विचाराधीन कैदियों को रिहा करे हेमंत सोरेन सरकार: लोकतंत्र बचाओ अभियान

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रांची। लोकतंत्र बचाओ अभियान (अबुआ झारखंड, अबुआ राज) ने गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन दलों द्वारा किए गए वादों को याद दिलाया। चुनाव के बाद उनके द्वारा किये गए वादे, जो अपूर्ण हैं।

अभियान ने पत्र में मुख्यमंत्री को याद दिलाया है कि लोक सभा चुनाव में अभियान ने लोगों को जन मुद्दों और संविधान पर हो रहे हमलों के विरुद्ध संगठित किया था जिसका परिणाम पांच आदिवासी सीटों पर देखने को मिला। अभियान का स्पष्ट मानना है कि मोदी सरकार, आरएसएस व भाजपा झारखंड, लोकतंत्र, संविधान और मेहनतकश वर्ग के लिए सबसे बड़े खतरे हैं। ऐसी परिस्थिति में राज्य में होने वाले विधान सभा चुनाव की अहमियत और बढ़ जाती है। सरकार के अनेक वादे अभी भी अपूर्ण है।

अभियान ने जल, जंगल, ज़मीन, स्वशासन से सम्बंधित यादों और मुद्दों को याद दिलाया है। पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा राज्य के 22 लाख एकड़ गैर-मजरुआ व सामुदायिक ज़मीन को लैंड बैंक में डाल दिया गया था। लैंड बैंक को तुरंत रद्द किया जाए। ईचा-खरकाई डैम योजना, नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज योजना व लुगु बुरु में पॉवर प्लांट योजना को पूर्ण रूप से रद्द किया जाए। विस्थापन सह पुनर्वास आयोग का गठन हो। वन अधिकार कानून अंतर्गत सामुदायिक पट्टों का वितरण किया जाए व वन ग्रामों का नियमतिकरण हो ताकि आदिवासी व वन पर आधारित समुदाय अपने अधिकारों से वंचित न हो। भूमिहीन परिवारों, खास कर दलितों, को पर्याप्त भूमि पट्टा का आवंटन हो।

साथ ही, पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में आदिवासियों के स्वसाशन के अधिकारों को पेसा के संगत पूर्णत: लागू किया जाए और पेसा नियमावली का गठन हो। सर्वोच्च न्यायलय के 25 जुलाई 2024 के निर्णय अनुसार राज्य सरकार तुरंत खनन पर राज्य कर लगाये एवं उसका कम-से-कम आधा हिस्सा ग्राम सभा को दे। क्षेत्र अनुरूप आदिवासी भाषाओं के पर्याप्त शिक्षक नियुक्त किये जाये।

गठबंधन दलों ने वादा किया था कि लम्बे समय से जेलबन्द विचाराधीन कैदियों को रिहा किया जायेगा। लेकिन इस ओर कोई कार्यवाई नहीं हुई है। इसके साथ-साथ फर्जी मामलों में फंसे आदिवासी-मूलवासियों व वंचितों के मामलों को बंद करने के लिए उच्च स्तरीय न्यायिक जांच का गठन हो।

अभियान ने व्यापक रिक्तियों पर भी ध्यान केन्द्रित किया है और मांग किया है कि झारखंडी जनाकांक्षाओं के आधार पर स्थानीयता और नियोजन नीति को तुरंत लागू किया जाए। सभी रिक्त पदों को भरा जाए खास कर शिक्षा व स्वास्थ्य सेवा सम्बंधित सभी पदों को। सभी नियुक्तियों में प्राथमिकता स्थानीय व आदिवासी-मूलवासियों को दी जाए। राज्य के भूमिहीन दलित समुदायों के लिए जाति प्रमाण पत्र बनवाना एक बहुत बड़ी समस्या है। इस प्रक्रिया को सरल बनाते हुए आवेदकों को तुरंत जाति प्रमाण पत्र दिया जाए। साथ ही, पलायन रोकने के लिए तुरंत मनरेगा में भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई हो एवं शहरी रोज़गार गारंटी योजना लागू हो।

यह दुःख की बात है कि पिछले पांच सालों में भी राज्य में अल्पसंख्यकों पर हिंसा रुकी नहीं है। नफरती व सांप्रदायिक भाषण भी लगातार दिए जा रहे हैं। अभियान ने मांग किया है इसके विरुद्ध न्यायसंगत कार्रवाई की जाए। किसी भी धर्म के धार्मिक अनुष्ठान/पर्व/त्योहार/कार्यक्रम में सार्वजनिक स्थलों में लगाये गए धार्मिक झंडों व प्रतीकों को कार्यक्रम खत्म होने के 48 घंटों के अन्दर हटाया जाना सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, मॉब लिंचिंग के विरुद्ध विशेष कानून बनाने के लंबित वादे को तुरंत पूरा करें।

झारखंड में बच्चों में व्यापक कुपोषण किसी से छुपी नहीं है। राज्य सरकार ने पांच सालों में कई बार आंगनवाड़ी व मध्याह्न भोजन में बच्चों को रोज़ अंडे देने का वादा किया था। लेकिन आज तक यह लागू नहीं हुआ है। सरकार तुरंत बच्चों को रोज़ अंडा देना शुरू करे। अभियान ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग किया है कि इन मुद्दों पर चर्चा के लिए वे अभियान प्रतिनिधिमंडल को समय दें।

अभियान की ओर से अफ़जल अनीस, अजय एक्का, अंबिका यादव, अमृता बोदरा, अंबिता किस्कू, अलोका कुजूर, अरविंद अंजुम, बासिंग हस्सा, भरत भूषण चौधरी, भाषण मानमी, बिनसाय मुंडा, चार्ल्स मुर्मू, दिनेश मुर्मू , एलिना होरो, एमिलिया हांसदा, हरि कुमार भगत, ज्याँ द्रेज, ज्योति कुजूर, कुमार चन्द्र मार्डी, किरण, लीना, लालमोहन सिंह खेरवार, मानसिंग मुंडा, मेरी निशा हंसदा, मंथन, मुन्नी देवी, नंदिता भट्टाचार्य, प्रवीर पीटर, रिया तूलिका पिंगुआ, पकू टुडु, रामचंद्र मांझी, राजा भारती, रमेश जेराई, रेशमी देवी, रोज़ खाखा, रोज मधु तिर्की, शशि कुमार, संदीप प्रधान, सिराज दत्ता, सुशील मरांडी, सेबेस्टियन मरांडी, संतोष पहाड़िया, टॉम कावला व विनोद कुमार पत्र के हस्ताक्षरी हैं।

(प्रेस विज्ञप्ति)

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