अर्नब से अब देश सवाल पूछ रहा है- ‘क्या है यह गोरखधंधा!’

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क्या पता था कि पूछता है भारत के लिए तिकड़में की जाती रहीं। चैनल को नंबर एक बनाने के लिए परदे के पीछे खेल होता रहा। सुशांत सिंह राजपूत को इंसाफ दिलाने के लिए महीनों झूठ को सच की तरह परोसने में लगा रिपब्लिक टीवी अब खुद ही कठघरे में है। टीआरपी के गोरखधंधे में वह फंसा और फंसा भी इस बुरी तरह कि सब कुछ स्याह ही दिखाई दे रहा है, सफेद कुछ भी नहीं है। मुंबई पुलिस ने टीआरपी के इस गोरखधंधे का भंडाफोड़ किया तो सवाल उठेंगे और पूछे भी जाएंगे कि, ‘पूछता है भारत कि इस खेल के पीछे कौन सा खेल है’।

यूं देश भी तो जानना चाहता है कि, ‘पूछता है भारत कि पीछे का खेल क्या था’। इस पर टीवी के जानेमाने पत्रकार आलोक जोशी, साक्षी जोशी, सामाजिक कार्यकर्ता ताहिरा हसन, जनादेश के संपादक अंबरीश कुमार और राजेंद्र तिवारी ने इस खेल के उन स्याह पहलुओं पर खुल कर बात की।

राजेंद्र तिवारी ने चर्चा का संचालन करते हुए कहा कि मुंबई में ऐसा घटनाक्रम हुआ, जिससे मीडिया पर सवाल खड़े हो गए। खास कर उस चैनल पर जिस चैनल को लेकर लगातार चर्चा होती रहती थी।

आलोक जोशी ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि यह कहानी सबको पता थी। मीडिया के लोगों को अंदर ही अंदर पता था कि इस तरह का खेल चल रहा है, लेकिन अब यह बात खुल कर सामने आ गई है। खुली इस तरह से बात कि जो चैनल पिछले दस-बारह हफ्तों से दावा कर रहा है कि वह देश का नंबर एक चैनल बन गया है तो उस दावे के पीछे टीआरपी की चोरी-चकारी है। दो नंबर का काम है और पैसा खिला कर यह नंबर बनाया गया है।

प्रतीकात्मक फोटो।

उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस ने एक जांच में इसे निकाला है। इसमें कौन आदमी किस हद तक शामिल है, यह कहना मुश्किल है, क्योंकि पुलिस नहीं कह रही है इसलिए हम नहीं कह सकते हैं, लेकिन जिन दुकानों में सब कुछ एक ही आदमी तय करता है, जहां हेडलाइन से लेकर गेस्ट तक वही तय करता हो, वहां चोरी करने का फैसला कोई छोटा आदमी कर रहा होगा यह मैं मान नहीं सकता और मेरा मानना है कि बात पहुंचेगी वहीं तक। अब सबको समन जाएंगे प्रमोटरों को चेयरमैन को। चेयरमैन अर्नब गोस्वामी हैं और आमतौर पर वे भारत की तरफ से दुनिया भर से सवाल पूछते हैं, आज भारत उनसे पूछ रहा है कि क्या हेराफेरी है।

अंबरीश कुमार ने इस हेराफेरी के सवाल पर कहा कि प्रिंट में भी हेराफेरी चल रही है। अखबारों के प्रसार को लेकर धांधली होती रही है। पहले भी होती थी, लेकिन इस तरीके की टीवी जगत में, चैनल वालों में ऐसी धांधली होगी और वे लोग करेंगे जो नैतिकता के सबसे बड़े पैरोकार बने हुए थे। तीन महीने से पूरे देश को गुमराह किया था, रिया और सुशांत सिंह को लेकर। बहुत ही बेशर्मी और बेहयाई के साथ अर्नब ने कार्यक्रम किए थे, पता नहीं कौन देश उन्हें देखता था, हम भी समझ नहीं पाते थे। अब तो लगता है कि फर्जी देश था उनका अपना देश बहुत फर्जी किस्म का देश था। जो भी मामला सामने आया है, वह फर्जीवाड़े की पराकाष्ठा है। टीवी चैनल से जुड़े लोग इसे ज्यादा बेहतर बताएंगे, हमलोग तो चैनल से दूर रहे हैं अब तक।

साक्षी जोशी ने कहा कि मुझे तो आपसे ईर्ष्या हो रही है अंबरीश जी कि आप चैनल से दूर रहे। काश मैं भी ऐसा कह पाती, लेकन कह नहीं पाऊंगी। जैसा कि आपने कहा कि कौन सा देश देखता था। देखिए बात यह है कि कोई कुछ भी कह ले कि मुझे देख रहे हैं लोग, पूछता है भारत तो बेसिकली वे अपने बब्ल की बात करते थे, रिपब्लिक भारत की बात करते थे, क्योंकि असली भारत तो कोई उन्हें देखता नहीं था। अब तो यह साबित भी हो गया है कि आप टीआरपी मीटर खरीद रहे थे। वैसे मीडिया जगत की बात की जाए तो सबको पता है कि यह होता है, लेकिन किस स्तर पर हो रहा है यह पता नहीं चल पा रहा है। कौन करता है, कौन इस खेल में शामिल है और यह कभी इस तरह से उजागर नहीं हुआ, लेकिन पहली बार एक निदेशक का नाम लेकर और चैनल को चिन्हित करके बोला जा रहा है और यह पहली बार चैनलों के इतिहास में हुआ है।

ताहिरा हसन ने कहा कि मैं तो कहूंगी कि मुझे दुख हो रहा है, क्योंकि हम तो मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मानते आए हैं, तमाम खराबियों-कमियों के बाद भी, लेकिन आज जो तथ्य सामने आए बीएआरसी ने किसी संस्था को पैसे देकर उसकी सेवाएं ली थी और जो पता चला वह हैरत में डालने वाला है। चार-पांच सौ रुपये देकर टीआरपी बढ़ाने के लिए उन्हें भी कहा जाता था, जिन्हें अंग्रेजी नहीं आती थी तो कोई आदर्श और मूल्य उनका नहीं था। तो देश को यह किस तरफ ले जा रहे हैं, यह दुखद है।

(वरिष्ठ पत्रकार अंबरीश कुमार शुक्रवार के संपादक हैं और 26 वर्षों तक एक्सप्रेस समूह में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।)

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