हाईकोर्ट ने ड्रग्स मामलों पर SIT की तीन रिपोर्ट खोली, CM मान बोले- नशे के कारोबार से जुड़े अफसरों-नेताओं को बख्शेंगे नहीं

पंजाब की एक ऐतिहासिक शिनाख्त पांच दरियां भी हैं। बीते कुछ दशकों से कहा जाने लगा कि इस सरहदी सूबे में छठा दरिया भी बह रहा है। नशे का दरिया। शूरवीरों की सरजमीं को ‘उड़ता पंजाब’ भी कहा जाने लगा। इस मुहावरे की अतिशयोक्ति तथा यथार्थ पर बहस अलहदा है लेकिन इस हकीकत को पीठ नहीं दिखाई जा सकती कि पंजाब का भविष्य और वर्तमान नशे (ड्रग्स) के जहरीले दलदल में लबालब धंसा हुआ है। इस अलामत के चलते लाखों घर उजड़ गए और नौबत यहां तक आ गई कि लोगों के पास नशे (ड्रग्स) के चलते अकाल मृत्यु को हासिल हुए अपने बच्चों के कफन-दफ़न का इंतजाम करने तक के पैसे नहीं बचे।

इन दिनों पंजाब में अमृतपाल सिंह खालसा सुर्खियां बटोर रहा है लेकिन फिर भी स्थानीय अखबारों में कहीं न कहीं, किसी गांव, कस्बे या शहर से यह खबर जरूर होती है कि नशे के ओवरडोज से फलां नौजवान अथवा किशोर की मौत हो गई। दीवारों पर लिखा सच यह है कि पंजाब में नेताओं के संरक्षण में अफसरों-तस्करों के नापाक गठजोड़ से नशे का कारोबार फला-फूला और यह जाल कोने-कोने में जवानी को जकड़ गया। लिंग भेद को पार करते हुए।

फ़ौरी आलम यह है कि नशा स्कूली छात्रों तक को अपनी जद में ले चुका है। पंजाब में यह आतंकवाद से भी बड़ी समस्या है। अब राज्य सरकार ने दावा किया है कि वह कड़ाई से सियासतदानों-अफसरों-तस्करों के गठजोड़ को तोड़ेगी। इसलिए भी कि इस बाबत हाईकोर्ट में चार सीलबंद रिपोर्ट अतीत में दाखिल की गई थीं। इनमें से तीन सरकार के पास पहुंच गईं हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने खुद इसकी पुष्टि की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा-पंजाब हाईकोर्ट से नशा तस्करों व पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से संबंधित रिपोर्ट उनके पास पहुंच गई है। अब पंजाब सरकार राज्य में नशा तस्करी से वाबस्ता अफसरों और माफिया संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। भगवंत मान कहते हैं कि पिछली अकाली-भाजपा गठबंधन और कांग्रेस सरकारों के दौरान फैले नशे के कारोबार ने सूबे की भावी पीढ़ियों को बर्बाद कर दिया है। इन पार्टियों के रसूखदार सियासतदानों ने अफसरशाही और नशा तस्करों की मिलीभगत से इस गैरकानूनी धंधे को खुला संरक्षण दिया और पैसा बनाया।

मुख्यमंत्री के मुताबिक इस गैरकानूनी काले धंधे में संलिप्त लोगों को इस घृणित अपराध के लिए सलाखों के पीछे डाला जाएगा और किसी भी दोषी के प्रति रत्ती भर भी रियायत नहीं बरती जाएगी। नशा तस्करी से संबंधित जांच रिपोर्ट लंबे अरसे से इसलिए लटक रही थी कि पिछली सरकारों ने इन ताकतों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। अब उन्हें हाईकोर्ट से तीन पैकेट में रिपोर्ट हासिल हुई है। इस रिपोर्ट के आधार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने एक हफ्ता पहले नशा तस्करी मामलों में तीन सीलबंद रिपोर्ट खोली थी। इसके बाद पूर्व डीजीपी दिनकर गुप्ता और सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। चौथी रिपोर्ट में एक अन्य पूर्व डीजीपी और अब राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त सुरेश अरोड़ा ने अर्जी दायर करके इस मामले में खुद को पक्ष बनाने की मांग की थी। इसे अदालत ने मंजूर कर लिया।

चौथी रिपोर्ट की बाबत एसआईटी के प्रमुख रहे सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय और दिनकर गुप्ता को नोटिस जारी करके जवाब मांगा गया है। तमाम रिपोर्ट हाईकोर्ट को क्रमशः 30 जनवरी 2018, 14 मार्च 2018 व 8 मई 2018 को सौंपी गईं थीं। 8 मई को पेश रिपोर्ट पर सिर्फ चट्टोपाध्याय ने हस्ताक्षर किए थे और दो अन्य एसआईटी सदस्यों ने खुद को अलग कर लिया था।

दरअसल, हाईकोर्ट ने नशा तस्करी मामले में मोगा के पूर्व एसएसपी राजजीत सिंह और बर्खास्त इंस्पेक्टर इंदरजीत सिंह की भूमिका की जांच के लिए 15 दिसंबर 2017 को एसआईटी का गठन किया था। एसएसपी राजजीत ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए यह मामला एसटीएफ के तत्कालीन मुखिया हरप्रीत सिंह सिद्धू के बजाय किसी अन्य अधिकारी को देने की मांग की थी। कहा था कि सिद्धू रंजिशन उन्हें फंसा सकते हैं।

हाईकोर्ट ने तत्कालीन डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय, ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन के निदेशक प्रबोध कुमार और तत्कालीन आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह (अब अमृतसर से आम आदमी पार्टी के विधायक) को जांच का जिम्मा सौंपा तथा एसआईटी को सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट देने को कहा। 

सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने एसएसपी राजजीत सिंह के मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में कहा कि उन्होंने जब राजजीत की भूमिका की जांच की तो इसमें तब के डीजीपी सुरेश अरोड़ा और खुफिया विभाग के प्रमुख दिनकर गुप्ता की भूमिका भी संदिग्ध मिली। दिनकर गुप्ता इन दिनों आईएनएस चीफ हैं। 

चट्टोपाध्याय के इस कथन के बाद पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों में मौखिक जंग शुरू हो गई। तत्कालीन कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार की बेहद किरकिरी हुई। तब से यह रिपोर्ट सील बंद लिफाफों में अदालत के पास थी। इन्हें खुलवाने के लिए एडवोकेट नवकिरण सिंह ने अदालत में एक जनहित याचिका दायर करके कहा था कि नशा तस्करी एक गंभीर मामला है; इसलिए जल्द से जल्द तमाम जांच रिपोर्ट को खोल कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। अब हाईकोर्ट ने तीन रिपोर्ट खोलकर उन्हें सरकार को भेज दिया है। बेशक चौथी रिपोर्ट खुलना शेष है। 

सूबे में सरगोशियां हैं कि मौजूदा भगवंत मान सरकार इन रिपोर्ट के आधार पर सियासतदानों, पुलिस अफसरों और तस्करों के गठजोड़ पर ताकत से प्रहार करेगी तो बहुतेरे बड़े-बड़े चेहरे बेनकाब होंगे। सवाल इसे लेकर है कि क्या पूरी निष्पक्षता और निर्भीकता से ऐसा कर पाना संभव है? यह सवाल इसलिए भी मौंजू है कि तीनों रिपोर्टों में दर्ज कई नाम ऐसे हैं- जिनके पास आज भी बड़े ओहदे हैं और रसूख भी। इनमें से कुछ केंद्र या अन्य राज्यों में डेपुटेशन पर जा चुके हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो विदेश कूच कर गए हैं। 

बहरहाल, नशा तस्करी से जुड़े लोगों में खलबली तो मच ही गई है। कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के कतिपय बड़े नेताओं का नाम पहले भी नशा तस्करों को संरक्षण देने के लिए लिया जाता रहा है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का भी। बीएसएफ के भी कुछ मुलाजिम हेरोइन तस्करी के आरोप में सरहदी जिलों से पकड़े जा चुके हैं। 

पंजाब को नशा मुक्त करवाना भगवंत मान सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती इसलिए भी है कि नशा गांव-गांव ही नहीं बल्कि जेलों तक पहुंच रहा है। कुछ दिन पहले फिरोजपुर जेल में एक डॉक्टर और कुछ पुलिसकर्मियों को नशा सप्लाई करने के आरोप में गिरफ्त में लिया गया था। अमृतसर जेल में भी ड्रग्स बेचने के सिलसिले में कुछ मुलाजिमों को गिरफ्तार किया गया था। तलाशी अभियान के दौरान जेलों में नशा और मोबाइल मिलना आमफहम है।

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक की रिपोर्ट)

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