नेशनल इंश्योरेंस कंपनी में लैटरल एंट्री का कर्मचारियों ने किया विरोध

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नई दिल्ली। देश की सबसे पुरानी सामान्य बीमा कम्पनियों में से एक नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी में सूचना और प्रौद्योगिकी के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पद,  मुख्य तकनीकी अधिकारी पर लैटरल एंट्री का जनरल इंश्योरेंस एम्प्लॉइज ऑल इंडिया एसोसिएशन ने विरोध किया है। संगठन का कहना है कि वह प्रारम्भ से ही मुख्य तकनीकी अधिकारी की नियुक्ति की संदिग्ध आउटसोर्सिंग का विरोध करता रहा है। इस पद के लिए आयु सीमा 50- 52 के बीच निर्धारित करना उन आवेदकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन था, जो विज्ञापन के अनुसार अन्य सभी आवश्यक योग्यताएं रखते थे। 

एसोसिएशन ने न्यूनतम पारिश्रमिक रुपये तय करने का भी विरोध किया क्योंकि मुख्य तकनीकी अधिकारी नियुक्त करने के लिए प्रस्तावित न्यूनतम एक करोड़ और अधिकतम सीमा को वार्ता के आधार पर तय करना, जो कि कम्पनी के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक (CMD) के वेतन के लगभग 3 गुना से भी अधिक है । यह भी नोट करना अनिवार्य है कि इस तरह के महत्वपूर्ण पद की आउटसोर्सिंग से बीमा डाटा बैंक के रिसाव के रूप में कंपनी की नीति खतरे में पड़ जाएगी जो नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की वित्तीय स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। 

जनरल इंश्योरेंस एम्प्लॉइज ऑल इंडिया एसोसिएशन के लगातार विरोध के बाद, नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी के प्रबंधन को मुख्य तकनीकी अधिकारी की नियुक्ति के संबंध में विज्ञापन के लिए एक शुद्धिपत्र जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा। एसोसिएशन ने समाचार पत्र में जारी शुद्धिपत्र के माध्यम से 01.04.2022 को आयु सीमा को 52 वर्ष तक बदलने के विज्ञापन के सुधार का संज्ञान लिया। इस संबंध में, एसोसिएशन ने दिनांक 28.07.2022 को कम्पनी के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक को एक पत्र लिखा, जिसमें इस मुद्दे को गंभीरता से लेने और ऐसी आउटसोर्सिंग को रोकने के अविलम्ब निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। ऐसा न होने पर जनरल इंश्योरेंस एम्प्लॉइज ऑल इंडिया एसोसिएशन एक देशव्यापी अभियान शुरू करेगा और ऐसी संदिग्ध आउटसोर्सिंग के खिलाफ ट्रेड यूनियन कार्रवाई करेगी। 

यह भी आश्चर्य की बात थी कि उक्त विज्ञापन में चयनित उम्मीदवार को देय पारिश्रमिक का कोई संदर्भ नहीं था, जबकि ऐसे चयनित उम्मीदवार को देय पारिश्रमिक का संदर्भ नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के आधिकारिक पोर्टल पर अपलोड किया गया था, जिसमें धनराशि का उल्लेख किया गया था। सैद्धांतिक रूप से सरकार के मानदंडों का उल्लंघन करते हुए न्यूनतम एक करोड़ और वार्ता पश्चात अधिकतम सीमा नहीं के रूप में पैकेज दिया गया था।

बताया जाता है कि उक्त निर्णय को डीएफएस के एक अधिकारी की उपस्थिति में स्वीकार किया गया, जो नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में बोर्ड के सदस्यों में से भी एक हैं । विश्वसनीय सूत्रों के माध्यम से पता चला कि उक्त अधिकारी सूक्ष्म स्तर पर नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी के विभिन्न निर्णयों को प्रभावित कर रहे हैं और बोर्ड द्वारा संचालित कंपनी में अपनी शर्तों को निर्देशित और बाध्यकारी कर रहे हैं,  इस तरह से अपनी स्थिति का अनुचित लाभ उठाकर कंपनी की आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया जा रहा है।

यह आश्चर्य की बात है कि एक ओर इस तरह के विरोधाभासी निर्णय उक्त डीएफएस अधिकारी की उपस्थिति में लिए जा रहे हैं और दूसरी ओर विश्वसनीय स्रोतों के माध्यम से, यह भी पता चला है कि उक्त अधिकारी जानबूझकर अपने सामने रखे गए विभिन्न बजटों को मंजूर करने में अनावश्यक विलंब कर दबाव बनाने की रणनीति अपनाते हैं तथा कंपनी के सुचारू कामकाज को प्रभावित करने और इसकी स्वायत्तता को बाधित करने वाले कारण पैदा कर रहे हैं। यह भारत सरकार और देश के प्रधान मंत्री की उस भावना और घोषणा के खिलाफ है जो ईमानदारी, पारदर्शिता, अच्छे व्यवहार और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए शीर्ष अधिकारियों पर लागू सीसीएस और सीए नियमों की आचार संहिता के कार्यान्वयन पर जोर देते रहे हैं । एक प्रतिष्ठित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में यह विरोधाभासी आउटसोर्सिंग, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, डीएफएस व सरकार की छवि और सुशासन की भावना को नुकसान पहुंचाएगी ।

जनरल इंश्योरेंस एम्प्लॉइज ऑल इंडिया एसोसिएशन ने नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक से कम्पनी के सर्वोत्तम हित में इस निर्णय को तुरंत रद्द करने की मांग किया है। उसका कहना है कि यह कदम नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के वफादार कर्मचारियों व अधिकारियों के विश्वास को हतोत्साहित करेगा और एक गलत विचारधारा को बढ़ावा देगा ।

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