नई दिल्ली। तेज तर्रार वामपंथी नेता और सीपीआई की राष्ट्रीय कौंसिल के सदस्य तथा अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव कॉमरेड अतुल अंजान का निधन हो गया है। पिछले छह महीनों से वह कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। आज 3 मई को रात 3.20 बजे उन्होंने लखनऊ स्थित एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली।
कॉमरेड अतुल अंजान ने छात्र राजनीति से अपनी राजनीति की शुरुआत की थी। वह लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रहे। वह विश्वविद्यालय के तेज तर्रार नेताओं में गिने जाते थे। छात्र संगठन एआईएसएफ की पारी के बाद उन्होंने सीपीआई की मुख्यधारा की राजनीति का रुख किया और यहां रहते हुए उन्होंने पार्टी की सर्वोच्च बॉडी राष्ट्रीय कौंसिल तक का सफर तय किया।
अतुल अंजान आखिरी दौर में पार्टी के किसान मोर्चे पर काम कर रहे थे। वह संगठन के महासचिव भी थे। पिछले दिनों चले किसानों के आंदोलन में उनकी अगुआ भूमिका थी। दिल्ली के तीनों पड़ावों पर वह नियमित रूप से पाए जाते थे। और पूरे देश में घूम-घूम कर उन्होंने किसानों के आंदोलन को एक नई ऊंचाई दी।
कॉमरेड अतुल अंजान ने कई बार लोकसभा का चुनाव भी लड़ा। वह यूपी में मऊ के रहने वाले थे और यहां की घोसी सीट से वह कई बार लोकसभा का चुनाव लड़े। हालांकि उन्हें कभी सफलता नहीं मिली लेकिन अपने हस्तक्षेप से वह पूरे चुनाव को गरमा देते थे। वह देश के राष्ट्रीय टीवी चैनलों के उन प्रमुख चेहरों में थे जो किसी बहस को राजनीतिक तेवरों के साथ ही वैचारिक मोड़ देने में सक्षम थे।
अतुल अंजान यूपी के प्रसिद्ध पुलिस-पीएसी विद्रोह के नेताओं में से एक थे। अंजान ने अपने राजनीतिक सफर के दौरान चार साल नौ महीने जेल में बिताए। उनके पिता जी भी स्वतंत्रता सेनानी थे। और वह शहीद-ए-आजम भगत सिंह के संगठन एचएसआरए के सदस्य थे।
विरोधी पक्ष को कैसे शालीनता के दायरे में ही मात देनी है इस कौशल के वह माहिर खिलाड़ी थे। आमतौर पर लोग उनके तर्कों और बातों के कायल हो जाते थे।
पार्टी की तरफ से आयी सूचना के मुताबिक उनका कल यानि 4 मई को लखनऊ के भैंसाकुंड श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा। उससे पहले उनके शव को हलवसिया, हजरतगंज स्थित उनके घर और कैसरबाग स्थित पार्टी दफ्तर में लोगों के दर्शन के लिए रखा जाएगा।
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