‘सुशांत’ से जो बचेगा उसे हरिवंश करेंगे पूरा! राज्यसभा उपसभापति के लिए एनडीए की तरफ से भरा पर्चा

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बिहार चुनाव से पहले सवर्णों के एक प्रभावी तबके से आने वाले राज्य सभा सांसद हरिवंश उपसभापति के उम्मीदवार हो गए हैं और उन्होंने आज अपना नामांकन का पर्चा भी दाखिल कर दिया। जदयू राज्य सभा सांसद हरिवंश पहले भी राज्य सभा के उपसभापति थे और उनका कार्यकाल 9 अप्रैल को ख़त्म  हो गया था। अब चुनाव से पहले और संसद सत्र से पहले हरिवंश उप सभापति बनने को तैयार हैं। बीजेपी ने पार्टी व्हिप जारी कर 14 तारीख को सभी राज्य सभा सदस्यों को सदन में रहने के लिए कहा है। बीजेपी ने यह पहल इसलिए किया है क्योंकि इस बार विपक्ष भी उपसभापति के लिए अपना साझा उम्मीदवार खड़ा करने का ऐलान किया है। लेकिन हरिवंश के उप सभापति बनने की संभावना ज्यादा है।

बिहार चुनाव से पहले हरिवंश पर दांव

यूपी बलिया के रहने वाले हरिवंश नारायण सिंह उर्फ़ हरिवंश देश के चर्चित पत्रकारों में शुमार रहे हैं। कई वर्षों तक उन्होंने एक अखबार में संपादक की भूमिका को जीवंत  किया है और अपनी लेखनी और विचार से बिहार-झारखंड की राजनीति को प्रभावित करते रहे हैं। उनकी पत्रकारिता कभी कलंकित नहीं हुई। हरिवंश समाजवादी विचारधारा से आते हैं लेकिन बीजेपी की नीति से भी उन्हें कोई परहेज नहीं। यही वजह है कि जब वे पत्रकारिता को छोड़कर जदयू के साथ आये तो कई सवाल भी उठे। लेकिन हरिवंश अपने रास्ते पर चलते रहे। हरिवंश पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के काफी नज़दीक भी रहे और उससे पहले जीपी आंदोलन से भी जुड़े रहे। वे लालू प्रसाद के भी करीब रहे और नीतीश कुमार के भी ख़ास रहे। अब जदयू की राजनीति उन्हें खूब भा रही है। बिहार की बदहाली पर उनका पत्रकार मिजाज अब कुछ नहीं बोलता। उन्हें सब कुछ अच्छा ही अच्छा लगता है।     

बिहार में चुनाव है। जदयू की राजनीति करने वाले हरिवंश संगठन तो चला नहीं सकते। इसलिए सदन में रहकर वे बिहार और जदयू -बीजेपी का पक्ष तो रख ही सकते हैं। जिस क्षत्रिय समाज से वे आते हैं बिहार में उस तबके का मत करीब पांच प्रतिशत है। बिहार का क्षत्रिय समाज कभी कांग्रेस का वोट बैंक हुआ करता था। आज भी कई ठाकुर घराने के लोग कांग्रेस के साथ हैं। समय बदलने के साथ ही बिहार का क्षत्रिय समाज बीजेपी और जदयू के साथ जुड़ता चला गया। बीजेपी को लग रहा है कि हरिवंश को उपसभापति बनाकर बिहार चुनाव के रंग को बदला जा सकता है। ठाकुर वोट बैंक को अपने पाले में खींचा जा सकता है। बीजेपी इस बात से डर रही है कि इस बार कांग्रेस और राजद भी ठाकुर समाज को अपने पाले  में लाने की तैयारी में है। और इस तैयारी में राजद -कांग्रेस को लाभ भी मिलता दिख रहा है। उधर जदयू को तो इसमें लाभ ही लाभ है। बता दें कि राज्यसभा उपसभापति के चुनाव के लिए 14 सितंबर की तिथि निर्धारित की है।

विपक्ष की तरफ से  भी होगा उम्मीदवार

उधर, विपक्ष भी उपसभापति के लिए उम्मीदवार खड़ा करने को तैयार है। संसद सत्र से पहले कांग्रेस की रणनीति तय करने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मंगलवार को हुई बैठक में फैसला किया गया कि राज्य सभा के उप सभापति के चुनाव के लिए विपक्ष की तरफ से उम्मीदवार खड़ा किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में हुई रणनीतिक समूह की डिजिटल बैठक में यह भी फैसला किया गया कि उप सभापति पद के चुनाव के लिए विपक्ष का उम्मीदवार खड़ा करने के साथ यूपीए के घटक दलों और समान विचारधारा वाले दलों को साथ लेने का प्रयास किया जाएगा।

जानकारी के मुताबिक़  अभी किस पार्टी का उम्मीदवार होगा और कौन होगा, इस बारे में सहयोगी दलों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद कोई निर्णय लिया जाएगा। बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, दोनों सदनों में पार्टी के नेता और कुछ अन्य वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए।

(अखिलेश अखिल वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल दिल्ली में रहते हैं और आप की बिहार की राजनीति पर गहरी पकड़ है।)

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