नागरिकता कानून: दिल्ली से लेकर असम और बंगाल से लेकर त्रिपुरा तक जारी है विरोध का सिलसिला, असम में 3 और मौतें

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नई दिल्ली। नागरिकता कानून पर असम में विरोध का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। विरोध प्रदर्शन के दौरान तीन और लोगों की मौत हो गयी है। इसमें दो मौतें बृहस्पतिवार को और एक शनिवार को हुई है। इस तरह आंदोलन के दौरान मरने वालों की कुल संख्या 5 हो गयी है।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बृहस्पतिवार को मरने वालों के नाम ईश्वर नायक और अब्दुल अलीम हैं। इनकी मौत पुलिस के साथ हुई झड़प के दौरान हुई जिसमें पुलिस ने गोली चला दी थी।

नागरिकता कानून मसले पर बीजेपी को झटके के बाद झटका लग रहा है। कानून को पारित कराने में मदद करने वाले बीजेपी के घटक दल असम गण परिषद (अगप) ने इस मसले पर अब अपना रुख बदल लिया है। उसने न केवल कानून का विरोध किया है बल्कि उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर करने का फैसला कर लिया है। इस बात का निर्णय कल पार्टी की शीर्ष पदाधिकारियों की बैठक में लिया गया।

हालांकि अगप के नेताओं ने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मिलने का भी फैसला किया है। आपको बता दें कि अगप असम में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार का अभिन्न हिस्सा है। स्टेट कैबिनेट में उसके तीन मंत्री शामिल हैं।

पार्टी के वरिष्ठ नेता रामेंद्र कालिता ने कहा कि “हम सीएबी को असम में लागू होने की इजाजत नहीं देंगे। हम सीएबी के खिलाफ एससी का दरवाजा खटखटाएंगे”।

अगप ने संसद के भीतर कानून को पारित करने के पक्ष में वोट दिया था। लेकिन इस पहल से न केवल पार्टी के भीतर बल्कि अब पूरे गठबंधन में ही अंतरविरोध पैदा हो गया है। यही नहीं बीजेपी के भीतर भी इसको लेकर भीषण विक्षोभ है और पार्टी के पदाधिकारियों समेत सरकार के विभिन्न पदों पर बैठे लोगों ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया है।

उसी में शामिल हैं पार्टी के वरिष्ठ नेता जगदीश भुइयां जिन्होंने असम पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी के तमाम पदों से भी इस्तीफा दे दिया।

सिलसिला केवल मुख्यधारा के नेताओं तक ही सीमित नहीं है। असम के सुपर स्टार जतिन बोरा ने सूबे के फिल्म फाइनेंस डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के बाद बोरा ने कहा कि “मैं सीएबी को स्वीकार नहीं करता। मेरी जतिन बोरा के तौर पर पहचान असम के लोगों के चलते है और मैं इस मसले पर उनके साथ हूं।” आपको बता दें कि बोरा 2014 में बीजेपी में शामि हुए थे।

कुछ दिनों पहले एक और लोकप्रिय नेता रवि शर्मा ने भी बीजेपी को अलविदा कह दिया था। असमी फिल्म उद्योग के ढेर सारे लोगों ने नये पारित कानून का विरोध किया है।

हालांकि रविवार यानी आज डिब्रूगढ़ और गुवाहाटी में कर्फ्यू में ढील दी गयी है। शनिवार को पेट्रोल पंपों और एटीएम तथा दुकानों पर लोगों की लंबी कतारें देखी गयीं। इंटरनेट पर पाबंदी को सोमवार तक के लिए आगे बढ़ा दिया गया है।

उधर, पश्चिम बंगाल में कानून के खिलाफ हुई भीषण हिंसा के बाद सूबे के 5 जिलों में इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी गयी है। ये जिले माल्दा मुर्शिदाबाद, हावड़ा, नार्थ 24 परगना और दक्षिण 24 परगना के कुछ हिस्से हैं। सूबे के अधिकारियों का कहना है कि ऐसा सांप्रदायिक तत्वों द्वारा झूठ और अफवाह को फैलाने के उनके कुत्सित प्रयासों को रोकने के लिए किया गया है।

इस बीच, बिहार में भी बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। जेडीयू ने कहा है कि वह बीजेपी के एनआरसी प्रस्ताव का समर्थन नहीं करती है। पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने बताया कि उनकी कल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात हुई है और उन्होंने देश के पैमाने पर एनआरसी के लागू होने का विरोध किया है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने भी पार्टी के इस आधिराकारिक रुख की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि जेडीयू ने भले ही सीएबी के पक्ष में मतदान किया हो लेकिन वह एनआरसी का समर्थन नहीं करती है। प्रशांत किशोर ने कहा कि एनआरसी के साथ सीएबी बेहद ही खतरनाक है।

इधऱ उत्तर भारत में भी इसके विरोध का दायरा बढ़ता जा रहा है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया के बाद कल जंतर-मंतर पर एक बड़ा जमावड़ा हुआ। जिसमें मौजूद सभी लोगों ने एक सुर में नागरिकता कानून का विरोध करने की शपथ ली। सात ही उन्होंने कानून के पन्ने फाड़कर विरोध स्वरूप उन्हें राष्ट्रपति के पास भेज दिया। रामलीला मैदान में हुई कांग्रेस की रैली ने भी इस विरोध को नई ताकत दे दी है। रैली में कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं ने इसे जनता के खिलाफ एक बड़ी साजिश करार दिया।

उधर 19 दिसंबर को वामपंथी और लोकतांत्रिक संगठनों ने पूरे देश के स्तर पर विरोध करने का ऐलान किया है। जबकि बिहार में राजद ने अगुआई लेकर बिहार बंद का आह्वान किया है।

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