यूपी में सड़क किनारे बने सभी धार्मिक स्थलों को हटाने का निर्देश

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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सड़क के किनारे बने सभी धार्मिक स्थलों को हटाने को लेकर सख्त हो गई है। उत्तर प्रदेश के गृह विभाग ने गुरुवार को इस संबंध में सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि धार्मिक स्थलों के नाम पर किए गए अतिक्रमण हटाए जाएं। इस के साथ ही यह भी आदेश दिए गए हैं कि तय समय पर शासन को अवगत कराया जाए कि कितने अतिक्रमण कर बने धार्मिक स्थलों को हटाया गया है। सरकार ने यह निर्देश इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों के क्रम में जारी किए हैं।

राज्य के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर सड़क के किनारे बने सभी धार्मिक स्थलों को हटाने के निर्देश दिया है। सड़क के किनारे धार्मिक स्थलों के नाम पर किए गए अतिक्रमण हटाए जाएंगे। इस मामले पर सभी जिलाधिकारियों से 14 मार्च तक रिपोर्ट तलब की गई है, जिसमें जिले के अधिकारियों को ये बताना होगा कि आदेश के बाद कितने सार्वजनिक स्थलों को धार्मिक अतिक्रमण से खाली करवाया गया।

शासनादेश में कहा गया है कि यह सुनिश्चित करने के लिए योजना बनाई जाए कि सार्वजनिक सड़कों, गलियों, फुटपाथों और लेन आदि पर धार्मिक गतिविधियों के कारण निर्बाध यातायात अथवा जनता के आवागमन में कोई बाधा उत्पन्न न हो और ऐसी गतिविधियां अनिवार्य रूप से संबंधित धार्मिक वर्गों के लिए चिन्हित स्थानों अथवा निजी स्थानों पर ही की जाएं।

शासन की तरफ से लिखा गया है कि उच्च न्यायालय के आदेशों के क्रम में राज्य सरकार ने ये निर्देश जारी किए हैं। इसमें सार्वजनिक सड़कों, गलियों, फुटपाथों, सड़कों के किनारों, लेन आदि पर धार्मिक प्रकृति की किसी भी संरचना के निर्माण पर रोक लगाई जाएगी। साथ ही 1 जनवरी, 2011 अथवा उसके बाद के ऐसे निर्माण तत्काल हटाए जाने के निर्देश जारी किए गए हैं। एक जनवरी 2011 के पहले के ऐसे निर्माण योजनाबद्ध तरीके से संबंधित धार्मिक संरचना के अनुयायियों द्वारा निजी भूमि पर स्थानांतरित किए जाएंगे।

इसके पहले वर्ष 2018 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवैध जमीन पर बने धार्मिक स्थलों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने जमीन अतिक्रमण कर बनाए गए मंदिर-मस्जिद व अन्य धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि जनवरी 2011 के बाद आम सड़क या गली की जमीन को अतिक्रमण कर बनाए गए धार्मिक स्थलों को तत्काल प्रभाव से हटाए जाएं। कोर्ट ने मुख्य सचिव को इस बाबत कार्रवाई के निर्देश दिए थे।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को सभी जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षकों को सर्कुलर जारी कर सड़कों के बीच लोगों के लिए परेशानी का सबब बनने वाले सभी निर्माणों की जवाबदेही तय करने का निर्देश दिया था। साथ ही कोर्ट ने कहा था कि कृषि भूमि वक्फ की प्रॉपर्टी नहीं हो सकती। कोर्ट ने एक जनवरी 2011 के पहले के राजमार्ग, सड़क आदि पर अवैध धार्मिक या अन्य किसी निर्माण को अगले 6 माह में शिफ्ट करने का निर्देश भी दिया था।

कोर्ट ने धार्मिक स्थलों को हटाने का ये निर्देश एक फतेहपुर के मोहम्मद हुसैन की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए थे। जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस अजित कुमार ने कहा था कि 10 जून, 2016 के बाद सड़क पर अतिक्रमण कर बने धार्मिक निर्माण की जवाबदेही डीएम, एसडीएम, सीओ एसपी, एसएसपी की होगी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनवरी, 2021 में भी निर्देश दिया है कि नगर निगम की भूमि और स्टेट लैंड से सभी धार्मिक अतिक्रमणों को हटाने के लिए कदम उठाए जाएं। जिला एवं प्रशासन, विकास प्राधिकरण और नगर निगम यह सुनिश्चित करेंगे कि अतिक्रमण मुक्त ये स्थान खुले सार्वजनिक भूमि में बने रहेंगे और फिर से अतिक्रमण नहीं किया जाएगा। पुलिस अधिकारी यह भी सुनिश्चित करें कि शहर के विभिन्न पुलिस स्टेशनों के बाहर किए गए अतिक्रमण न रहें। पुलिस थानों के बाहर मालखानों के नाम पर छोटे-बड़े वाहनों को डंप करके अस्थायी अतिक्रमण न हों।

जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की खंडपीठ ने प्रयागराज जीटी रोड पर शेरवानी मोड़ स्थित अतिक्रमण को हटाने के लिए प्रयागराज विकास प्राधिकरण को निर्देशित किया है। न्याय विहार कॉलोनी विकास समिति के सचिव हृदय नारायण शुक्ला और आदेश कुमार द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष एक प्रार्थना पत्र पूर्व से योजित पीआईएल इस आशय से दिया कि कानपुर रोड स्थित शेरवानी मोड़ जो सूबेदारगंज रेलवे स्टेशन होते हुए एयरपोर्ट को जाता है, उसके नुक्कड़ में सड़क मार्ग को अवैध रूप से मकान बनवा कर अतिक्रमण कर रखा है। उसे हटाने के लिए माननीय न्यायालय द्वारा अपने आदेश में विकास प्राधिकरण को निर्देशित किया है। इसके साथ ही साथ विकास प्राधिकरण को एयरपोर्ट के लिए कॉरिडोर बनाने का भी निर्देश जारी किया है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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