गुजरात के सुरेंद्र नगर जिले में कोरोना से मरे 7257, सरकार ने बताया 127!

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गुजरात का सुरेंद्र नगर ज़िला साल्ट माइनिंग के लिए जाना जाने वाला ज़िला है। जो देश की 25 प्रतिशत नमक की ज़रूरत की पूर्ति करता है। कपास, रेडी, मूंग फली की खेती के कारण सुरेंद्र नगर में एग्रो प्रोडक्ट प्रोसेसिंग के बहुत से केंद्र हैं। यह ज़िला खेती से अधिक उद्योग के लिए मशहूर है। वर्दवान में बड़ी जीआईडीसी है। सेरामिक, फार्मा, प्लास्टिक, बीयरिंग इत्यादि मुख्य उद्योग हैं। 2011 की जन गणना के अनुसार ज़िले की आबादी 1756268 है।

गुजरात सरकार के आंकड़ों के अनुसार सुरेंद्र नगर ज़िला कोरोना से कम संक्रमित जिलों की सूची में शामिल है। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार सुरेंद्र नगर ज़िले में कोविड के 7257 मामले दर्ज हैं। कोविड की दूसरी लहर में अब तक 127 लोगों की मृत्यु हुई है। 5962 स्वस्थ हुए हैं।1168 सक्रिय केस हैं।

सुरेंद्र नगर ज़िले में 574 गांव और 10 तहसील है। ज़िले की दसाडा विधान सभा सीट से विधायक नौशाद सोलंकी ने जनचौक को बताया, ” सरकारी आंकड़े पूरी तरह से सरकारी हैं। सरकार के अनुसार ज़िले में मात्र 125 मौतें (7 मई) कोविड से हुई हैं। परन्तु 2018 से 2021 तक ज़िले की मासिक मृत्यु औसत 850 का है। जबकि मार्च से 7 मई के बीच ज़िले में 5517 मृत प्रमाण पत्र निगम और ग्राम पंचायत से जारी किए गए हैं। औसत मृत्यु दर से 3577 अधिक मृत्यु हुई है। कोविड के अलावा मृत्यु के अन्य कारण क्या हो सकते हैं।” सुरेंद्र नगर में वर्दवान और सुरेंद्र नगर दो बड़े शहर हैं। ज़िले में ग्रामीण क्षेत्र अधिक हैं। जानकार बताते हैं। कोरोना की दूसरी लहर में शहरी क्षेत्रों से लोग पलायन कर गांव की ओर चले गए। सौराष्ट्र ज़िले से बड़ी संख्या में लोग अहमदाबाद और सूरत में व्यापार और नौकरी करते हैं। सुरेंद्र नगर सौराष्ट्र का ही एक ज़िला है। संभवतः सुरेंद्र नगर के ग्रामीण क्षेत्रों में राज्य के इन दो बड़े शहरों से संक्रमण फैला हो।

नौशाद सोलंकी ने सुरेंद्र नगर की 10 तहसीलों के आंकड़े भी जारी किए हैं। इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी ने आंकड़े जारी कर राज्य सरकार पर कोविड से हुई मौतों को छिपाने का आरोप लगाया है। यह आंकड़े राज्य द्वारा छिपाए जा रहे कोविड मृत आंकड़े की पोल खोलता है।

तहसील मासिकऔसत मृत्यु मार्च-7मई 21 तक हुई मौत 

दसाडा         102               371

वर्दवान         268             1963

धांगेधरा        115               811

लींबडी            95              505

थान गढ़          49              293

चोटिला           63              341

साइला            65              314

चुड़ा                45              233

लखतर            36             197

मूडी                61               265

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                                       5517

नोट : मासिक औसत पिछले तीन वर्षों का है।

कोविड की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर अधिक खतरनाक है। पहली लहर में सुरेंद्र नगर कम प्रभावित ज़िला था। दूसरी लहर के मृत आंकड़े डराने वाले हैं।

         वर्ष महीना         ज़िले की संख्या         

        2020  मार्च               814

        2021  मार्च               957

                                    ————

      अधिक मृत्यु संख्या        143

       2020 अप्रैल               764

       2021 अप्रैल              3140

                                      ————-

  अधिक मृत्यु संख्या           2356

       2020  मई                 756

       2021, 7 मई तक       1420

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      अधिक मृत्यु संख्या         664

कोविड से हुई मौतों को छुपाया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर भी इस बात को मान रहे हैं कि कोविड से हुई मौतों के आंकड़े छिपाए जा रहे हैं। ऐसा करने के लिए ऊपर से कहा गया है। अस्पताल के कर्मचारी बोलने से डर रहे हैं। परन्तु सरकार के जारी आंकड़े की पोल नगर निगम और ग्राम पंचायत द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र खोल रहा है। सरकार के पास इस बात का उत्तर नहीं है कि मार्च – मई 2021 में अचानक इतनी अधिक मृत्यु क्यों हुई।

मुड़ी तहसील के रहने वाले तरुण गढ़वी ने जनचौक को बताया, “सरकार द्वारा जारी आंकड़े पर यकीन नहीं किया जा सकता क्योंकि छोटे छोटे गांव जिनकी आबादी 500-700 है वहां भी 15-20 एक्टिव केस हैं।” गढ़वी आगे बताते हैं। “सुरेंद्र नगर ज़िला के गांव के लोग शहरों में नौकरी करते हैं। आर्थिक परिस्थिति बहुत अच्छी न होने के कारण शहरों में काम धंधा और नौकरी के लिए जाना ही पड़ता है। इसी कारण पहली लहर में कम प्रभावित ज़िला दूसरी लहर में अधिक प्रभावित है।”

विधायक नौशाद सोलंकी बताते हैं, ” सुरेंद्र नगर ज़िले की स्वास्थ्य व्यवस्था बहुत चिंताजनक है। पूरे ज़िले में आज भी किसी भी सरकारी अस्पताल में CT Scan की व्यवस्था नहीं है। सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर भी नहीं था। अब कुछ वेंटिलेटर आए हैं वह दान और एनजीओ सहयोग से है। RT PCR टेस्ट के लिए भी प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ता है। आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग को इलाज के अभाव अथवा ऑक्सीजन की कमी से जान गवानी पड़ी। निजी अस्पताल एक बेड का एक दिन के लिए 8000 से 15000 रू. ले रहे हैं। सरकार निजी अस्पतालों पर अंकुश लगाने में असफल रही है।”

3500 की जन संख्या वाला जसपरा गांव के सरपंच परालिया रामसंगभाई बताते हैं, ” हमारे गांव में 4-5 लोगों की कोरोना से मौत हुई है। हम लोग पहले से सजग थे। गांव के हर घर जाकर लोगों को कोरोना और मास्क के लिए जागरूक किया था। अब तक 500 लोग टीका भी लगवा चुके हैं। टीके की अगली खेप न मिल पाने के कारण टीकाकरण का काम रुक गया। इन सबके बावजूद अब भी 15-20 एक्टिव केस हैं।”

सरकार द्वारा जारी कोविड आंकड़ों पर गुजरात हाई कोर्ट भी सवाल उठा चुका है। 15 अप्रैल 2021 को हाई कोर्ट ने कहा था, “सरकार मोर्बिड और को मोर्बिड दोनों से हुई मौत के आंकड़े जाहिर करे। ताकि जनता में विश्वास प्रस्थापित हो। सरकार द्वारा हाई कोर्ट में दो एफिडेविट जमा किया गया है। दोनों एफिडेविट में मृत्यु के आंकड़े नहीं बताए।

दूसरी लहर में 127 लोग सुरेंद्र नगर में मरे हैं 1मार्च से 10 मई तक ज़िले का कोविड मृत आंकड़ा 127 था।18 मई को यह संख्या 131 पर पहुंच गया।

(अहमदाबाद से जनचौक संवाददाता कलीम सिद्दीकी की रिपोर्ट।)

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