दिल्ली पुलिस का बैड टच!

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इंडियन एक्सप्रेस अखबार में रविवार 21 मई को दिल्ली पुलिस का ‘बैड टच’ विज्ञापन प्रमुखता से प्रकाशित हुआ है। इसमें आह्वान है कि स्कूली शिक्षा के साथ बच्चों को सेफ्टी के पाठ भी सिखाएं। ‘बैड टच’ को समझाते हुए कहा गया है कि पॉक्सो एक्ट 2012 के तहत 18 वर्ष से कम आयु को ‘बैड टच’ करना एक अपराध है। ‘बच्चों की सुरक्षा हमारा कर्तव्य’ के नारे के साथ सभी को 112 और 1090 हेल्पलाइन पर कॉल कर ‘बैड टच’ रिपोर्ट करने का सुझाव भी विज्ञापन में शामिल है। पहली नजर में किसी को भी यह विज्ञापन दिल्ली पुलिस की एक अच्छी पहल लगेगा।

दिल्ली पुलिस का विज्ञापन

लेकिन, इसी दिल्ली में, जंतर-मंतर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की महिला पहलवानों का जनवरी 2023 से बहुचर्चित ‘बैड टच’ धरना शुरू हुआ था, जबकि दिल्ली पुलिस आज तक भी राजनीतिक आकाओं के इशारे पर शक्तिशाली आरोपी, कुश्ती संघ के अध्यक्ष, बृजभूषण शरण सिंह की ही आवाज बनी हुई है। यहां तक कि निहायत गंभीर खुलासों के बावजूद एफआईआर तक सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद दर्ज हुई, जबकि आरोपी की गिरफ्तारी का जिक्र तक नहीं। यानी, क्या विज्ञापनों से ही कानून व्यवस्था चलायी जाएगी?

दो दिन बाद ही, 23 मई को जंतर-मंतर पर धरना देने वालों की इंडिया गेट तक कैंडल मार्च की तैयारी रही। दिल्ली पुलिस के हुक्मरान को शर्म होती तो आरोपी की गिरफ्तारी को सिरे चढ़ाने से पहले वे ‘बैड टच’ वाला विज्ञापन जारी कर स्वयं को और शर्मिंदा नहीं करते। या वे भी राजनीतिक आकाओं के रंग में ही रंगे जा चुके हैं। कहो कुछ, करो कुछ, देखो वही जिसकी अनुमति हो, कानून का शासन गया भाड़ में।

महिला खिलाड़ियों के समर्थन में इंडिया गेट पर कैंडल मार्च

बृजभूषण ने 5 जून को अपने समर्थन में अयोध्या में एक बड़ी सभा का ऐलान कर दिया है। यह हिंदुत्व की राजनीति का जमावड़ा होने जा रहा है। कठुआ से उन्नाव और लखीमपुर तक और आसाराम बापू से राम रहीम और चिन्मयानंद तक इस राजनीति ने अंतिम दम व्यभिचार के आरोपियों का समर्थन किया है और मुंह की खाई है। बृजभूषण का हश्र भी अलग नहीं होगा। देश इतना गया गुजरा भी नहीं कि न्याय मांगती अपनी बेटियों को मंझधार में छोड़ दे। लेकिन, तब तक दिल्ली पुलिस लैंगिक न्याय करने की साख गंवा चुकी होगी।

(विकास नारायण राय रिटायर्ड आईपीएस अफसर हैं।)

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