(शहीद-ए-आजम भगत सिंह की अभिन्न सहयोगी और स्वतंत्रता सेनानी दुर्गा भाभी का अभी कुछ दिनों पहले जन्मदिन था। उस मौके पर तो जनचौक कुछ विशेष नहीं कर सका। लेकिन इस बीच उनका स्वतंत्रता सेनानी सीताराम भास्कर भागवत के पुत्र लक्ष्मण भागवत,जो शहीद स्मृति समिति ग्वालियर के संयोजक थे,को लिखा गया एक पत्र मिला है जिसको यहां दिया जा रहा है। लेकिन इसी के साथ स्वतंत्रता सेनानी भागवत के बारे में भी कुछ जान लेना जरूरी है। भागवत वैसे तो गांधीवादी थे और कांग्रेस से जुड़े थे। लेकिन वह न केवल क्रांतिकारियों से भावनात्मक रूप से जुड़े थे बल्कि उन्हें जरूरत पड़ने पर हर संभव मदद देते थे। खासकर चंद्रशेखर आजाद से उनके बेहद घनिष्ठ रिश्ते थे। और आजाद तो उनके झाँसी स्थित घर में बाकायदा शेल्टर लेते थे। और यहां एक दिलचस्प वाकया बताए बगैर उनका आजाद के साथ रिश्ते की बात पूरी नहीं हो सकती है। आजाद की एक जो जिंदा रहते तस्वीर सार्वजनिक तौर पर देखी जाती है जिसमें वह नंगे बदन अपनी मूंछों पर ताव देते दिखते हैं, वह इन्हीं भागवत के सौजन्य से खींची गयी थी और उसकी मूल प्रति भागवत के पास थी और अब उनके बेटे उसको अमूल्य पूंजी की तरह संभाल कर रखे हैं। बहरहाल भागवत पर विस्तार से फिर कभी। अभी आप दुर्गा भाभी द्वारा उनको लिखा गया पत्र पढ़िए-संपादक।)
भाई भागवत जी,
आपका 20.11.81, 21.11.81, 7.12.81 तथा 11.12.81 के लिखे हुए पत्र तथा एक तार भी मिला। आज आपके यहां से भाई राम गोविंद जी आकर मिले। उन्होंने मेरे स्वास्थ्य तथा परिस्थितियों को देखा साथ ही श्री शिव वर्मा और जयदेव कपूर के विषय में भी जानकारी मिली। जयदेव कपूर की आंख का आपरेशन 20.12.81 के बाद होने वाला है। शिव वर्मा सीतापुर में हैं। ऐसी अवस्था में हम तीनों लोग आने में असमर्थ हैं।
मुझे वास्तव में इस बात का दुख है कि मैं, आप और आपके साथियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए भी कुछ नहीं कर पा रही हूं इसके लिए आप मुझे क्षमा करेंगे ऐसा विश्वास है। अपने संगठन को स्थायित्व देने का प्रयास करें ताकि आज की युवा पीढ़ी देश की आजादी के इतिहास को जान सके। अपनी शक्ति और पैसा तथा परिश्रम स्कूल और कालेजों में, पुस्तकालयों के रूप में स्थापित करें तो उसका बड़ा लाभ होगा। मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें। एक बार फिर क्षमायाचना करती हूं।
सस्नेह आपकी
दुर्गा भाभी