मई के चुनावी महीनों में बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश की यात्रा और समाज के विभिन्न तबकों-वर्गों के साथ संवाद…
हाल-ए-लद्दाख-3: लद्दाखियों के पश्मीना मार्च से क्यों घबरा गई केंद्र सरकार?
लेह। गांधी के दांडी मार्च से प्रेरित लद्दाखियों की पश्मीना मार्च मांग और घोषणा केंद्र सरकार के गले की हड्डी…
हाल-ए-लद्दाख-2: क्यों उबल रहा है, लेह-लद्दाख?
लेह। मार्च के उस समय लेह-लद्दाख उबल पड़ा, जब दिन का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस रहता है और रात में…
हाल-ए-लद्दाख-1: देश के भीतर ही, बिल्कुल जुदा एक देश
लेह। कहने को भारत एक देश है, लेकिन एक देश के भीतर कितने देश बसते हैं, इसका गहरा एहसास लद्दाख…
‘ये बाबू संविधान बचाईं कि चिराग बाबू के जिताईं समझ में नाही आवत बा’
यह बात बिहार की करीब 60-65 वर्ष की पासी समाज की एक महिला ने कही। जब हम लोग संविधान बचाने…
मुश्किल तो अपने समय के भगत सिंह के साथ खड़ा होना है: संदर्भ छत्तीसगढ़ में मारे गए 29 आदिवासी या गैर-आदिवासी
पहली बात कि भगत सिंह का मानना था कि ब्रिटिश साम्राज्य भारत के बहुसंख्यक लोगों के हितों के खिलाफ है।…
चंद्रशेखर आजाद: हिंदी पट्टी में एकमात्र मुखर आंबेडकरवादी राजनीतिक स्वर संसद में गूंजना ही चाहिए
19 अप्रैल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नगीना लोकसभा (सुरक्षित) निर्वाचन क्षेत्र में मतदान है। यहां आजाद समाज पार्टी (कांशीराम)…
नरेंद्र मोदी के लिए जो कुछ अमृत है, आंबेडकर के लिए वह सब कुछ ज़हर था
“अगर हिन्दू राज हकीकत बनता है, तब वह इस मुल्क के लिए सबसे बड़ा अभिशाप होगा। हिन्दू कुछ भी कहें,…
आज की तारीख में भगत सिंह का वारिस होने का मतलब
अपनी भावनाओं, विचारों और कुर्बानियों के चलते कोई व्यक्ति किसी देश में क्रांति की अनवरत जलती मशाल बन जाता है,…
पाण्डु नरोटे हमारा-आपका कुछ नहीं लगता, फिर भी उसकी कहानी सुन लीजिए
पाण्डु नरोटे 35 वर्ष की उम्र में मर गया, मर नहीं गया मार दिया गया। वैसे ही मार दिया गया,…