कितने माकूल साबित होंगे ममता के लिए मुकुल?

Estimated read time 1 min read

गुजरे हुए जमाने में एक नारा था जो समाजवादियों को बेहद भाता था और वह था इस गिरती हुई सरकार को एक धक्का और दो। तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने मुकुल राय को तृणमूल कांग्रेस में वापस लाकर यही काम किया है। विधानसभा चुनाव के बाद आए सियासी जलजले से भाजपा का ढांचा लड़खड़ा रहा है और ममता बनर्जी ने उसे एक और झटका दिया है।

आइए सबसे पहले मुकुल राय का ममता बनर्जी का करीब से रकीब बनने की वजह तलाशते हैं। दरअसल शारदा चिटफंड मामले में सीबीआई जांच के दौरान एक सवाल के जवाब में मुकुल राय के सात शब्दों के बयान ने उनके और ममता बनर्जी के बीच एक फासला पैदा कर दिया जो रफ्ता रफ्ता बढ़ता गया और 2017 में मुकुल भाजपा में शामिल हो गए। इसके साथ ही उनका ममता बनर्जी से 19 साल पुराना रिश्ता टूट गया। सवाल शारदा चिटफंड को रेलवे की कुछ सुविधाएं देने पर था और मुकुल राय ने कहा था हम उस वक्त रेल मंत्री नहीं थे। उस समय ममता बनर्जी रेलमंत्री थीं।

बहरहाल मुकुल राय की वापसी हो गई पर वे करेंगे क्या। ममता बनर्जी ने इसका खुलासा तो नहीं किया है लेकिन कहा है कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। यह कयास लगाया जा रहा है कि मुकुल राय इस नई पारी में ठीक उसका उलट करेंगे जो उन्होंने 2017 से 2019 तक भाजपा के लिए किया था। यानी वे यह सुनिश्चित करेंगे कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर पश्चिम बंगाल में 18 के मुकाबले शून्य पर आ जाए। उनकी संगठन की शक्ति का लोहा तो सभी मानते हैं। भाजपा के 18 सांसद 2019 में इसी आधार पर चुने गए थे, इसमें मोदी और शाह का करिश्मा  उतना नहीं था। अगर होता तो 2021 में यह हाल नहीं हुआ होता। पर इसी भरम में मोदी और शाह ने  मुकुल को 2021 के विधानसभा चुनाव में एक किनारे कर दिया था।

अब वे अमित शाह के चाणक्य की नहीं बल्कि ममता बनर्जी के चाणक्य की भूमिका निभाएंगे। यानी भाजपा की जड़ों में मट्ठा डालेंगे। इसका एहसास भी होने लगा है। शुक्रवार को मुकुल की वापसी के दिन ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने बारासात में एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में सांसद शांतनु ठाकुर के साथ ही कुल छह विधायकों में से तीन विधायक नहीं आए। याद दिला दें कि भाजपा की विधायक दल की पहली बैठक में भी 23 विधायक नहीं आए थे। इसके अलावा मुकुल के करीबी भाजपा नेताओं के बयान भी आने लगे हैं। यानी भाजपा का हैस्टिंग का किला दरकने लगा है।

इसके साथ ही मुकुल की वापसी को समझने के लिए हमें ममता बनर्जी का लक्ष्य और राष्ट्रीय स्तर पर घट रही घटनाओं पर भी नजर डालनी पड़ेगी। मसलन जिस दिन मुकुल राय की वापसी होती है उसी दिन मुंबई में ममता बनर्जी के राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर और शरद पवार के बीच तीन घंटे तक लंबी बैठक होती है। इससे पहले किसान आंदोलन के नेता राकेश टिकैत ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की थी। इससे पूर्व ममता बनर्जी देश के सभी गैर भाजपा मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर यूनियन बनाने की अपील करती हैं ताकि मोदी और शाह की जोड़ी को टक्कर दी जा सके।

भाजपा के आला नेता भी मुकुल की वापसी के पीछे छुपे मकसद को समझते हैं। प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी से लंबी मुलाकात होती है। पर क्या भाजपा के सारे विधायक उन्हें दिल से नेता मानते हैं। विधायक दल की बैठक में 23 विधायकों की गैरमौजूदगी क्या कोई संकेत देती है। क्या भाजपा के अंदर दो पावर सेंटर बनने की संभावना बन रही है। मिसाल के तौर पर तृणमूल से आई और भाजपा के टिकट पर पराजित वैशाली डालमिया ने  अधिकारी को पत्र लिखकर कहा है पार्टी से कूड़ा करकट हटाया जाए, लेकिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष तो दिलीप घोष हैं। दूसरी तरफ कभी राज्यपाल रहे और राज्य में भाजपा के नेता तथागत राय माकपा नेता हरेकृष्ण कोनार का हवाला देते हुए  ट्वीट करते हैं कि पार्टी से मल मूत्र को बाहर निकाल दिया जाए। तो क्या तृणमूल से भाजपा में आए नेताओं को यह तमगा रास आएगा।

अंतिम सवाल है कि बंगाल में मिली शर्मनाक पराजय का विश्लेषण भाजपा के नेता किस तरह और कितनी ईमानदारी से करते हैं। भाजपा के कुछ नेता कह रहे हैं कि दिल्ली और अन्य प्रदेशों से आए नेताओं की हिंदी भाषा यहां के लोगों की समझ में नहीं आई इसलिए ऐसा परिणाम आया। जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री,  इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई और चंद्रशेखर जैसे नेता पश्चिम बंगाल में क्या बंगला में भाषण दिया करते थे। क्या प्रदेश के भाजपा नेता मोदी और शाह से कह पाएंगे कि बंगाल पर उनका हमलावर अंदाज और दीदी ओ दीदी शब्द का विकृत  रूप में इस्तेमाल करना लोगों को रास नहीं आया। इसके साथ ही क्या यह कह पाएंगे कि बंगाल में  श्मशान, कब्रिस्तान और पाकिस्तान के नाम पर सियासत नहीं चलेगी।

(कोलकाता से वरिष्ठ पत्रकार जेके सिंह की रिपोर्ट।)

please wait...

You May Also Like

More From Author

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments