प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर बनो’ वाले 12 मई के नारे के बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने पाँच दिनों तक…
आख़िर वित्तमंत्री क्यों नहीं जानतीं कि देश में कितने हैं प्रवासी मज़दूर?
सरकारें जब जनता के आक्रोश से डरने लगती हैं तब तरह-तरह के भ्रम फैलाती हैं। इन्हें अब साफ़ दिख रहा…
महाविपत्ति की इस बेला में निष्क्रिय क्यों है भारतीय संसद?
देश भर की सड़कों पर बिखरे दारुण दृश्यों को लेकर ‘सर्वोच्च राजनीतिक मंच’ पर कोई आवाज़ सुनायी नहीं दी है।…
कर्ज़ों वाले पैकेज़ से नहीं बल्कि सरकारी ख़र्चों से ही बचेगी अर्थव्यवस्था
अर्थव्यवस्था अलग आकारों वाले चार पहियों की सवारी है। यही पहिये ‘ग्रोथ-इंज़न’ भी कहलाते हैं। इन पहियों पर होने वाला…
21 लाख करोड़ के कोरोना पैकेज़ में सीधी राहत के लिए निकले सिर्फ़ 2 लाख करोड़!
12 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस 20 लाख करोड़ रुपये के आत्म-निर्भर पैकेज़ का ऐलान किया था, वो…
मोदी सरकार का कोरोना पैकेज़ बना पहेली, जनता के लिए ‘बूझो तो जानें’ का खेल शुरू
‘यशस्वी’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन में ‘कर्मठ’ वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने पाँच दिन तक कोरोना राहत…
20 लाख करोड़ का पैकेज नहीं, बजट भाषण दे रही हैं वित्तमंत्री
कोरोना संकट से जूझते देश में चार दिनों से ‘पैकेज़’ की आड़ में सिर्फ़ भाषणों की बरसात और जुगलबन्दी हो…
वित्तमंत्री ने किसानों-मज़दूरों के लिए भी खोला पिटारा, लेकिन खोदा पहाड़ निकली चुहिया
कोरोना संकट से चरमराई अर्थव्यवस्था में जान फूँकने के लिए वित्त मंत्री ने लगातार दूसरे दिन अपना भानुमति का पिटारा…
ग़रीबों और मज़दूरों ने प्रधानमंत्री के ‘मन की’ तो सुनी, लेकिन उनकी ‘बात’ कहाँ थी!
प्रधानमंत्री ने 12 मई के अपने राष्ट्रीय के सन्देश में क्या-क्या कहा, ये तो अब तक आप जान ही चुके…
मज़दूरों के जख़्मों पर मरहम लगाना तो दूर, सरकारें नमक रगड़ने पर आमादा हैं
ऐसे वक़्त में जब कोरोना संक्रमण से पैदा हुई चुनौतियाँ बेक़ाबू ही बनी हुई हैं, तभी हमारी राज्य सरकारों में…