झारखंड: अबुआ आवास योजना आवंटन में धांधली, भ्रष्टाचार उजागर करने वालों पर ही बीडीओ ने किया एफआईआर

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लातेहार। जैसे ही डिजिटल युग आया और सभी सरकारी योजनाओं को इंटरनेट से जोड़ा गया तो लगा सबकुछ पारदर्शी हो जाएगा और अब तो भ्रष्टाचार की बाट लग जाएगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। ग्रामीण रोजगार योजना के तहत मनरेगा योजना हो या अन्य जनाकांक्षी योजनाएं हो, आए दिन इनमें भष्टाचार के मामले उजागर होते रहे हैं। इसी तरह के भ्रष्टाचार के एक मामले का खुलासा पिछले दिनों लातेहार जिला अंतर्गत महुआडाड़ प्रखंड कार्यालय में सामने आया है।

महुआडाड़ प्रखंड कार्यालय द्वारा अबुआ आवास योजना के आवंटन में नियमों को ताख पर रख कर 13 ऐसे लोगों को अबुआ आवास आवंटित किया गया है जो किसी भी सूरत में इसके हकदार नहीं हैं। इस भ्रष्टाचार के मामले में सबसे चौंकाने वाला पहलू यह रहा है कि इस मामले को उजागर करने वाले 8 लोगों के खिलाफ प्रखंड कार्यालय द्वारा स्थानीय थाने में एफआईआर दर्ज किया गया है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 की उप धारा-01 द्वारा महुआडांड थाना में कांड संख्या 28/24 के तहत धारा 419/420/34 दर्ज किया गया है।

बताते चलें कि इस मामले का खुलासा महिला सामाजिक कार्यकर्त्ता अफसाना खातून द्वारा सूचना का अधिकार के तहत मिले दस्तावेजों से हुआ है। इसके पहले इस योजना के तहत मिले आवासों का सर्वे किया गया। जब आवास लाभुकों के वास्तविक स्थिति से सत्यापन किया गया तब कई चौंकाने वाले तथ्य सामने उजागर हुए हैं।

8 सदस्यीय सत्यापन समिति जिसमें नरेगा सहायता केंद्र की अफसाना खातून, प्रशांता किण्डों, जल सहिया कुंती देवी, महिला स्वयं सहायता समूह की सक्रिय दीदी सरस्वती देवी, वार्ड सदस्यगण दोलोरोसा मिंज, रीना देवी, अनूप कुमार एवं महुआडाड़ ग्राम पंचायत की उप मुखिया चंद्रमणि देवी ने मिलकर स्थलीय सत्यापन किया है। ग्राम प्रधान विकास उरांव ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जिस सरकारी ग्राम सभा में इन लाभुकों की सूची तैयार की गई है उस बैठक के संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
क्षेत्र के ग्राम महुआडाड़, रामपुर एवं दीपाटोली के 13 परिवारों को अबुआ आवास योजना आवंटित किया गया है। जिसमें ग्राम पंचायत कर्मियों द्वारा सरकारी मापदंडों की धज्जियां उड़ाई गई हैं।

जिसकी एक बानगी – महुआडाड़ की लाभुक पिंकी देवी पति अमित, कुमार इनका पंजीकृत आईडी 1310872 है। इनके परिवार में पहले से दो जगह पर तीन मंजिला पक्के का मकान हैं। रामपुर चौक में इनका किराना दुकान एवं होटल है। साथ ही एक और तीसरा पक्का मकान भी है जिसमें किराये पर सेवा सदन नामक निजी अस्पताल संचालित है।

संगीता सिंह पति जितेंद्र सिंह (आईडी 1355701), ये झारखंड के निवासी हैं ही नहीं। ये बिहार राज्य के निवासी हैं। उनके पति सीआरपीएफ के जवान हैं। गौरी देवी पति महेंद्र प्रसाद (आईडी 1322955), यह परिवार वर्त्तमान में स्वयं के पक्के मकान में रह रहे हैं तथा महेंद्र प्रसाद झारखंड पुलिस में नौकरी करते हैं। ऐसे ही कई अन्य लाभुक हैं जो अबुआ आवास योजना में निर्धारित मापदण्डों के सर्वथा अयोग्य हैं।

अबुआ आवास योजना झारखंड सरकार द्वारा 15 अगस्त 2023 को शुरू की गई। यह योजना राज्य के गरीब तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के ऐसे लोगों के लिए है जिनके पास अपना स्वयं का पक्का घर नहीं है या फिर वह बेघर है, उनके लिए अबुआ आवास योजना के तहत 3 कमरों वाला पक्का आवास उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है। इस आवास की लागत लगभग 2 लाख रुपए तय की गई है, जो पांच किस्तों में दी जाती है। इसकी पहली किस्त आवास की कुल लागत का 15% होती है और आगे इसे क्रमशः बढ़ाया जाता है।

अबुआ आवास योजना केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभ से वंचित लोगों के लिए भी है। अबुआ आवास योजना की पात्रता के बारे में बता दें कि आवेदक को झारखंड का निवासी होना चाहिए। आवेदक के परिवार की कुल वार्षिक आय 3 लाख से कम होनी चाहिए। यह आवश्यक है कि आवेदक को पीएम आवास योजना, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर आवास योजना, इंदिरा आवास योजना या बिरसा आवास योजना का लाभ न मिला हो।

कच्चे मकान में रहने वाला परिवार, बेघर या निराश्रित परिवार, PVTG समूह यानी विलुप्तप्राय आदिम जनजातीय से संबंधित परिवार, प्राकृतिक आपदा का शिकार परिवार तथा कानूनी तौर पर रिहा किये गए बंधुआ मजदूर इसके हकदार हैं। इस योजना के लाभ के लिए मिथ्या जानकारी देने वालों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

बता दें इन तमाम नियमों के आलोक में अबुआ आवास योजना का लाभ लेने हेतु लाभुकों से निर्धारित आवेदन पत्र में बुनियादी जानकारी मांगी गई थी। जिसमें पारिवारिक विवरणी, आय के साधन एवं वार्षिक आय, वर्त्तमान आवास की स्थिति, पूर्व से यदि पक्का आवास है तो उसकी जानकारी भी आवेदन पत्र में दर्ज करना अनिवार्य था। आवेदन के अंत में लाभुक ने इस घोषणा के साथ हस्ताक्षर किया है कि मेरे द्वारा दी गई उपर्युक्त सभी सूचना सही है एवं गलत सूचना के लिए मैं स्वयं जिम्मेवार हूं। यदि मेरे द्वारा गलत सूचना दी जाती है तो मेरे ऊपर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 177, स्पष्ट कहता है कि किसी लोक सेवक या अधिकारी को झूठी जानकारी देना एक अपराध है। इस आधार पर प्रशासनिक जांच में मामले सही पाए जाते हैं तो ऐसे फर्जी लाभुकों पर प्रशासन प्राथमिकी दर्ज करा सकेगा साथ ही ब्याज के साथ सरकारी राशि की वसूली की जा सकेगी।

इस प्रक्रिया को अपनाने की बजाय प्रखंड कार्यालय द्वारा इसके खुलासा करने वाले पर मुकदमा दर्ज करना पदाधिकारियों की भ्रष्टाचारी नीयत को और मजबूत करता है।

इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी अमरेन डांग कहते हैं इनलोगों की समिति फर्जी है। वे कहते हैं कि जलसहिया वगैरह को जब बुलाकर मेरे द्वारा पूछा गया तो उनके द्वारा बताया गया कि हमलोगों की कोई समिति नहीं है। अब वो जो भी जवाब दे न्यायालय में जाकर दें। न्यायालय द्वारा मुझसे जब पूछा जाएगा अपनी रिपोर्ट जमा करूंगा।

इस संबंध में महिला सामाजिक कार्यकर्त्ता अफसाना ने कहा कि यह कैसा न्याय प्रणाली है कि हमलोग अबुआ आवास में हुए भष्टाचार को उजागर किये। भष्टाचार से संबंधित अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं होकर पर हमलोग पर मामला दर्ज कर दिया गया।

(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट)

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