हमें प्रतिक्रियावादी होने से बचना चाहिए: वसंत त्रिपाठी

नई दिल्ली। एक ही लेखक की दो रचनाओं की रचना प्रक्रिया भी एक जैसी नहीं होती और काव्य सृजन प्रक्रिया…

अली सरदार जाफ़री: परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम होती रहेगी

तरक़्क़ीपसंद तहरीक और अदब पर ऐतराज़ात पहले भी होते थे, आज भी होते हैं और आइंदा भी होते रहेंगे। लेकिन…

मीना भाभी: तुमसा मिला न कोय!

बड़े शौक़ से सुन रहा था ज़माना हमीं सो गये दास्ताँ कहते-कहते… पिछले दिनों समकालीन जनमत में धारावाहिक रूप से…

महिला आरक्षण पर मेरा रंग फाउंडेशन की संगोष्ठी: महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में जातिगत आंकड़ों का भी रखें ध्यान

गोरखपुर। “महिलाओं की राजनीति में भागीदारी को सुनिश्चित करने के हर प्रयास में इस बात का ध्यान रखना होगा कि…

एक महिला के संघर्ष पर बनी फिल्म ‘ढाई आखर’ का विश्व प्रीमियर आज

हिंदी फिल्म ‘ढाई आखर’ (ढाई अक्षर) को गोवा में हो रहे 54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) 2023 के प्रतियोगिता…

ख़्वाजा अहमद अब्बास का लेख: कृश्न चंदर! मेरा हमदम, मेरा दोस्त

कृश्न चंदर से मैं आख़िरी बार बंबई अस्पताल में मिला। मैं वहां पांच बजे शाम को गया था। अंदर जाने…

स्मृति दिवस: फै़ज़ अहमद फै़ज़ की शख़्सियत

(तरक़्क़ीपसंद अदीब और जर्नलिस्ट हमीद अख़्तर (जन्म : 12 मार्च 1923, निधन : 17 अक्टूबर 2011), तरक़्क़ीपसंद तहरीक के उरूज…

अदीबों की नज़र में नेहरू: ऐ ला-फ़ानी जवाहरलाल नेहरू, रूहे इंसानियत का सजदा कुबूल कर

पंडित जवाहरलाल नेहरू एक अज़ीम सियासतदां, सुलझे हुए दानिश्वर और बेजोड़ स्पीकर ही नहीं, बल्कि एक बेहतरीन अदीब भी थे।…

रूदाद-ए-अंजुमन: भूले-बिसरे हिंदोस्तान की दास्तान

आज़ादी की लड़ाई का समय हिंदोस्तान की तारीख़ का वह कालखंड है, जो अपनी कु़र्बानी, जुनून, वतनपरस्ती, मुल्क के झंडाबरदारों…

अख़्तर-उल-ईमान, जिनकी नज़्मों में इश्क-मुहब्बत ही नहीं, ज़िंदगी की जद्दोजहद दिखाई देती है

अख़्तर-उल-ईमान अपने दौर के संज़ीदा शायर और बेहतरीन डायलॉग राइटर थे। अक्सर लोग उन्हें फ़िल्मी लेखक के तौर पर याद…