पीएम केयर्स फंड पर फंसी मोदी सरकार, बॉम्बे हाई कोर्ट ने जवाब मांगा

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नई दिल्ली। पीएम केयर्स फंड को लेकर जो सुप्रीम कोर्ट से नहीं हो पाया, वह बॉम्बे हाई कोर्ट ने कर दिखाया है। मंगलवार 2 जून को बॉम्बे हाई कोर्ट ने पीएम केयर्स फंड की इन्फॉर्मेशन पब्लिक करने और इसकी ऑडिटिंग कैग से कराने के लिए पड़ी याचिका पर केंद्र की मोदी सरकार को नोटिस जारी किया है। हालांकि सुनवाई के दौरान मोदी सरकार के वकील ने इस याचिका का जमकर विरोध किया और यह कहकर इस याचिका को खारिज कराने की पूरी कोशिश की कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी ही याचिका को पहले ही खारिज कर दिया है, इसलिए बॉम्बे हाई कोर्ट को भी इसे खारिज कर देना चाहिए।

इस पर बॉम्बे हाई कोर्ट की दो जजों की बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की याचिका दूसरी थी और यह याचिका दूसरी है। यह याचिका पहले वाले मामले से अलग है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में पीएम केयर्स फंड की वैधता को चुनौती देने वाली दो याचिकाएं पड़ी थीं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ एडवोकेट अरविंद वाघमारे की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुनील बी शुक्रे और अनिल ए किलोर की नागपुर बेंच ने केंद्र की मोदी सरकार को निर्देश दिया कि वे अपने जवाब में हलफनामा दायर करें और अपनी स्थिति साफ करें। इस सुनवाई में मोदी सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह पेश हुए। एएसजी अनिल सिंह ने पीठ से कहा कि ये याचिका खारिज कर दी जानी चाहिए क्योंकि ऐसी ही एक याचिका को अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पीएम केयर्स फंड की वैधता को चुनौती देने वाले दो अलग-अलग याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इस पर जस्टिस सुनील बी शुक्रे और अनिल ए किलोर की नागपुर बेंच ने कहा कि इस याचिका में अलग मुद्दा उठाया गया है और ये सुप्रीम कोर्ट वाले मामले से अलग है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को दो हफ्ते के भीतर हलफनामा दायर कर अपना जवाब देने को कहा है। एडवोकेट अरविंद वाघमारे की इस याचिका में कहा गया है कि 28 मार्च को पीएम केयर्स का गठन किया गया था और पहले हफ्ते में ही इसमें 6,500 करोड़ रुपये इकट्ठा हो गए थे। लेकिन अभी तक इससे संबंधित कोई भी आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया गया है।

कोरोना महामारी से लड़ने के नाम पर आम जनता से आर्थिक मदद प्राप्त के लिए भारत सरकार ने पीएम केयर्स फंड नाम का एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके अध्यक्ष हैं और गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री इसके सदस्य हैं। एडवोकेट अरविंद वाघमारे ने अपनी याचिका में आगे कहा है कि पीएम केयर्स फंड की गाइडलाइन के मुताबिक, अध्यक्ष और तीन अन्य ट्रस्टी के अलावा अध्यक्ष तीन और ट्रस्टी को नॉमिनेट कर सकता है लेकिन 28 मार्च से अब तक इस ट्रस्ट में कोई नियुक्ति नहीं की गई है। एडवोकेट अरविंद वाघमारे ने कोर्ट से ये निर्देश देने की मांग की है कि इस ट्रस्ट में विपक्षी दलों के कम से कम दो लोगों की नियुक्ति की जाए ताकि फंड की पारदर्शिता बनी रहे। इसके अलावा यह भी मांग की गई है कि सरकार के अनुसार किसी स्वतंत्र ऑडिटर के बजाय पीएम केयर्स फंड की ऑडिटिंग कैग करे।

वैसे यह बात कम ही लोगों को मालूम है कि बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच नरेंद्र मोदी सरकार से पीएम केयर्स फंड पर पिछले महीने यानि की मई में भी जवाब मांग चुकी है। 12 मई को ही बांबे हाईकोर्ट ने एडवोकेट अरविंद वाघमारे की उस एप्लिकेशन पर केंद्र की मोदी सरकार से जवाब मांगा था, जिसमें कोविड-19 महामारी के बीच सरकार द्वारा गठित ‘आपात स्थिति प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं राहत कोष’ यानी कि पीएम केयर्स फंड को जितना भी पैसा मिला है, उसकी धनराशि राशि की घोषणा किये जाने की मांग की गई थी।

तब इस मामले की सुनवाई बॉम्बे हाई कोर्ट की एक सदस्यीय बेंच ने केंद्र की और उसने मोदी सरकार से जवाब मांगा था। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के जस्टिस माधव जामदार ने 12 मई को एडवोकेट अरविंद वाघमारे की अर्जी पर सुनवायी की थी। इस अर्जी में सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि वह प्राप्त धनराशि और किये गए खर्च को सरकारी वेबसाइटों पर समय समय पर जारी करे।

अदालत ने केंद्र सरकार से एडवोकेट अरविंद वाघमारे की अर्जी के जवाब में एक हलफनामा दायर करने को कहा और मामले की अगली सुनवायी अगली तारीख 15 मई तय की थी। ऐसा लगता है कि इस बार इसी याचिका की सुनवाई हुई है, लेकिन इसकी बेंच बदल गई है। इस याचिका का भी कंटेंट वही था, जो अभी उस मौजूदा याचिका का है, जिस पर बेंच ने केंद्र की मोदी सरकार से जवाब देने के लिए कहा है।

(राइजिंग राहुल की रिपोर्ट।)

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