यूपी चुनाव के मद्देनजर खेला जा रहा है आतंकवाद का ड्रामा: संदीप पांडेय

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लखनऊ। रिहाई मंच ने आतंकवाद के नाम पर की गई गिरफ्तारियों को लेकर लखनऊ स्थित रिहाई मंच कार्यालय पर पत्रकार वार्ता की। वार्ता में आतंकवाद के नाम पर पिछले दिनों लखनऊ से पकड़े गए व्यक्तियों के परिजन भी मौजूद रहे। इनके अलावा न्यू हैदरगंज कैम्पल रोड लखनऊ से मोहम्मद मोईद और मुज़फ्फरनगर से मुहम्मद मुस्तकीम की गिरफ्तारी का दावा एटीएस ने किया है। कानपुर और सम्भल से उठाए जाने, पूछताछ सम्बन्धित खबरें आईं हैं जिसकी पुष्टि अभी नहीं हो सकी है।

मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संदीप पाण्डेय ने कहा कि जिस तरह से अलकायदा के नाम पर हुई गिरफ्तारियों के बाद कूकर को प्रचारित किया गया उससे ऐसा लगता है कि कूकर रखना ही गुनाह हो गया है। उन्होंने कहा कि इसके पहले भी आतंकवाद के नाम पर हुई गिरफ्तारियों पर हमने कहा कि लोगों को झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है और जिसकी सच्चाई ये है की दर्जनों युवा आतंकवाद के झूठे आरोपों से बाइज्जत बरी हुए हैं।

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि 11 जुलाई 2012 को अलकायदा के नाम से गिरफ्तार किए गए मिनहाज तथा मुसीरुद्दीन और 14 जुलाई 2021 को गिरफ्तार किए गए शकील की घटना पर जनमानस में शंका एवं आक्रोश है। एक साधारण व्यक्ति यह मान रहा है कि जिस प्रकार 2017  के विधानसभा चुनाव से पहले सैफुल्लाह का एनकाउंटर और आईएस के नाम पर गिरफ्तारियां की गईं थीं उसी तरह वोटों के ध्रुवीकरण के लिए गिरफ्तारियों की पुनरावृत्ति की गई है। लखनऊ में 11 जुलाई को दुबग्गा, मोहिबुल्लापुर और 14 जुलाई को जनता नगरी में अलकायदा से जोड़ते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। रिहाई मंच ने तीनों के घर जाकर परिजनों से बात की।

मिनहाज के पिता शेराज अहमद ने बताया कि लगभग 10 बजे एटीएस के जवान घर में घुस आए, जिनको देख वे हक्का-बक्का रह गए। उसी वक्त वो नहाकर निकले थे और भारी भीड़ को देखकर इतना डर गए कि बात करने की स्थिति में नहीं थे। मिनहाज के कमरे से कुछ बरामदगी कहते हुए एटीएस वाले तेजी से कुछ सामान लेकर निकल गए। मुझे और मेरी पत्नी को डांट कर एक कमरे में बैठा दिया। जहां हम भूखे प्यासे रहे। जबकि मिनहाज की मां को ऐसी बीमारी है जिसमें देर तक वो बैठने से परेशान हो जाती हैं। शाम 7 बजे तक उनके घर तथा घर के बाहर एटीएस व ब्लैक कमांडो उनके और उनके भाई के घर को घेरकर खड़े रहे।

शाम को 7 बजे एटीएस शेराज और उनकी पत्नी को उठाकर एटीएस हेडक्वार्टर ले गई। और धमकी देकर कहा कि किसी को सच्चाई न बताएं बल्कि हमेशा हर एक के सामने यही कहें जो एटीएस ने किया उससे संतुष्ट हैं। वे बार-बार यही कहते रहे की मीडिया से कभी मुखातिब न हों। उन्होंने कहा कि जितना वो बोलें वही बोलें नहीं तो बुढ़ापा खराब कर देंगे। एटीएस मुख्यालय पर एक सादे फार्म पर जबरदस्ती हस्ताक्षर करवाया। एटीएस ने इतना सब करने के बाद उनको और उनकी पत्नी को रात में 9 बजे के लगभग दुबग्गा पुलिस चौकी पर लाया वहां से वो साढ़े 9 बजे अपने घर पहुंच सके।

मुसीरुद्दीन की पत्नी सईदा बताती हैं कि वो देर से उठे थे तो चाय-वाय पीकर घर में बैठे थे। दो-तीन लोग आए दरवाजा खड़खड़ाया तो पूछे कौन है। निकलकर बाहर गए तो पूछा मुसीरुद्दीन कौन है तो कहे हम हैं। वो कपड़े भी नहीं पहने थे। सिर्फ बनियान और तहमद पहने थे उनको कपड़े भी नहीं पहनने दिया और लेकर चले गए। फिर हमने पैंट-शर्ट दिया तो जाकर पहने। उसके बाद हम उन्हीं के साथ थाने चले गए, एक बेटी भी साथ गई। उसके बाद कमांडो लोग आकर घर की तलाशी लिए। सब कुछ निकालकर फेंक दिया। एक कूकर था उसे भी अपने साथ लेकर चले गए। हमारा कुछ कागज रखा था, आईडी-वाईडी सब एक डिब्बे में, सब कुछ निकालकर लेकर चले गए। दोनों बेटियों को भगा दिया मेरी सास बैठीं रहीं। वो पूछती रहीं पर उन्हें कुछ नहीं बताया।

हम जब तक थाने पर रहे उनको गाड़ी में बैठाकर रखा गया था। उसके बाद कहा कि उनके पांच भाई हैं वो बता रहे, उनको बुलाकर लाइए और लेकर चले जाइए। हम आए और अपनी बीमार सास को रिक्शे पर बैठाकर ले गए। तब तक उनको वहां से हटा दिया गया था। हमने पूछा कि कहां गए पर हमको कुछ सही पता नहीं दिया गया। कहा गया कि ठाकुरगंज थाने, काकोरी थाने देख लीजिए। हम आठ बजे तक ठाकुरगंज, काकोरी थाने गए पर हमको कुछ नहीं पता चला। कहने लगे एटीएस वाले वहीं ले गए होंगे। हमारे साथ बहुत ज्यादती हो रही है। मेरी शुगर की पेशेंट बेटी कह रही है कि मेरे अब्बू को मिला दो। अब इसकी दवाई कौन लाएगा। इनको इन्सुलिन कौन देगा। मुहल्ले वालों से पूछ लीजिए उन्हें कोई गलत नहीं कहता।

एटीएस वालों ने बच्चों की किताबें जो मिली थीं उसको भी उठा ले गए। मिनहाज के बारे में पूछने पर बताती हैं कि 14 हजार की बैटरी आती है। हमारी इतनी हैसियत नहीं है कि एक साथ पैसा देकर बैटरी खरीद लें, ऐसे में क़िस्त पर बैटरी लेते थे। ऐसे में जब कभी क़िस्त नहीं पहुंचा पाते थे तो मिनहाज क़िस्त लेने आते थे। इतना बड़ा आतंकवादी कहा जा रहा है और घर के नाम पर टिन शेड में रहने को मजबूर हैं। वो तो बिटिया की बीमारी में ही परेशान थे कि कैसे उसकी दवा हो सके और हम सबको दो जून की रोटी मिल सके।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि जनता का मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए सरकार मुस्लिम विरोधी माहौल बना रही है। योगी जी जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चिंतित हैं पर उनकी चिंता ये नहीं कि जो लोग कोरोना की भेंट चढ़ गए उनके परिवारों का क्या हाल है। गायों की चिंता करने वाले योगी जी ने इंसान की चिंता तो दूर जब कोरोना से हुई मौतों के मुआवजे का सवाल आया तो साफ-साफ मना कर दिया। लव जेहाद को लेकर जितनी तेजी दिखाई इतनी तेजी जिंदगियां बचाने को लेकर की होती तो लोग अपनों को खोते नहीं। कोरोना से हुई मौतों से सरकार हिल गई है कि कहीं जनता मूल सवालों पर खड़ी हो गई तो चुनाव तो दूर प्रचार करना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में अलकायदा, जनसंख्या नियंत्रण और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों को उठाया जा रहा है।

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