‘ग्राहम स्टेंस और उनके बच्चों के हत्यारे का छोड़ा जाना न्याय की हत्या, सुप्रीम कोर्ट करे हस्तक्षेप’

नयी दिल्ली। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने ईसाई पादरी ग्राहम स्टेंस और उनके दो बच्चों को ओडिसा में 23 जनवरी, 1999 को उनकी कार में ज़िंदा जलाकर मार डालने के दोषी महेंद्र हेम्ब्रम को ‘अच्छे आचरण’ के नाम पर जेल से रिहा करने के ओडिशा सरकार के फैसले की निंदा की है। उन्होंने कहा है कि यह गुजरात की भाजपा सरकार द्वारा बिल्किस बानो के बलात्कारियों को ‘अच्छे आचरण’ के नाम पर छोड़ने जैसी ही शर्मनाक घटना है जिस पर सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना चाहिए।

शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि राज्य सरकारों को किसी भी क़ैदी को रिहा करने का अधिकार है लेकिन इस मामले में राज्य की भाजपा सरकार ने इस अधिकार का दुरुपयोग किया है। उन्होंने कहा कि अगर हत्यारे का आचरण अच्छा होता तो वो रिहा होने के बाद हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा आयोजित स्वागत कार्यक्रम में क्यों जाता और उस गिरोह के सदस्यों के हाथों से माला क्यों पहनता? यह कैसे नज़रअंदाज़ किया जा सकता है कि इन्हीं संगठनों के प्रभाव में उसने इन जघन्य हत्याओं को अंजाम दिया था।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यह तथ्य भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि शासन कर रही भाजपा और मौजूदा मुख्यमंत्री मोहन मांझी इस जघन्य हत्याकांड के मुख्य सरगना और उम्र क़ैद की सज़ा काट रहे दारा सिंह और हेम्ब्रम की रिहाई के लिए कई वर्षों से आंदोलन चलाते रहे हैं। जिसका सीधा मतलब है कि हत्यारे को अच्छे आचरण के कारण नहीं बल्कि उसकी रिहाई की मांग करने वालों के सत्ता में आ जाने के कारण छोड़ा गया है और आने वाले दिनों में दारा सिंह को भी छोड़ दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह भी आश्चर्य की बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 19 मार्च को राज्य सरकार को दारा सिंह की रिहाई की मांग पर निर्णय लेने का निर्देश कैसे दे दिया।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

More From Author

अन्वेषा वार्षिकांक : प्रतिकूल समय में एक जरूरी रचनात्मक हस्तक्षेप

वक्फ कानून-2025: किस बात की चिंता, किस बात पर लड़ाई?

Leave a Reply