भाजपा और कांग्रेस में अम्बेडकर का बड़ा प्रशंसक होने की प्रतिस्पर्धा, महू में 27 जनवरी को रैली

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इस समय भारत एवं मध्य प्रदेश की दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों-भाजपा एवं कांग्रेस में इस बात को सिद्ध करने की प्रतियोगिता चल रही है कि कौन डॉ. बी आर अम्बेडकर का बड़ा प्रशंसक है।

कांग्रेस 27 जनवरी को मध्यप्रदेश स्थित उनके जन्म स्थान महू में एक बड़ी रैली आयोजित कर रही है। इस रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी, पार्टी की एक महामंत्री एवं सांसद प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस के अनेक नेताओं के इसमें भाग लेने आने की खबर आयी है। इसके लिए पूरे देश में प्रचार चल रहा है। मध्यप्रदेश में तो लगभग प्रचार सभी मंडलों में हो रहा है। कांग्रेस के लिए यह रैली कितनी महत्वपूर्ण है यह इसी से सिद्ध होता है कि इसे दिल्ली प्रदेश के लिए हो रहे चुनाव के दौरान किया जा रहा है।

भाजपा भी कैसे पीछे रहती। उसने भी लगभग इसी समय महू में रैली करने का फैसला किया है। भाजपा इस दौरान कांग्रेस पर यह आरोप लगा रही है कि उसने डॉ. अम्बेडकर का अपमान किया है। यह अलग बात है कि यदि अंग्रेजों के जमाने से संविधान निर्माण का समय लें, और उसके बाद में घटित घटनाओं को लें तो यह कदापि नहीं कहा जा सकता कि कांग्रेस ने डॉ. अम्बेडकर का अपमान किया।

ध्यान रहे कि गांधी जी की सलाह पर कांग्रेस ने डॉ. अम्बेडकर को अंतरिम सरकार में कानून मंत्री बनाया था और साथ ही संविधान बनाने वाली समिति में डॉ. अम्बेडकर को यह जिम्मेदारी देकर कांग्रेस ने डॉ. अम्बेडकर को इतिहास का हिस्सा बना दिया। इस बात का महत्व समझते हुए डॉ. अम्बेडकर ने अपने एक भाषण में इस बात को स्वीकार किया कि संविधान जैसा बना उसका श्रेय कांग्रेस और उसके नेतृत्व को जाता है। फिर कुछ अन्य प्रगतिशील कानून भी बने जिनमें दलित और आदिवासियों के लिए आरक्षण के साथ-साथ महिलाओं के लाभ के लिए क्रांतिकारी नियमभी लाये गये।

जब महिलाओं के लिए कानून बने तो उस दौरान अनेक संस्थाओं ने उनका जमकर विरोध किया। जिन संस्थाओं ने विरोध किया उनमें आरएसएस भी शामिल थी। उसने संसद का घेराव किया और डॉ. अम्बेडकर को जाति सूचक गालियाँ दीं। आजादी के बाद महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में स्थित विश्वविद्यालय का नाम डॉ. अम्बेडकर विश्वविद्यालय रखा गया। इसका विरोध जिन लोगों और संगठनों ने किया उनमें आरएसएस भी शामिल था।

आज भी दलितों को अनेक लोगों द्वारा सम्मान नहीं दिया जा रहा है। उन्हें बहुत लोगों द्वारतो इंसान भी नहीं समझा जाता। यह दुखद है कि आज भी उन्हें अनेक लोग समाज का अभिन्न अंग नहीं मान रहे हैं। आज भी दलित दूल्हे को घोड़े से उतार दिये जाने की खबरें आ ही जाती हैं। जिस संविधान को डॉ. अम्बेडकर ने बनाया हम में से कितने उसका सम्मान करते हैं।

इस दरम्यान मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने एक बयान देकर कांग्रेस के भीतर तूफान ला दिया है। उन्होंने एक बयान में कहा कि कांग्रेस में गुटबाजी का कैंसर है। इस गुटबाजी के कैंसर को खत्म करना होगा, नहीं तो हम राजनीतिक रूप से खत्म हो जायेंगे। यह बात पटवारी ने 27 जनवरी को महू में होने वाली जय भीम, जय बापू, जय संविधान रैली की तैयारियों को लेकर धार जिले के धरमपुरी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान कही।

उनके इस बयान पर मंत्री विश्वास सारंग ने तंज कसते हुए कहा कि हम तो पहले से ही कहते आ रहे हैं कि कांग्रेस गुटबाजी में बंटी हुई है। दूसरी बात कि यह बात उमंग सिंघार नेता प्रतिपक्ष के विधानसभा क्षेत्र में बोली गयी है। विश्वास ने कहा कि इसका मतलब कि क्या उमंग सिंघार गुटबाजी कर रहे हैं। जीतू के बयान पर उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि वे सही बोले, गुटबाजी से कांग्रेस खत्म हो जायेगी। वहीं पटवारी के बयान पर भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने चुटकी लेते हुए लिखा कि कौन नहीं जानता कि जबसे जीतू पटवारी ने कांग्रेस संभाली है तब से गुटबाजी बढ़ी है।

(एल.एस. हरदेनिया सेकुलर फ्रंट के संयोजक हैं)

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