बस्तर: RRS के लोगों ने ईसाइयों को दफनाने के लिए जमीन न देने का आह्वान किया

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बस्तर। बस्तर संभाग में ईसाइयों पर हो रहे अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अभी कुछ महीने पहले ही बस्तर संभाग की पंचायतों में ईसाइयों का बहिष्कार करने का ऐलान किया गया था। कुछ दिन पहले जगदलपुर के पास एक ईसाई परिवार को मृत्यु के बाद दफनाने नहीं देने का मामला सामने आया था। इसी सप्ताह नारायणपुर में एक ईसाई की शादी नहीं होने दी गई। लगातार ऐसी घटनाएं बस्तर संभाग में देखने को मिल रही हैं।

नया मामला बस्तर जिले के तोकापाल ब्लॉक के बड़े आरापुर गांव का है। खबरों के अनुसार यहां के आरएसएस के बहकावे में आए आदिवासियों ने ईसाइयों के खिलाफ अपने फरमान को लेकर बस्तर के कलेक्टर कार्यालय को ज्ञापन सौंपा है।

ईसाइयों से संबंध रखने पर देना होगा जुर्माना

दरअसल आरापुर गांव में 23 मई को हुई बैठक में यह निर्णय किया गया था कि गांव में ईसाइयों को दफनाने नहीं दिया जाएगा। इतना ही नहीं गांव का कोई भी व्यक्ति अगर ईसाई व्यक्ति से किसी तरह का संबंध रखता है या फिर उसके घर या खेत में काम करता हुआ पाया जाता है तो उससे पांच हजार से लेकर 51 हजार रुपये तक का जुर्माना लिया जाएगा। गांव की सीमा के भीतर ईसाइयों की संस्कृति और धर्म का प्रचार-प्रसार नहीं करने दिया जाएगा।

यहीं नहीं अपने इन फरमानों को लेकर ये लोग शुक्रवार के दिन बड़ी संख्या में जगदलपुर कलेक्ट्रेट पहुंच गए। इसमें गांव के पुजारी, गायता समेत अन्य लोग शामिल थे। इन्होंने अपने फरमान के 17 बिंदुओं पर संबंधित ज्ञापन भी अधिकारी को सौंपा।

कलेक्ट्रेट जाते ग्रामीण

ज्ञापन के जरिए प्रशासन को बताया गया है कि गांव की भूमि के खरीदने और बेचने एवं अधिग्रहण के लिए ग्रामसभा की अनुमति जरूरी होगी। अगर कोई व्यक्ति ग्रामसभा की अनुमति के बिना यह सारा काम करता है तो ग्रामसभा इसे निरस्त कर सकती है। बिजनेस करने वाले लोगों को गांव में प्रवेश करने से पहले आधार कार्ड, परिचय पत्र, फोटो, मोबाइल नंबर, आवेदन, दिन, समय, व्यापार मूल्य, बाजार मूल्य ग्रामसभा को देना होगा। अगर ग्रामसभा बिजनेस करने की अनुमित देगी तो व्यापार कर सकेंगे, बिना अनुमति के बिजनेस करने पर ग्रामसभा व्यक्ति को दंडित करेगी।

आदिवासी परंपरा को मानना होगा

गांव में पूर्वजों से चली आ रही परंपरा को मानना होगा। बाहरी त्योहारों को मनाने की परंपरा गांव में नहीं चलेगी। ईसाइयों के मृत्युपरांत गांव में दफनाने के लिए जमीन नहीं दी जाएगी। बाकी गांव में होने वाली शादियां, नामकरण या अन्य कार्यक्रम पुजारी की अनुमति से किए जाएंगे।

शुक्रवार को कलेक्टर ऑफिस आए लोगों का कहना है कि, गांव में ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार और धर्म परिवर्तन के कारण गांव का माहौल बिगड़ रहा है। इतना ही नहीं गांव की परंपरा, रीति-रिवाज सब खत्म हो रहे हैं। अगर कोई भी व्यक्ति आदिवासियों की संस्कृति और परंपरा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा तो उसे ग्रामसभा द्वारा दंडित किया जाएगा।

(बस्तर से पूनम मसीह की रिपोर्ट)

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