पंजाब से मेरा परिचय सन 2010 में हुआ
इस साल मुझे छत्तीसगढ़ से निकाला गया था,
मैं और मेरी पत्नी छत्तीसगढ़ में 18 साल से आदिवासियों के गांव में रहकर उनकी सेवा कर रहे थे।
जब भाजपा सरकार ने कंपनियों के लिए आदिवासियों की जमीन छीनने के मकसद से आदिवासियों के साढ़े छ्ह सौ गांव जलाए। हजारों आदिवासियों को मार डाला। सुरक्षाबलों द्वारा सैकड़ों आदिवासी महिलाओं से बलात्कार किए गए। उस समय हमने इस सब के खिलाफ आवाज उठाई।
भाजपा सरकार ने हमारे आश्रम पर बुलडोजर चला दिया 5 बार सरकार ने मेरा कत्ल करने की कोशिश करी और आखिर में मेरे साथियों को जेलों में डाल दिया और जिस रात मुझे मारा जाना था मुझे छत्तीसगढ़ से निकलना पड़ा।
लेकिन मैंने चुप रहने का विकल्प नहीं चुना। मैं साइकिल उठाकर यात्रा पर निकल पड़ा। मैं दिल्ली से मुंबई तक साइकिल पर गया।
गुजरात में गुजरात मॉडल की पोल खोलने के कारण मुख्यमंत्री मोदी ने मुझे साइकिल समेत उठाकर महाराष्ट्र में आधी रात को बरसते पानी में फिंकवा दिया था।
इस साइकिल यात्रा में दिल्ली से हरियाणा होते हुए जब मैं पंजाब पहुंचा तो वहां के लोगों ने हमें बहुत प्यार दिया।
पंजाब में अकाली मुख्यमंत्री बादल ने मेरे खिलाफ डकैती की एफआईआर कराई बाद में पंजाब के लोगों ने बहुत बड़े आंदोलन करके वह एफआईआर वापस करवाई।
पंजाब के साथी प्रगतिशील लेखक छात्र बुद्धिजीवी यूनियन के लोग महिला संगठनों की महिलाएं छत्तीसगढ़ में क्या हो रहा है वह जानना चाहते थे और आदिवासियों के साथ अपनी एकता का संदेश देना चाहते थे।
मुझे पंजाब के हर जिले और लगभग सभी कस्बों में ले जाया गया।
बड़ी बड़ी सभाएं रैलियां प्रेस वार्ता टीवी इंटरव्यूज हुए।
इस दौरान में प्रसिद्ध नाटककार गुरशरण सिंह जी से मिला।
बहुत ही मजेदार खबर भी छपी थी।
इंडियन एक्सप्रेस ने छापा गांधीवादी नक्सलाइट हिमांशु कुमार का पंजाब दौरा
किसान यूनियन के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह ओग्राहां के साथ मेरा लंबा याराना रहा है।
किसान यूनियन के दूसरे बड़े नेता झंडा सिंह जी भी बहुत जबरदस्त नेता हैं।
झंडा सिंह जी खूब लंबे चौड़े हैं।
मेरी यात्रा के दौरान जब पुलिस ने मुझे पकड़कर परेशान करने की कोशिश की तो झंडा सिंह जी ने मुझे पुलिस के हमले से बचाया।
इस यात्रा में मैं और मेरा आदिवासी भांजा अभय साथ थे।
मैंने सोचा था कि साइकिल यात्रा में कुछ वजन कम होगा।
लेकिन पंजाब के लोगों ने इतना दूध और मक्खन खिलाया कि इस 1 महीने में हमारा वजन बढ़ गया था।
आज मोदी सरकार इन किसानों को खालिस्तानी कह रही है।
लेकिन आज किसान आंदोलन करने वाले यह लोग खालिस्तान के दौर में खालिस्तानियों की गोलियां खा रहे थे।
प्रगतिशील वामपंथी विचारधारा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं और नेताओं को उस दौर में मार डाला गया।
कवि पाश को उसी दौर में मारा गया था।
मैं अपनी यात्रा के दौरान और उसके बाद भी कई बार पाश के गांव में गया।
पाश जहां छुपते थे वह जगह देखी। वह जो स्कूल चलाते थे वह स्कूल देखा।
उनके छात्र जो अब सामाजिक कार्यकर्ता हैं उन लोगों के घर में रहा और वह आज भी मेरे दोस्त हैं।
पंजाब में आज भी भाजपा के लिए पैर जमाने मुश्किल हैं। पंजाब में हिंदू मुस्लिम का कोई भेदभाव नहीं है।
पंजाब के किसान इसीलिए लड़ पा रहे हैं क्योंकि उन्होंने जात पात सांप्रदायिकता अमीर-गरीब के भेदभाव के खिलाफ लंबे समय तक वहां के सामाजिक राजनीतिक आंदोलनों ने काम किया है।
पंजाब में सांस्कृतिक संगठन जगह-जगह हैं जो सांप्रदायिकता फासीवाद के खिलाफ तथा स्त्री पुरुष समानता मजदूरों किसानों छात्रों के पक्ष में गीत गाते हैं नाटक खेलते हैं।
मैं अक्सर पंजाब जाता रहता हूं तथा मेरी इन सभी लोगों से बहुत अच्छी दोस्ती है।
पंजाब के इन समझदार प्रगतिशील लोगों को नक्सलवादी या खालिस्तानी कहना भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और लुटेरी जमात की मजबूरी है।
क्योंकि भाजपा यह कैसे कबूल कर ले कि यह लोग पूंजीपतियों के हाथ में बिक कर भारत की किसानी को मुनाफा कमाने की चीज बनाना चाहते हैं।
(हिमांशु कुमार गांधीवादी कार्यकर्ता हैं।)
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