डीयू में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर मेरी ‘कथित टिप्पणी’ ‘सविनय अवज्ञा’ है: अरुंधति रॉय

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नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) और डिटेंशन कैंपों का देश व्यापी विरोध हो रहा है। केन्द्र और भाजपा शासित राज्य सरकारें जहां विरोध-प्रदर्शनों का बर्बरतापूर्वक दमन कर रही हैं वहीं प्रदर्शनकारियों को एक षडयंत्र के तहत फंसाने का सिलसिला भी चल निकला है। दरअसल, एनआरपी और एनएए पर प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री के बयानों में विरोधाभस ने जनता में भय और भ्रम को बढ़ा दिया है।

भाजपा-संघ से जुड़े संगठन इस कानून का विरोध करने वालों के खिलाफ अफवाह फैलाने में लगे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में एक सभा में प्रख्यात लेखिका अरुंधति रॉय के भाषण को भी तोड़-मरोड़ कर पेश करने का मामला सामने आया है। जबकि पूरे भाषण का फुटेज यूट्यूब पर उपलब्ध है। मुख्यधारा की मीडिया ने रॉय के व्यंग्यात्मक भाषण को तोड़-मरोड़ कर उनकी घेराबंदी करने में लगा है। इसी बीच आज अरुंधति रॉय ने दिल्ली विश्वविद्यालय में दिए गए अपने भाषण पर उठे विवाद पर जवाब दिया है।

अरुंधति ने कहा, “25 दिसंबर 2019 को दिल्ली विश्वविद्यालय में नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर के बारे में मैंने जो कहा, देश अब उसके बारे में आधिकारिक तौर पर जान गया है कि नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर का डेटा बेस है।” मैंने उस सभा में कहा था कि “22 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकों के राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और देश में डिटेंशन सेंटरों के मौजूद होने के बारे में हमसे झूठ बोला था।”

अरुंधति कहती हैं कि हमने उसी कड़ी में कहा कि जब देश में डिटेंशन कैंप मौजूद ही नहीं हैं और नागरिकों के लिए कोई राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर नहीं बना है तो ऐसे में यदि कोई एनपीआर के लिए हमारे व्यक्तिगत डेटा को इकट्ठा करने के लिए आए तो हमें सामूहिक रूप से हास्यास्पद जानकारी दर्ज करनी चाहिए। मैं जो प्रस्ताव दे रही थी वह एक सहजता के साथ “सविनय अवज्ञा” था।

सभी मुख्यधारा के टीवी चैनल जो वहां उपस्थित थे उनके पास मेरे पूरे भाषण के फुटेज मौजूद थे। बेशक वे इस फुटेज का प्रसारण नहीं किया। लेकिन उन्होंने इस “भाषण” पर टिप्पणी करके, इसे गलत तरीके से पेश करके और इसके बारे में झूठ बोलकर सिर्फ अपने आप को ही नहीं बाकी लोगों को भी उत्तेजित किया। टीवी चैनलों ने मेरी गिरफ्तारी की मांग के साथ-साथ मेरे घर की घेराबंदी करने के लिए कहा।
सौभाग्य से मेरा भाषण यह YouTube पर है।

मेरा सवाल यह है कि क्या इस देश के प्रधानमंत्री के लिए हमारे लिए झूठ बोलना ठीक है? लेकिन यह कितना हास्यास्पद है कि हमने जो व्यंग्य में कहा वह एक आपराधिक कृत्य है और जनता की सुरक्षा के लिए खतरा है?

अरुंधति कहती हैं कि यह ‘अद्भुत समय’ है और ‘अद्भुत जनसंचार माध्यम’ भी।

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