आज हिंदी पत्रकारिता 194 वर्ष पुरानी हो गई। 30 मई 1826 को कलकत्ते से हिंदी के पहले साप्ताहिक अखबार `उदंत…
महाराष्ट्रः जहां महामारी एक राजनीति भी है
निश्चित तौर पर यह बात बेहद चिंताजनक है कि मुंबई में 32 हजार से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए गए…
कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना (17 मई 1934) के 86 वें वर्ष पर विशेष: हम में समाजवादी कौन है?
जब कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के लिए सरकार की ओर से बिना विचारे किए गए लॉकडाउन के कारण…
मजदूरों की मौत से आत्मनिर्भरता आएगी?
किसी ने ठीक ही कहा है कि कोरोना महामारी में नया कुछ नहीं हो रहा है। बल्कि जो चीजें हो…
आग बड़वाग्नि से बड़ी है आग पेट की
रामकथा को घर-घर पहुंचाने वाले तुलसीदास के भूख और गरीबी के अनुभव का जिक्र वे नहीं करते जिन्हें उनसे राजनीतिक…
कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में आँकड़ों की भी है अपनी अहमियत
कोरोना काल के आंकड़े हमारे अस्तित्व और विकास के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होने वाले हैं। इस बात पर दुनिया भर…
विज्ञान का वसुधैव कुटुंबकम
कहा जाता है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। इसी सूत्र को थोड़ा बढ़ाकर कहा जाए तो कहना पड़ेगा कि…
अखबार मरेंगे तो लोकतंत्र बचेगा?
हम गाजियाबाद की पत्रकारों की एक सोसायटी में रहते हैं। वहां कई बड़े संपादकों और पत्रकारों (अपन के अलावा) के…
प्लेग से लड़ते हुए शहीद हुई थीं सावित्री बाई फुले
कोरोना महामारी के दौरान जातिवादी छुआछूत और सांप्रदायिक बुराइयों के वापस आने का खतरा है। तबलीगी जमात का मामला तो…
जब सरदार पटेल को हुआ था प्लेग
सरदार वल्लभभाई पटेल को यूं ही नहीं लौह पुरुष कहा जाता। आज जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में…