बीजापुर। नक्सल प्रभावित इलाकों में ग्रामीणों और जवानों के बीच तकरार का सिलसिला जारी है। अब बीजापुर के दो गांव के ग्रामीणों ने जवानों पर स्कूली छात्रों को नक्सली बताकर जबरन गिरफ्तार करने का आरोप लगाया है। आक्रोश इस कदर हावी था कि भरी बरसात में ग्रामीण जवानों के खिलाफ आंदोलन के लिए एकजुट हो गए। और उन्होंने न केवल प्रदर्शन किया बल्कि राज्यपाल के नाम प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा।
ग्रामीणों का आरोप है कि बीते दिनों में जवानों ने तीन स्कूली छात्रों को नक्सल मामले में फंसाकर जेल में डाल दिया है। 11 अगस्त को 10वीं कक्षा में पढ़ने वाले एक छात्र को डीआरजी के जवानों ने पकड़कर जेल में डाल दिया जिस पर नक्सली होने का आरोप लगाया गया है, वहीं 28 अगस्त को भी सीआरपीएफ जवानों पर 12 और 15 साल के दो छात्रों को नक्सल मामले में पकड़े जाने के आरोप लगाए गए हैं।
कल सुबह ही गंगालूर पंचायत भवन में तोड़का और पालनार के सैकड़ों ग्रामीण इकट्ठा हो गए थे और उन्होंने जवानों पर नाबालिग छात्रों को नक्सल मामले में फंसाने के आरोप लगाए हैं, ग्रामीणों का कहना है कि जिस तरह मासूम छात्रों को नक्सल मामले में फंसा कर जेल में डाला जा रहा है, उससे बस्तर के अंदरूनी इलाकों के छात्रों में दहशत का माहौल है और बच्चे पढ़ाई छोड़कर घर बैठ रहे हैं।
भारतीय लोकतंत्र की यह अजीब विडंबना है जिस जनता के इशारे पर पूरे सिस्टम को चलना था वह उसी का उत्पीड़क हो गया है। यानि पूरे लोकतंत्र को सिर के बल खड़ा कर दिया गया है। एक तो वैसे ही कोरोना के चलते बच्चों की पढ़ाई बुरी तरीके से बाधित हो गयी थी अब नक्सली बताकर जेल में डाल दिए जाने के डर ने बच्चों को घर पर बैठने के लिए मजबूर कर दिया है। और यह सब कुछ हो रहा है कांग्रेस के राज में। और उस छत्तीसगढ़ में जिसको कांग्रेस अपनी सत्ता के आदर्श राज के तौर पर पेश करती रही है।
वही पूरे मामले में बीजापुर एसपी कमलोचन कश्यप का कहना है कि किसी भी निर्दोष व्यक्ति पर कोई कार्यवाही नही की गई है, नक्सल मामलो में लिप्त लोगो पर ही कार्यवाही की जा रही है।
(बीजापुर से जनचौक के संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)
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