देश में नैतिक पतन जारी हैः इसे कैसे रोका जाए?

Estimated read time 1 min read

पश्चिम बंगाल और केरल सांस्कृतिक दृष्टि से देश के सर्वोपरि समृद्ध राज्य हैं। दोनों राज्यों को चेतनशील बनाने में कई महान संस्कृतकर्मियों ने योगदान दिया है। बंगाल में रवीन्द्रनाथ टैगोर, मदर टेरेसा, सुभाषचन्द्र बोस, ज्योति बसु और सत्यजीत रे जैसे अनेक महापुरुष शामिल हैं। ऐसे राज्य में एक महिला डॉक्टर के साथ जो कुछ हुआ वह बंगाल के चेहरे पर कालिख है। इस महिला डॉक्टर के साथ न सिर्फ दुष्कर्म किया गया वरन् उसकी हत्या भी की गई। घटना के बाद जो तथ्य सामने आ रहे हैं उनसे लगता है कि वह अनेक गुप्त बातों की जानकार थी जो मेडिकल प्रोफेशन में नहीं होना थी। वह इन बातों को उजागर करे उसके पहले ही उसकी हत्या कर दी गई।

केरल देश का संस्कृति, शिक्षा, स्वास्थ्य, आदि क्षेत्रों में देश का ही नहीं वरन् दुनिया में भी सर्वोपरि है। अभी हाल में जाहिर किए गए आंकड़े से पता लगा है कि एक लाख में से 19 माताएं या तो बच्चे के जन्म देने के तुरंत बाद या गर्भावस्था के दौरान मर जाती हैं। यह आंकड़ा अमरीका से भी आगे है। उसके विपरीत उत्तरप्रदेश में 1 लाख में से 167, मध्यप्रदेश में 173 असम में 195 महिलाएँ मृत्यु को प्राप्त होती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में लगभग 100 प्रतिशत आबादी शिक्षित हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी इसी तरह पूरे देश में वह सर्वोच्च शिखर पर है।

ऐसे प्रदेश में वहां के फिल्म जगत में काम करने वाली महिलाओं ने अपने साथ दुष्कर्म की शिकायत की। उनकी शिकायत के चलते वहां की सरकार ने एक अवकाश प्राप्त हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया। इस आयोग ने वहां की सुप्रसिद्ध अभिनेत्रियों की शिकायत को सुना और यह आयोग इस नतीजे पर पहुंचा कि वहां की प्रसिद्ध अभिनेत्रियों की शिकायत सही है।

इस आयोग की रिपोर्ट 2019 में मुख्यमंत्री को भेजी गई। परंतु किन्हीं कारणों से मुख्यमंत्री ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया। इस बीच उन पर दबाव बढ़ता रहा और इस माह में रिपोर्ट सार्वजनिक की गई। रिपोर्ट सार्वजनिक करने में इतनी देर क्यों हुई इस संबंध में मुख्यमंत्री ने अनेक प्रकार के स्पष्टीकरण दिये हैं जिनमें एक स्पष्टकीरण के अनुसार उनका कहना था कि देरी के लिए आयोग के अध्यक्ष ने स्वयं रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने का सुझाव दिया था।

कारण जो भी हो परंतु मलियालम में बनी फिल्में अद्भुत समझी जाती हैं। इन फिल्मों को बनाने में जिन अभिनेत्रियों का योगदान रहता है उनके साथ इस तरह का व्यवहार केरल को शर्मसार करने वाली घटना है।

हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि भारतवर्ष शीघ्र ही विश्वगुरू बनेगा। परंतु जो विश्वगुरू बनने वाला है उसके 150 सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ अपराधों के मामले दर्ज हैं। इन मामलों में कुछ दुष्कर्म के भी मामले हैं। जिस देश के 150 जनप्रतिनिधि अपराधों में शामिल हों वह कैसे विश्वगुरू बन पायेगा।

हमारे देश में इस समय महिलाओं के साथ दुष्कर्म और अनेक अपराधों की खबरें आ रही हैं। महाराष्ट्र में अभी हाल में जो घटना हुई उसकी तो कल्पना ही नहीं की जा सकती थी। एक स्कूल की 4 साल की दो बच्चियों के साथ उसी स्कूल में काम करने वाले एक कर्मचारी ने दुष्कर्म किया। उसी महाराष्ट्र में कुछ दिनों बाद एक 7 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना की खबर सामने आई।

असम में भी ट्यूशन से घर वापिस आ रही एक बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना हुई। इसके विरोध में असम में पूरे राज्य में प्रदर्शन हुए। परंतु इस घटना को लेकर वहां के मुख्यमंत्री ने जो प्रतिक्रिया जाहिर की वह चैंकाने वाली है। इस बच्ची के साथ अपराध करने वाला व्यक्ति अल्पसंख्यक पाया गया। इस बात का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि असम में यहां के मूल निवासी अपने आपको असुरक्षित महसूस करते हैं। शायद उनका किसकी ओर है यह वही बता सकते हैं।

समाज में आए दिन सभी रिश्तों को तोड़ते हुए घटनाएं हो रही हैं। एक समाचार के अनुसार एक पत्नी ने अपने बेटे के साथ मिलकर पति की हत्या कर दी। हत्या में तकिये का उपयोग किया गया। हत्या इसलिए की गई क्योंकि अपने पति की इस दूसरी पत्नि की निगाह अपने पति के रिटायर होने पर मिली भारी रकम पर नज़र थी। उसको डर था कि उसका पति उनकी पहली पत्नि की संतानों को रकम का भारी हिस्सा दे देंगे। ऐसी स्थिति पैदा हो इसके पहले ही उसने अपने पति की हत्या कर दी। जिस पत्नि ने हत्या की वह स्वयं अपने पहले पति को तलाक देकर दूसरी शादी की थी।

एक और मामले में एक पति ने अपनी पत्नि की हत्या करके स्वयं थाने को सूचित कर दिया कि उसने अपनी पत्नि की हत्या की है। कारण उसे अपनी पत्नि के चरित्र पर संदेह था। इस तरह की घटनाएँ आएदिन हो रही हैं। पति-पत्नि का रिश्ता अत्यधिक विश्वास का रिश्ता होता है। परंतु उसमें भी कभी भी खटाई पड़ जाती है और हत्या के समान जघन्य अपराध हो जाते हैं।

एक अखबार में खबर छपी है कि कुछ लोग महिलाओं के या बच्चियों के साथ दुष्कर्म का वीडियो बनाते हैं और फिर उस वीडियो को भारी कीमत पर बेचते हैं। इस अखबार के अनुसार यह एक बड़ा धंधा हो गया है। इसलिए इस तरह की खबरे पढ़ने को मिलती हैं कि महिला या बच्ची अपने को दुष्कर्म से मुक्त करने के लिए अपील करती हैं परंतु उसे बचाने के स्थान पर लोग उसका वीडियो बनाने में लगे रहते हैं। इस तरह की घटनाएं ही इस बात का सबूत है कि इंसान की संवेदनशीलता को क्या हो गया है? हम लाखों की संख्या में प्रवचन सुनने जाते हैं परंतु उस प्रवचन से हमारी आत्मा पर क्या असर हुआ यह ज्ञात नहीं होता है।

अभी हाल में महाराष्ट्र में एक हिन्दू संत ने इस्लाम के पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक बातें की। उसकी प्रतिक्रिया में मध्यप्रदेश के छतरपुर नाम के स्थान पर मुसलमानों ने रोष प्रकट किया। थाने का घेराव किया और पुलिसकर्मियों को घायल किया। इस घटना के विरोध में पुलिस और प्रशासन ने सख्त कार्यवाही की। कार्यवाही के फलस्वरूप एक धनी मुस्लिम के मकान को नेस्तनाबूद कर दिया गया। न सिर्फ मकान को नेस्तनाबूद किया बल्कि जो वाहन वहां थे उनको भी तोड़ डाला। क्या वाहन भी प्रदर्शन में शामिल थे?

फिर मकान को नेस्तनाबूद करने के पहले इस बात की भी जानकारी नहीं ली गई उसकी कानूनी स्थिति क्या है। यह भी बताया गया कि इस विशाल मकान के भीतर जो मूल्यवान वस्तुएं थीं जैसे गहने, टीवी, फ्रिज उनका क्या हुआ। यदि मकान गैरकानूनी था तो जब वह बन रहा था तब उसका निर्माण क्यों नहीं रोका गया। इस तरह की घटनाएं मध्यप्रदेश के और स्थानों पर भी हुई हैं और उत्तरप्रदेश में तो बड़े पैमाने पर हो रही हैं।

ऐसी घटनाओं के बारे में क्या रवैया अपनाया जाए यह कहना मुश्किल है क्योंकि उसके पीछे बड़े-बड़े प्रभावशाली व्यक्तियों का हाथ है ऐसा आरोप लगाया जाता है। कुल मिलाकर समाज में चाहे महिलाओं के साथ दुष्कर्म हो या अन्य अपराध हों लगभग कानून अपने हाथ में लिया जा रहा है। इनको रोकने के लिए क्या किया जा सकता है? यह एक विचारणीय प्रश्न है?

इस समय बुलडोजर ऐसे मकान पर भी चला दिया जाता है जिसमें रहने वाले परिवार के केवल एक सदस्य ने अपराध किया हो। एक व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध की सज़ा पूरे परिवार को क्यों दी जाती है? फिर हमारे देश के कानून के अनुसार अपराधी को सज़ा देने का अधिकार न्यायपालिका का है न कि पुलिस का। परन्तु आये दिन बुलडोजर चलाकर सज़ा पुलिस वाले दे रहे हैं जो सरासर गैरकानूनी है।

(एल.एस. हरदेनिया स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author