नई दिल्ली। क्या भारत सरकार देश में अमेरिका को अपना सैनिक अड्डा स्थापित करने की इजाजत देने जा रही है। इसका संकेत अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने दिया है। उन्होंने कहा है कि इस सिलसिले में दिल्ली से बात चल रही है जिसमें अफगानिस्तान पर ऊपर से निगरानी रखने और जरूरत पड़ने पर आतंकियों पर हमले के लिए भारत के हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल की बात शामिल है।
ब्लिंकन ने कहा कि बाइडेन प्रशासन इस मसले पर भारत सरकार के साथ गंभीरता से बात कर रहा है। दिलचस्प बात यह है कि इस मसले पर अमेरिकी कांग्रेस की हाउस आफ रिप्रजेंटेटिव की विदेश मामलों की समिति में बात भी हो चुकी है।
ब्लिंकन रिपब्लिकन पार्टी के प्रतिनिधि मार्क ई ग्रीन के उस सवाल का जवाब दे रहे थे जिसमें उन्होंने पूछा था कि क्या बाइडेन प्रशासन ने आकाश की क्षमताओं के इस्तेमाल के लिए नई दिल्ली से संपर्क किया है। इसके तहत उत्तर-पश्चिम भारत के किसी हिस्से में जमीन मुहैया कराने की बात शामिल है। और फिर वहां से अफगानिस्तान के जरिये अमेरिका के किसी खतरे को कैसे उदासीन किया जा सके। गौरतलब है कि अमेरिका अब पाकिस्तान पर भरोसा नहीं कर पा रहा है क्योंकि अफगानी तालीबानी फोर्सेज का आईएसआई के साथ घनिष्ठ रिश्ता बन गया है।
ब्लिंकन ने कहा कि हम भारत के साथ इस मसले पर गंभीरता से बात कर रहे हैं। हालांकि उन्होंन बातचीत का कोई विस्तृत विवरण नहीं दिया। बताया जा रहा है कि इसके साथ अमेरिका ड्रोन समेत तमाम हवाई हमले का भारत की धरती से अधिकार हासिल करना चाहता है।
हालांकि आतंकवाद अभी भी दुनिया में एक बड़ा खतरा बना रहेगा। लेकिन इस पर अमेरिका का कहना है कि उसने अगर अपनी सेना को ग्राउंड पर उतारने की जगह खतरे से निपटने के लिए ड्रोन या फिर दूसरे तरीके का इस्तेमाल कर सकता है तो उसे क्यों नहीं उस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
सबसे नजदीक हवाई अड्डा जो अमेरिका इस्तेमाल कर सकता है वह कतर, कुवैत और खाड़ी देशों के दूसरे देशों में हैं। लेकिन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के इलाके इससे बहुत दूर पड़ते हैं। ऐसे में भारत अमेरिका की इस संबंध में सबसे बड़ी जरूरत बन जाता है।
हालांकि दिल्ली सरकार की तरफ से इस मसले पर अभी कोई टिप्पणी नहीं की गयी है। बताया जा रहा है कि यूएस स्पेशल ऑपरेशन कमांड के जनरल रिचर्ड डी क्लार्क ने जुलाई में भारत की यात्रा की थी और इस दौरान उनकी भारतीय सेना के प्रमुख एमएम नरवाने से मुलाकात की थी।
इसके साथ ही यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड के कमांडर एडमिरल जॉन सी एक्विनो ने भी दिल्ली का दौरा किया था और उन्होंने चीफ ऑफ डिफेंस जनरल बिपिन रावत से भी मुलाकात की थी। और यह यात्रा अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में वापस आने के 10 दिन बाद हुई थी।