अशोक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद अपनी फेसबुक टिप्पणी के लिए गिरफ्तार

नई दिल्ली। अशोका विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी उस फेसबुक पोस्ट के चार दिन बाद हुई है, जिसके संबंध में हरियाणा राज्य महिला आयोग ने उन्हें तलब किया था। उस पोस्ट में उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की मीडिया कवरेज पर टिप्पणी की थी।

समाचार वेबसाइट स्क्रॉल के अनुसार, उन पर भारतीय न्याय संहिता (भारतीय दंड संहिता के स्थान पर नया कानून) की ऐसी धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जो साम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाने, विद्रोह भड़काने और धार्मिक भावनाओं का अपमान करने से संबंधित हैं। इस कार्रवाई ने अकादमिक और सामाजिक कार्यकर्ता समुदायों में तीव्र आक्रोश पैदा कर दिया है।

सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने रविवार को X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को आज हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें हरियाणा के किसी पुलिस थाने ले जाया गया है। इस प्रकार की प्रताड़ना की हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। हरियाणा पुलिस को चाहिए कि किसी पढ़े-लिखे व्यक्ति से उनका पोस्ट पढ़वाए। उसमें न तो कोई राष्ट्रविरोधी बात है और न ही महिलाओं के खिलाफ कुछ कहा गया है। हम उनकी रिहाई की मांग करते हैं। कृपया उनके पोस्ट खुद पढ़ें @DGPHaryana, यह सब उन्हें परेशान करने के लिए किया गया है।”

यह गिरफ्तारी प्रोफेसर महमूदाबाद की 8 मई को की गई उस फेसबुक पोस्ट के बाद हुई है, जिसमें उन्होंने सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों की दक्षिणपंथी सराहना को “पाखंड” बताया था। उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया था कि एक ओर महिलाओं की उपलब्धियों पर वाहवाही की जाती है, जबकि दूसरी ओर घृणा अपराधों और संस्थागत अन्याय पर चुप्पी साधी जाती है।

यह है वह फेसबुक पोस्ट जो प्रोफेसर महमूदाबाद ने लिखी थी:

“अंततः, मैं यह देखकर बहुत खुश हूँ कि इतने सारे दक्षिणपंथी टिप्पणीकार कर्नल सोफिया कुरैशी की सराहना कर रहे हैं। लेकिन शायद उन्हें उतनी ही जोर से यह मांग भी करनी चाहिए कि भीड़ द्वारा की गई हत्याओं, मनमानी बुलडोज़र कार्रवाइयों और भारतीय जनता पार्टी की घृणा फैलाने वाली राजनीति के शिकार अन्य लोगों को एक भारतीय नागरिक के रूप में सुरक्षा दी जाए। दो महिला सैनिकों द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का दृश्यात्मक प्रभाव (optics) महत्वपूर्ण है, लेकिन जब तक यह ज़मीनी हकीकत में नहीं बदलेगा, तब तक यह सिर्फ पाखंड ही रहेगा।”

उन्होंने आगे लिखा:

“शायद उन्हें उतनी ही जोर से यह भी मांग करनी चाहिए कि भीड़ हिंसा, मनमानी बुलडोज़िंग और भारतीय जनता पार्टी की घृणा फैलाने वाली राजनीति के शिकार लोगों की रक्षा भारतीय नागरिक के रूप में की जाए।”

हरियाणा राज्य महिला आयोग ने इस पोस्ट के जवाब में प्रोफेसर महमूदाबाद पर “भारतीय सशस्त्र बलों की महिला अधिकारियों को अपमानित करने” और “सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने” का आरोप लगाया। आयोग ने चेतावनी दी कि यदि वह 23 मई तक पेश नहीं हुए तो उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।

प्रोफेसर महमूदाबाद का जवाब:
प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद ने कहा है कि उनकी टिप्पणियों को जानबूझकर तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा, “मेरी पूरी टिप्पणी का मकसद नागरिकों और सैनिकों—दोनों के जीवन की सुरक्षा से जुड़ा था। इसके अलावा, मेरी किसी भी बात में महिलाओं के प्रति कोई भी नकारात्मक या स्त्री-विरोधी भावना नहीं है, जिसे ‘एंटी-विमेन’ कहा जा सके।”
उन्होंने यह भी कहा कि महिला आयोग के नोटिस में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि उनकी टिप्पणी और महिलाओं के अधिकारों पर हमले के बीच कोई सीधा संबंध कैसे है।

1,100 से अधिक लोगों ने समन वापस लेने की मांग की

उनकी गिरफ्तारी के बाद, 1,100 से अधिक शिक्षाविदों, इतिहासकारों, फिल्मकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने एक याचिका पर हस्ताक्षर कर महिला आयोग द्वारा भेजे गए समन को वापस लेने और माफ़ी मांगने की मांग की है।

याचिका में कहा गया है:
“हरियाणा भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की दरों में शीर्ष पर है, और हमें अत्यंत आवश्यक रूप से महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने और उनके अधिकारों को सशक्त करने पर ध्यान देना चाहिए- न कि वहां अपराध गढ़ने पर जहाँ कोई अपराध हुआ ही नहीं है।”

याचिका में आगे कहा गया: “लेकिन आयोग की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत में संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किस प्रकार नफरत फैलाने और देश को अस्थिर करने वाली ताकतों के हमले में है। हम, नीचे हस्ताक्षरकर्ता, मांग करते हैं कि हरियाणा राज्य महिला आयोग अपना समन वापस ले और प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद से की गई बदनियती और झूठे आरोपों के लिए सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगे।”

हस्ताक्षर करने वालों में शामिल प्रमुख नाम हैं:
अमित भादुड़ी, आनंद पटवर्धन, हर्ष मंदर, जयती घोष, निवेदिता मेनन, रामचंद्र गुहा और रोमिला थापर हैं।

(ज्यादातर इनपुट टेलिग्राफ से लिए गए हैं।)

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