बांबे हाईकोर्ट ने दिए लोया मामले के गवाह सतीश यूके के दफ्तर पर हुए हमले के जांच के आदेश

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नई दिल्ली/नागपुर। सीबीआई जज बीएच लोया मामले में हुई एक महत्वपूर्ण प्रगति में बांबे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने एडवोकेट सतीश यूके के दफ्तर पर हुए हमले की जांच के आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि सतीश यूके के दफ्तर की छत पर 8 जून, 2016 को 10 हजार किलो का एक लोहे का गर्डर गिर गया था जिससे उनका पूरा दफ्तर तहस नहस हो गया था। जिसमें कंप्यूटर से लेकर उनके सारे सामान छिन्न-भिन्न हो गए थे। संयोग से उस समय सतीश यूके किसी काम से बाहर निकले हुए थे लिहाजा उनकी जान बच गयी।

यूके का कहना है कि उन्होंने घटना के तुरंत बाद मामले की रिपोर्ट इलाके के पुलिस स्टेशन अजनी में की थी। लेकिन पुलिस ने स्टेशन डायरी में इसकी कोई एंट्री नहीं की। और न ही इस सिलसिले में उसने कोई एफआईआर दर्ज किया। लिहाजा इस मामले में उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी जिसमें उन्होंने अजनी पुलिस स्टेशन को रिकार्ड तैयार करने के साथ ही कानूनी प्रक्रिया को पूरा न करने वाले संबंधित पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।

आज बांबे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने अजनी पुलिस स्टेशन को रिपोर्ट की एंट्री लेने और याचिकाकर्ता की शिकायत दर्ज करने के बाद आगे की कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

साथ ही उसने पुलिस कमिश्नर को संबंधित पुलिस अफसर के लापरवाही बरतने और अपनी ड्यूटी न करने की जांच का निर्देश दिया।

कोर्ट का कहना था कि उसने 9 दिसंबर, 2019 को मामले की सुनवाई करने के बाद पुलिस स्टेशन को संबंधित समयांतराल की असली स्टेशन डायरी पेश करने का निर्देश दिया। पुलिस स्टेशन की तरफ से आज स्टेशन डायरी पेश की गयी। याचिकाकर्ता ने इस बात को चिन्हित किया था कि उस दिन महिला सब इंस्पेक्टर सुश्री एलजी चौधरी सुबह 10.07 बजे से रात 10.10 मिनट तक ड्यूटी पर थीं। उन्होंने स्टेशन डायरी में कुछ एंट्री भी की थी। लेकिन उन्होंने पुलिस स्टेशन से निकल कर घटना स्थल तक जाने और याचिकाकर्ता की शिकायत की एंट्री डायरी में शामिल नहीं किया था।

उसके बाद जवाब के तौर पर 15 जुलाई 2018 को कलमबंद किया गया एलजी चौधरी के बयान कोर्ट में पेश किया गया। बयान में उन्होंने कहा है कि पुलिस स्टेशन में शाम को छह बजे एक फोन आया। फोन करने वाले ने अपना नाम एडवोकेट सतीश यूके (मौजूदा याचिकाकर्ता) बताया और फिर उसने घटना की सूचना दी।

जजमेंट में बताया गया है कि पैराग्राफ-5 में पुलिस इंस्पेक्टर की ओर से दिए गए जवाब में बताया गया है कि 8 जून, 2016 को याचिकाकर्ता की तरफ से शाम 7.40 बजे रिपोर्ट हासिल करने के बाद ड्यूटी पर मौजूद संबंधित पुलिस अफसर ने घटनास्थल का दौरा किया था। साथ ही उसने मौके पर पंचनामा भी किया था। इस तरह से शिकायत के मिलने, याचिकाकर्ता की रिपोर्ट और पुलिस पार्टी के घटनास्थल का दौरा तथा पंचनामे को तैयार करने की बात पुलिस स्टेशन द्वारा स्वीकार किया गया है।

अजनी पुलिस स्टेशन में 23 अप्रैल, 2018 को की गयी शिकायत।

कोर्ट ने कहा कि इन तथ्यों के मद्देनजर हम पाते हैं कि पुलिस स्टेशन द्वारा लिया गया स्टैंड औऱ स्टेशन डायरी में एंट्री न लेने के पीछे दिए गए तर्क को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। लिहाजा याचिकाकर्ता की इस बात में दम है कि संबंधित पुलिस अफसर के स्तर पर लापरवाही हुई है।     

आपको बता दें कि जज लोया मामले में सामने आये जजमेंट ड्राफ्ट के बारे में एडवोकेट श्रीकांत खंडालकर, रिटायर्ड जज प्रकाश थोम्ब्रे के अलावा जिस तीसरे शख्स को जानकारी थी वह एडवोकेट सतीश यूके थे। पहले दो लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी है। इसमें सतीश यूके अकेले शख्स हैं जो अभी जिंदा हैं। उनका कहना है कि 6 जून, 2016 को उनके दफ्तर पर हुआ यह हमला उनकी जान लेने की साजिश का हिस्सा था।

सतीश यूके ने कहा कि घटना के तुरंत बाद शिकायत करने पर पुलिस ने पंचनामा किया था। लेकिन बाद में जब उन्हें कुछ दस्तावेजों की जरूरत पड़ी तो उन्होंने पुलिस स्टेशन का रुख किया लेकिन वहां बताया गया कि उनके पास ऐसा कोई रिकार्ड मौजूद नहीं है।

उसके बाद सतीश यूके ने 23 अप्रैल 2018 को जवाबदेह शख्स के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर बांबे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर दी। जिसमें 8 जून 2016 की घटना की जांच की मांग भी शामिल थी। साथ ही याचिका में उन्होंने जिम्मेदार पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश देने की गुजारिश की थी।

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