एक जमाना था जब देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद, प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई और पूर्व सूचना…
मानवता की एक सच्ची दुनिया की कल्पना: जहां सामूहिक प्रगति संभव हो सके
कल्पना कीजिए एक ऐसी दुनिया की, जहां अमीर और गरीब के बीच कोई विभाजन न हो। एक ऐसी दुनिया जहां…
पुरस्कारों से ऊपर है गांधीवादी राधा भट्ट का नाम
देश के हजारों कार्यकर्ताओं बच्चों की मां, मौसी और बड़ी दीदी की तरह 91 साल की राधा बहन का नाम…
गणतंत्र के 75 वर्ष : दीवारें ये गिर जातीं तो जश्न मनाते हम भी
75वां गणतंत्र या प्रजातंत्र दिवस हम सब के लिए गर्व और गौरव का दिवस है। संविधान लागू हुए 75 वर्ष…
पुस्तक समीक्षा: शोषणकारी, अत्याचारी शक्तियों और धार्मिक सामाजिक कुरीतियों का प्रतिरोध करती तसलीमा नसरीन की पुस्तक
तसलीमा नसरीन अपने बेबाक बोलों के लिए जानी जाती हैं। लैंगिक भेदभाव और महिला विरोधी धार्मिक कर्मकाण्डों पर सीधा प्रहार…
शिवरानी देवी अपने समय से बहुत आगे की लेखिका थीं: अशोक वाजपेयी
नई दिल्ली। हिंदी के प्रख्यात लेखक एवं संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी ने लेखकों विशेषकर महिला रचनाकारों से अपने लेखन में अपने…
अनवर मिर्ज़ा लघुकथा और कहानी के फन से बख़ूबी वाक़िफ़ हैंः धीरेन्द्र अस्थाना
उर्दू कथाकार अनवर मिर्ज़ा के लघुकथा संग्रह ’शाम ए गरीबाँ’ के हिन्दी संस्करण का लोकार्पण एवं चर्चा गोष्ठी का आयोजन…
पुस्तक समीक्षा: आदिवासी समुदाय में बदलाव की बयार का अहसास कराती कविताएं
आदिवासी अपने जल, जंगल, जमीन और जानवरों से जुड़ाव के लिए जाने जाते हैं। अपनी अलग सभ्यता-संस्कृति के लिए पहचाने…
आज़ादी के बाद देश-समाज की कशमकश का बारीक चित्रण है ‘चक्का जाम’ उपन्यास
नई दिल्ली। आज से करीब सत्तर वर्ष पहले के काल में जाकर गौतम चौबे ने जिस तरह ‘चक्का जाम’ उपन्यास…
पत्रकारिता और पत्रकारों के जोखिम को दिखाती भारतीय फिल्में
गत वर्षों में भारत में निर्मित अनेक फिल्मों में पत्रकारों की दुनिया को दिखाया गया है। इनमें से कुछ फिल्में…