इतने तन्हा तो हम कभी भी न थे!

1948 की बात है: द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद नवगठित संयुक्त राष्ट्रसंघ अभी नया-नया ही था। कश्मीर के सवाल पर एक…

चौंकाने और डराने वाला सप्ताह ! इधर, सूरज पाले का शोर, उधर, अंधेरा पसरता चहुँओर

मई का दूसरा सप्ताह देश और समूचे भारतीय प्रायद्वीप के लिए अभूतपूर्व रहा। तीन दिन चला भारत-पाकिस्तान युद्ध-या वह जो…

विजय शाह लक्षण हैं, नफरती वायरस का जखीरा कुनबा है

मोहन यादव की सरकार में मंत्री, खुद को तथाकथित कुंवर बताने वाले विजय शाह ने इस बार खुद अपने ही…

जाति जनगणना की सुध : तमाशा, झांसा, पासा या तीनो !

अपने कुनबे के संगपरस्तों, पक्के भक्तों और पाले पोसे एंकर-एन्करानियों तक को चौंकाने, हैरत में डालने और मुंह छुपाने के…

मई दिवस और आज उसे याद करने की वजहें !

अमेरिका के शहर शिकागो में 1 मई 1886 को घटी घटना और उसके बाद इस अंतरराष्ट्रीय दिवस के प्रचलन में…

फिल्म तो बहाना है, गुलामगिरी फिर लाना है

‘फुले’ फिल्म को लेकर जिस तरह का तूमार खड़ा किया जा रहा है, वह केवल उतना नहीं है, जितना दिखाया…

संघ में इजाज़त: न्योता या जाल !

इन दिनों अब मुसलमानों पर हमला उमड़ रहा है; आज़ादी के बाद का सबसे बड़ा “क़ानून बनाकर संपत्ति हड़पो” घोटाला…

समृद्ध साझी विरासत का तिरपालीकरण 

रंगों के त्योहार होली को इस बार जितना बेरंग और बदरंग किया गया वैसा पिछले 70 सालों की तो छोड़िये…

कमबख्त ने ये बात भी उर्दू में कही है

पड़ना था ट्रम्प के बांह मरोड़कर टैरिफ कम करवाने की गुण्डई के पीछे, मुद्दा बनना चाहिए था 144 साल में…

बागेश्वर धाम सरकार में भारत सरकार; हिन्दुत्ववादी साम्प्रदायिकता और कॉर्पोरेट का विधिवत पाणिग्रहण

कई बार वास्तविकता को उजागर करने के लिए  उसे शब्दों में सूत्रबद्ध करना जरूरी नहीं होता, परिस्थितिजन्य साक्ष्य काफी होते…