूरा अनुदान नहीं दिया है। ऑडिट में यह भी उल्लेख है कि एमओयू के अनुसार जेएसएसपीएस स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की शुरुआत करनी थी। लेकिन सात साल बीत जाने के बाद भी मामला अधर में है।
झारखंड सरकार के वित्त (अंकेक्षण) विभाग की ऑडिट टीम पिछले सप्ताह से ऑडिट के काम में जुटी हुई है। ऑडिट के दौरान कई तरह की वित्तीय अनियमितताएं पाई गयी हैं। जांच के दौरान बार बार गायब दस्तावेजों की मांग जेएसएसपीएस के अधिकारियों से की जा रही है, लेकिन दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर घपले-घोटाले की आशंकाओं को बल मिलता है। कई महत्वपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाने के बाद जांच टीम ने जेएसएसपीएस से लिखित तौर पर संबंधित दस्तावेजों की मांग की है और कहा है कि दस्तावेज जांच हेतू उपलब्ध कराए जाएं।
जिस तरह जेएसएसपीएस के अधिकारी जांच टीम को दस्तावेज उपलब्ध कराने में आनाकानी कर रहे हैं, ठीक इसी तरह 34वें राष्ट्रीय खेल आयोजन समिति के (एनजीओसी) कर्ता-धर्ताओं ने अगस्त 2008 में राज्य सरकार के आदेश के बाद भी AG के अधिकारियों को दस्तावेज उपलब्ध कराने में आनकानी की थी। बाद में राज्य सरकार के सख्त रवैये के बाद ऑडिट हुई और घपले घोटाले की ऐसी फेहरिस्त सामने आई कि दस्तावेज देने में आनाकानी करनेवाले दो लोगों समेत आधे दर्जन से ज्यादा लोग कई माह तक जेल की हवा खाने के बाद जमानत पर हैं और CBI की जांच की जद में हैं।
ऑडिट के दौरान जेएसएसपीएस में बजट का दुरुपयोग कैसे किया जाता है के तरीके का भी खुलासा हुआ है। यह भी बात सामने आई है कि किसी भी मद में बजट के अनुरूप खर्च नहीं किया गया है। फूड एंड कैटरिंग, कार्यालय स्थापना, मेंटनेंस, एजुकेशन ऑफ स्पोट्र्स कैडेट्स सहित अन्य मद में बजट के अनुरूप खर्च नहीं करके अधिक खर्च किये गये हैं। चार साल में आठ करोड़ 67 लाख 94 हजार रुपये खर्च किये गये, जो शासी परिषद के नियमों के विरुद्ध है। इसके लिए एलएमसी को दोषी पाया गया है।
ऑडिट में पाया गया है कि एलएमसी की ओर से स्टेडियम और ओपन स्पेस की बुकिंग 407 दिन तक फ्री में कर दी गयी। इस कारण अब तक कुल एक करोड़ 13 लाख 63,293 रुपये का नुकसान हुआ है। इसके अलावा वीवीआइपी गेस्ट हाउस की भी बुकिंग एलएमसी द्वारा मनमाने तरीके से 213 दिन के लिए कर दी गई है, इस कारण 17 लाख 77 हजार 80 रुपये का घाटा हुआ है।
वहीं बजट से अधिक खर्च के अलावा अनियमितता का बड़ा मामला सामने आया है। आरडी कंस्ट्रक्शन को हाउस कीपिंग के लिए तीन बार चार महीने का नियम के विरुद्ध विस्तार दिया गया और बजट से 24 करोड़ 71 लाख 3,557 रुपये का अधिक भुगतान किया गया।
वर्ष 2015 में जेएसएसपीएस के लिए झारखंड सरकार और सीसीएल के बीच एमओयू किया गया था। इसमें तय किया गया कि इसके लिए सीसीएल और झारखंड सरकार को 50-50 % के अनुपात में अनुदान देना है। झारखंड सरकार ने तो पिछले चार साल में पूरा अनुदान दिया, लेकिन सीसीएल ने इसमें कमी कर दी। 2018-19 से लेकर 2020-22 तक झारखंड सरकार की ओर से जेएसएसपीएस को जहां 34,94,88,000 करोड़ का अनुदान मिला, वहीं सीसीएल की ओर से केवल 31,03,92,941 करोड़ का ही अनुदान दिया गया।
ऑडिट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि चार साल में स्टेडियम के मेंटनेंस के लिए 18 करोड़ 70 लाख 77,334 रुपये एलएमसी को मिले हैं। लेकिन मेंटनेंस का काम केवल बिरसा मुंडा एथलेटिक्स स्टेडियम पर ही केंद्रित है। जबकि सभी स्टेडियम और कैंपस के रख-रखाव की जरूरत है।
ऑडिट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि चार साल में 700 से अधिक कैडेटों का चयन करना था, लेकिन 2022 तक केवल 400 कैडेट को ही प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वहीं 10 खेल एकेडमी में सबसे खराब स्थिति साइकिलिंग, आर्चरी, फुटबॉल और ताइक्वांडो की है।
जांच में ये बात सामने आई है कि खरीदगी से संबंधित निविदा/ कोटेशन, तुलनात्मक विवरणी और भंडार पंजी समेत कई दस्तावेज गायब हैं। ऑडिट टीम ने रोकड़ पंजी, खेल सामग्री क्रय से जुड़े भुगतान, विपत्र, संचिका और अन्य दस्तावेजों के जांच के क्रम में पाया है कि विभिन्न आपूर्तिकर्ताओं को 83.49 लाख रुपये का भुगतान तो किया गया है, लेकिन आपूर्तिकर्ता द्वारा प्राप्त खेल सामग्री की भंडार पंजी, निविदा, कोटेशन, तुलनात्मक विवरणी और कोच द्वारा खेल सामग्रियों की मांग से जुड़े दस्तावेज गायब हैं। यही नहीं ऑडिट टीम ने जांच के दौरान कई खेल सामग्रियों के दर में अंतर भी पाया है।
ऑडिट के दौरान वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2021-22 के बीच 28 अधिकारियों/कर्मचारियों को विभिन्न आयोजनों/कार्यक्रमों के लिए एडवांस के तौर पर दिए गए 13 लाख 67 हजार 842.79 रुपये का समायोजन अब तक नहीं किया गया है। जबकि जेएसएसपीएस के वित्तीय नियमों के अनुसार अग्रिम राशि का समायोजन भुगतान से 30 दिनों के अंदर ही कर लेना है, लेकिन कई मामलों में 5 वर्ष से ज्यादा का वक्त गुजर जाने के बाद भी समायोजन नहीं हो पाया है।
एडवांस लेने वालों की पूरी सूची sportsjharkhand.com के पास उपलब्ध है। सूची को देखने से साफ होता है कि एडवांस लेनेवाले 28 अफसरों / कर्मचारियों में से 17 लोग जेएसएसपीएस छोड़ चुके हैं या हटाए जा चुके हैं, जबकि एक का देहांत हो गया है। एक साहब सितंबर माह में रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि एडवांस लेनेवाले 18 लोग जो अब जेएसएसपीएस में कार्यरत नहीं हैं, उनके द्वारा ली गई राशि का समायोजन कैसे होगा ?
जेएसएसपीएस के एलएमसी सीओ गिरिश कुमार राठौर कहते हैं “जेएसएसपीएस से जुड़े सभी बिंदुओं पर राज्य सरकार की ओर से ऑडिट किया जा रहा है। जेएसएसपीएस प्रबंधन ऑडिट में पूरी तरह से सहयोग कर रहा है। जिस वित्तीय अनियमितता की बात हो रही है, मुझे इस संदर्भ में पूरी जानकारी नहीं है। इस संदर्भ में संबंधित विभाग (फिनांस) के अधिकारी ही पूरी जानकारी देने की स्थिति में होंगे।”
( विशद कुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
+ There are no comments
Add yours