Friday, March 29, 2024

आर्मी में नहीं होगी अब रेगुलर भर्ती!

अब यह स्थिति स्पष्ट हो गई है कि, सेना में अब पहले जैसी नियमित भर्तियां नहीं की जाएंगी। इस प्रकार, यदि अग्निवीर को सेना का जवान कहा जा रहा है तो यह भरमाया जा रहा है। वह सेना में तभी शामिल माना जायेगा जब चार साल बाद 25% में आ जायेगा। शेष 75% अग्निवीर जो घर वापसी करेंगे वे पूर्व सैनिक नहीं, बल्कि पूर्व अग्निवीर कहे जायेंगे। उन्हें ₹11.77 लाख मिलेगा और अन्य सरकारी नौकरियों में अग्निवीरों को आरक्षण देने का वादा है। 

हाई स्कूल/इंटर पास युवा अग्निवीर, 4 साल पढ़ाई लिखाई से दूर रह कर जब, 25% में नहीं आ पाएंगे, तब वे किसी और सरकारी सेवा के लिए प्रार्थना पत्र देंगे। तो, क्या उस समय वह, अपने उन प्रतियोगियों से जो इन सरकारी सेवाओं के लिए पहले से ही तैयारी कर रहे थे, की तुलना में टिक पाएंगे ? और इस बात की क्या गारंटी है कि, तब तक अग्निपथ जैसी कोई योजना पुलिस, केंद्रीय पुलिस बलों की भर्ती में भी न शुरू हो जाए?

अग्निपथ, क्या सेना के निजीकरण का एक शुरुआती रूप है? सेना का अर्थ केवल हथियार ही नहीं, बल्कि हथियार के पीछे बैठे सैनिक का शौर्य और मनोबल भी होता है। चार साल की संविदा पर भर्ती युवा, अनिश्चित भविष्य के ऊहापोह में पड़े, अपने दिन गिनते रहेंगे। अजीब गवर्नेंस है, नोटबंदी में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया आरबीआई के गवर्नर की राय नहीं ली गई, जीएसटी, लागू हुई तो व्यापारी संघों को दरकिनार किया गया, लॉकडाउन की जब घोषणा की गई तो, यह तक नहीं सोचा गया कि लोग अपने अपने ठिकानों पर पहुंचेंगे कैसे, और अब अग्निपथ योजना की घोषणा करते हुए, यह तक नहीं सोचा गया कि, नियमित सेनाभर्ती के इच्छुक युवाओं पर क्या बीतेगी और जो युवा, फिजिकल टेस्ट और मेडिकल परीक्षण पास कर चुके हैं उनकी क्या प्रतिक्रिया होगी। लोकतंत्र में यदि लोक की राय और प्रतिक्रिया की चिंता सरकार को नहीं है तो वह लोकशाही की सरकार नहीं है कुछ और है। 

अब जाकर धीरे-धीरे यह राज खुल रहा है कि अग्निपथ योजना सेना के नाम पर, युवाओं को, कॉर्पोरेट और बड़े संगठनों के लिए चौकीदार बनाने की साजिश भी है। सेना के नाम पर योग्य युवाओं को भर्ती करो, उन्हें चार साल की नौकरी मय ट्रेनिंग के दो, फिर उन्हीं के वेतन से कुछ पैसे काट कर, और कुल मिला कर लगभग बारह लाख रुपए देकर, 75% युवाओं को सेना से बाहर कर दो। फिर वे क्या करेंगे, यह बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय से सुनिए, “सेना की ट्रेनिंग में पहला डिसिप्लिन, दूसरा आज्ञा का पालन करना है। 

जब वो (अग्निवीर) ट्रेनिंग लेगा और चार साल की सेवा के बाद निकलेगा। साढ़े 17 साल से 23 साल की उम्र… यदि वो 21 साल की उम्र में भी भर्ती होता है, चार साल काम करता है तो 25 साल। 25 साल की उम्र में जब वो बाहर निकलेगा तो उसके हाथ में 11 लाख रुपये होंगे। और वो छाती पर अग्निवीर का तमगा लगाकर घूमेगा। किसी भी… मुझे अगर इस ऑफ़िस में, बीजेपी के ऑफ़िस में सिक्योरिटी रखना है तो मैं अग्निवीर को प्राथमिकता दूंगा।”

अब एक और केंद्रीय मंत्री का बयान पढ़िए। केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी कह रहे हैं कि, “अग्निवीरों को ड्राइवर, इलेक्ट्रिशियन, धोबी, नाई आदि की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे यह चार साल बाद यह सब काम भी अपना सकते हैं।”

इसका मतलब हुआ कि, वे न तो, सैनिक के पद पर, भर्ती हो रहे हैं और न ही वे सैनिक हैं। कैलाश विजयवर्गीय और किशन रेड्डी के इन बयानों पर कड़ी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।

तीनों सेनाओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस से आज यह बात निकलकर सामने आ गई कि पहले की तरह सेना में अब नियमित भर्तियां नहीं होंगी। कोरोना के कारण पिछले 2 साल से आर्मी में रेगुलर भर्ती बंद थी। पहले की जो भर्ती प्रक्रिया चल रही थी, उसमें जिनका फिजिकल और मेडिकल हो चुका है, वे युवा जॉइनिंग की उम्मीद में थे। लेकिन प्रेस वार्ता में यह स्पष्ट कर दिया गया कि उन वैकेंसीज का समायोजन भी अग्निपथ में ही कर दिया गया है। युवाओं के मन में भत्तों और अन्य सुविधाओं को लेकर भी कई सवाल हैं। आज दी गई जानकारी के अनुसार, अग्निवीरों को सियाचिन और अन्य दुरुह क्षेत्रों में पोस्टिंग होने पर वही भत्ता और सुविधाएं मिलेंगी जो वर्तमान में नियमित सैनिकों पर लागू होती हैं।

भारतीय वायु सेना ने रविवार को अग्निपथ भर्ती प्रणाली का विवरण जारी किया है, जिसकी प्रक्रिया 24 जून से शुरू होगी, जो चार साल की अवधि के लिए सेना में युवाओं की भर्ती करेगी। रक्षा मंत्रालय पहले ही अग्निवीर के लिए 10% आरक्षण की घोषणा कर चुका है, जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय पुलिस बल, CAPF और असम राइफल्स में उनकी भर्ती के लिए प्राथमिकता देगा। IAF दस्तावेज़ में कई अन्य कारकों के साथ, पात्रता, शैक्षिक योग्यता, चिकित्सा मानकों, मूल्यांकन, छुट्टी, पारिश्रमिक, जीवन बीमा कवर आदि का विवरण दिया गया है। आईएएफ अग्निवीर अनुबंध (संविदा) के 10 बिंदु यहां दिए गए हैं

 1. भारतीय वायुसेना के अग्निवीर, इस अवधि के दौरान अपनी वर्दी पर एक अलग प्रतीक चिन्ह पहनेंगे, जो IAF के नियमित प्रतीक चिह्न से अलग होगा।

2. अग्निवीर संविदा काल में, सम्मान और पुरस्कार के हकदार होंगे।

3. भारतीय वायुसेना, अपने अग्निवीरों का एक केंद्रीकृत उच्च गुणवत्ता वाला ऑनलाइन डेटाबेस बनाएगी, जिसमें, अग्निवीरों द्वारा प्राप्त किए कार्यों और उपलब्धियों का रिकॉर्ड और मूल्यांकन ब्योरा रखा जाएगा।

4. भारतीय वायुसेना के अग्निवीरों को प्रति वर्ष 30 अवकाश और अन्य बीमारी के कारण अवकाश, चिकित्सा सलाह के आधार पर मिलेंगे।

5. सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन से, असाधारण मामलों को छोड़कर, चार साल पूरे होने से पहले अपने स्वयं के अनुरोध पर अग्निवीरों को सेवामुक्त नहीं किया जाएगा।

6. इस योजना के तहत नामांकित व्यक्तियों को एक निश्चित वार्षिक वेतन वृद्धि के साथ ₹30,000 प्रति माह के अग्निवीर पैकेज का भुगतान किया जाएगा।  इसके अलावा जोखिम और कठिन तैनाती, वर्दी और अन्य यात्रा भत्ता का भुगतान किया जाएगा।

7. एक अग्निवीर कॉर्पस फंड बनाया जाएगा।  प्रत्येक अग्निवीर अपने पैकेज आय का 30% का अंश इस कोष में देगा। सरकार पब्लिक प्रोविडेंट फंड के बराबर, उस योगदान पर ब्याज मुहैया कराएगी।

सेवा निधि पैकेज का विवरण ~

8. चार साल के बाद, अग्निवीर, वह धनराशि, सेवा निधि पैकेज के रूप में, प्राप्त करने के लिए पात्र होंगे जो कि कॉर्पस फंड में उनके मासिक योगदान की संचित राशि और ब्याज के साथ सरकार के योगदान का योग होगा। यह राशि आयकर से मुक्त होगी।

9. अगर अग्निवीर अपने अनुरोध पर अपनी संविदा की अवधि जो चार साल है, से पहले सेवा से बाहर निकलना चाहते हैं, तो उन्हें केवल उनके स्वयं के योगदान से युक्त सेवा निधि पैकेज प्राप्त होगा। सरकार अपना अंशदान नहीं देगी।

10. अग्निवीरों को भारतीय वायुसेना में उनकी नियुक्ति की अवधि के लिए ₹48 लाख का जीवन बीमा कवर प्रदान किया जाएगा।

चूंकि भर्ती प्रक्रिया 18 साल से कम उम्र के लोगों के लिए भी खुली है, इसलिए नामांकन फॉर्म पर नाबालिगों के माता-पिता द्वारा हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होगी। यदि वे 18 साल से अधिक हैं तो, IAF दस्तावेज़ में कहा गया है कि, योजना के सभी नियमों और शर्तों को औपचारिक रूप से स्वीकार करते हुए दस्तावेज़ पर अग्निवीरों द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे। 

दस्तावेज़ में कहा गया है, 

“चार साल की अवधि के बाद, प्रत्येक अग्निवीर भारतीय वायुसेना द्वारा घोषित संगठनात्मक आवश्यकताओं और नीतियों के आधार पर समाज में वापस जाएगा।”

दस्तावेज़ में कहा गया है, “अग्निवीरों को सशस्त्र बलों में आगे नामांकन के लिए चुने जाने का कोई अधिकार नहीं होगा। उनके चयन का अधिकार, सरकार के विशेष अधिकार क्षेत्र में होगा।”

IAF ने कहा कि आयु सीमा (इस वर्ष 17.5 वर्ष से 23 वर्ष और अगले से 17.5 वर्ष से 21 वर्ष) के अलावा, आवश्यक शैक्षिक योग्यता, शारीरिक और चिकित्सा मानकों का विवरण बाद में दिया जाएगा।

फासिस्ट और जनविरोधी सत्ताएं अक्सर सेना के शौर्य, बलिदान, देशभक्ति आदि उदात्त भावों का दोहन करती हैं। यह इतिहास से जाना और सीखा जा सकता है। पर जो राज्य, लोकतंत्र और लोककल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर प्रतिबद्ध और शासित है में, यह जान लेना जरूरी है कि, सेना, सुप्रीम नहीं होती है। भारत कोई फासिस्ट देश और न ही किसी फासिस्ट सरकार के आधीन है। यहां, सेना भी सरकार के आधीन एक सिस्टम है और देश की रक्षा के लिए संविधान के अंतर्गत गठित है। 

वह सरकार और संसद के आधीन है। उसे इन सबसे अलग कर के देखना घातक होगा। देश की जनता के टैक्स से उसका बजट तय होता है। उस बजट की ऑडिटिंग होती है और उसके खर्चे संसद की लोक लेखा समिति के समक्ष रखे जाते हैं। सेना द्वारा लिए गए कतिपय प्रशासनिक निर्णय भी न्यायिक समीक्षा के अंतर्गत आते हैं। संसद में उस पर सवाल उठाए जा सकते हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, NHRC सैनिक कृत्यों की जांच कर सकता है।

भारत में ही, सरकार, एक नौसेनाध्यक्ष को बर्खास्त भी कर चुकी है। यह किस्सा, अटल बिहारी वाजपेई की सरकार के समय का है, जब जॉर्ज फर्नांडिस रक्षा मंत्री थे। सेना की कठिन और जोखिम भरी परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें जरूरी संसाधन, सुविधाएं और आयुध आदि सरकार उपलब्ध कराती है। सेना के आधुनिकीकरण की एक नियमित प्रक्रिया है, उसके अपने रिसर्च एंड डेवलपमेंट संस्थान हैं, उनके प्रशिक्षण को आधुनिक रूप से अद्यावधिक किया भी जाता है, दुनिया के अन्य देशों के साथ संयुक्त रूप से सैन्य अभ्यास भी होते रहते हैं, और भारतीय सेना संभवतः दुनिया की अकेली सेना है जो सियाचिन के माइनस 30 डिग्री सेल्सियस से लेकर राजस्थान के रेतीले इलाकों की 48 डिग्री सेल्सियस पर दुश्मन से युद्ध करती है और विजय ध्वज फहराती है। दुनिया भर में हमारी सेनायें उन सेनाओं में शुमार होती हैं, जिसका स्वरूप अब तक अराजनीतिक बना हुआ है और इसे आगे भी बनाए रखना ही उचित होगा।

सेना और देशभक्ति का राग बार बार अलाप कर सरकार अपने गवर्नेंस की खामियां नहीं छुपा सकती है। सेना का प्रोफेशनल स्वरूप, देशहित में बनाए रखना अनिवार्य होगा। जिस तरह कभी नोटबंदी को, देश की सभी आर्थिक समस्याओं का अनिवार्य निदान समझा जाता था, वैसे ही आज अग्निपथ, देश की बेरोजगारी समस्या की रामबाण औषधि समझी जा रही है। ऑर्केस्ट्रा के बैंड मास्टर ने डंडी लहराई, धुन छेड़ी, साज बजने लगे, साजिंदे डोलने लगे।

(विजय शंकर सिंह रिटायर्ड आईपीएस अफसर हैं और आजकल कानपुर में रहते हैं।)

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