गुलज़ार ने कविता के जरिये पूछा- ख़ुदा जाने, ये बटवारा बड़ा है, या वो बटवारा बड़ा था!

Estimated read time 1 min read

कोरोना से निपटने के नाम पर देश में 24 मार्च की रात को अचानक की गई लॉकडाउन की घोषणा ने असंख्य मज़दूरों को एक झटके में सड़क पर ला खड़ा किया था। फैक्ट्रियों और अपने किराये के दड़बों से बाहर कर दिए गए मज़दूर परिवारों के रेले के रेले पैदल ही अपने राज्यों-अपने गाँवों की ओर निकल पड़े थे। इन मज़दूरों की जिस तरह की छवियाँ सामने आ रही थीं, वे बरबस 1947 के बंटवारे की छवियों की याद दिलाती थीं। बहुत से लोगों ने उस बंटवारे की वजह से पलायन करते लोगों की तस्वीरें इस कमबख़्ती का शिकार होकर निकल पड़े लोगों की तस्वीरों के साथ सोशल मीडिया पर साझा भी की थी। 

मशहूर शायर-गीतकार-लेखक गुलज़ार ने भी मज़दूरों के इस रिवर्स विस्थापन को बंटवारे की उस त्रासदी के दौरान हुए आबादियों के विशालतम विस्थापन से जोड़कर देखा है। गुलज़ार का जन्म 1934 में पंजाब की जिस दीना नाम की जगह पर हुआ था, वह बंटवारे में पाकिस्तान का हिस्सा हो गया था। उनका परिवार विस्थापित होकर मुंबई (तब के बंबई) पहुंचा था। गुलज़ार की शायरी, कहानियों, नाटक वगैरह में विस्थापन का यह दर्द पहले भी उभरता रहा है। इन दिनों मज़दूरों के विस्थापन से व्यथित होकर वे जो लिख रहे हैं, उसमें उस विस्थापन का दर्द भी छलक रहा है। उनकी ताज़ा नज़्म में भी हाल की यह त्रासदी, बंटवारे की उस त्रासदी के साथ मार्मिक रूप से उभर कर आई है। इस नज़्म का वीडियो जिसमें इसे वे ख़ुद पढ़ रहे हैं, ख़ूब वायरल हो रहा है। इस नज़्म `मज़दूर, महामारी–II` का उर्दू की मशहूर साहित्यकार रख्शंदा जलील द्वारा किया गया अनुवाद भी पढ़ा जा रहा है। 

मज़दूर, महामारी–II

कुछ ऐसे कारवां देखे हैं सैंतालिस में भी मैंने
ये गांव भाग रहे हैं अपने वतन में
हम अपने गांव से भागे थे, जब निकले थे वतन को
हमें शरणार्थी कह के वतन ने रख लिया था
शरण दी थी
इन्हें इनकी रियासत की हदों पे रोक देते हैं
शरण देने में ख़तरा है
हमारे आगे-पीछे, तब भी एक क़ातिल अजल थी
वो मजहब पूछती थी
हमारे आगे-पीछे, अब भी एक क़ातिल अजल है
ना मजहब, नाम, जात, कुछ पूछती है
— मार देती है

ख़ुदा जाने,. ये बटवारा बड़ा है
या वो बटवारा बड़ा था

https://www.facebook.com/gulzaronline/videos/252303796018557/

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author