नई दिल्ली। बुधवार रात पहलवानों पर दिल्ली पुलिस के हमले और कुछ पहलवानों के घायल होने के बावजूद 12वें दिन भी जंतर-मंतर पर धरना जारी है। प्रशासन ने धरना स्थल को लोहे की जालियों से घेर रखा है। यह बात तो पहले से ही साफ थी और रात को और पुख्ता हो गई कि वहां पर मौजूद पुलिस और बैरिकेडिंग पहलवानों की सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि उनको डराने के लिए लगाया गया है। सरकार और प्रशासन को लगता है कि पहलवानों की आवाज पुलिस के बैरिकेडिंग से बाहर नहीं जायेगी। लेकिन अब पहलवानों की आवाज पूरे देश को सुनाई देने लगी है। यह बात अलग है कि सरकार उनकी आवाज को अनसुना कर रही है।
पहलवानों का धरना-प्रदर्शन समाप्त कराने के लिए केंद्र सरकार और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष द्वारा चली गई हर चाल नाकामयाब साबित हो रही है। केंद्र सरकार की हर साजिश और पुलिस हमले के बाद पहलवानों का संकल्प और मजबूत हो रहा है। पहलवान अपनी मांग और जंतर-मंतर से पीछे नहीं हट रहे हैं। पहलवानों पर आजमाया जाने वाला मोदी सरकार का हर ‘जंतर-मंतर’ बेअसर साबित हो रहा है।
बुधवार रात पुलिस की लाठी से घायल राहुल सिर पर पट्टी बांधे पुलिस हमले की घटना का मीडिया को सिलिसलेवार ब्यौरा दे रहे थे। उनका कहना है कि बारिश से धरना स्थल पर मौजूद सभी बिस्तर भीग गए थे। हम लोगों ने सोचा कि कुछ चारपाई और बिस्तर मंगा लिया जाएं, सुबह भीगे बिस्तर को सुखवा लिया जायेगा तो फोल्डिंग को वापस भेज दिया जायेगा। आप विधायक सोमनाथ भारती धरनारत पहलवानों के लिए बिस्तर लेकर पहुंच गए थे, जिसे पुलिस ने बिना अनुमति के लाने की बात कहते हुए रोक लिया। एक पुलिस अधिकारी जिसने शराब पी रखी थी, महिला पहलवानों को गाली देने लगा और दूसरे पुलिसकर्मी लोगों को मारने लगे। धरना स्थल पर मौजूद स्वाति मालीवाल को पुलिस ने घसीटते हुए हिरासत में ले लिया।
पहलवानों पर हमले की खबर जंगल में आग की तरह फैली। जो दिल्ली की सीमा पार कर हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक पहुंच गई। रात में ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा से किसान धरना स्थल की तरफ चल दिए। सुबह तक जंतर-मंतर पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। सिर्फ किसान ही नहीं बल्कि छात्र, युवा, महिलाएं, फौजी और वकीलों ने भारी संख्या में धरना स्थल पर पहुंच कर पहलवानों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।
हरियाणा के रोहतक से किसान जसबीर कहते हैं कि “सरकार छुप कर पहलवानों पर हमले करा रही है। पहले तो वह महिला खिलाड़ियों के चरित्र पर सवाल उठा रहे थे। अब सीधे-सीधे हमले करा रहे हैं। लेकिन अब सर्व खाप पंचायतें भी पहलवानों के समर्थन में उतरने से परहेज नहीं करेंगी।”
जंतर-मंतर पर चल रहा धरना अब सिर्फ पहलवानों का धरना नहीं रह गया। बृहस्पतिवार से समाज के विभिन्न तबके के लोग सरकार की तानाशाही के विरोध में सड़क पर उतर गए। हरियाणा के सोनीपत से आए सुरेंद्र कहते हैं कि “दिल्ली के सारे कॉलेज और विश्वविद्यालयों के छात्र और छात्र संगठन पहलवानों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों के प्रदर्शन पर हमला किया गया। केंद्र सरकार के इशारे पर दिल्ली पुलिस ने डीयू के नार्थ कैंपस में छात्रों को हिरासत में ले लिया था। यह छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। मोदी सरकार हर नागरिक अधिकार का दमन कर रही है। लेकिन अब देश के हर विश्वविद्यालय में विरोध की चिंगारी फैल चुकी है। पुलिस के बल पर इसे कुचला नहीं जा सकता है। बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार करना ही पड़ेगा।”
बृहस्पतिवार को सांसद दीपेंद्र हुड्डा धरना स्थल पर पहुंचकर रात की घटना की जानकारी ली और पहलवानों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया। लेकिन धरनास्थल पर दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
बृहस्पतिवार को जंतर-मंतर पर पहलवानों को समर्थन देने वालों का तांता लगा रहा। धरना स्थल पर सभा के दौरान किसान, पहलवान और जवान एकता के नारे लगे। वक्ताओं ने जय जवान-जय किसान के साथ जय पहलवान का नारा बुलंद किया। सभा स्थल पर वक्ताओं ने कहा कि अब यह लड़ाई केवल पहलवानों की लड़ाई नहीं रह गई है। यह अब देश भर की लड़ाई हो गई है।
सामाजिक कार्यकर्ता भूपेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पहलवानों के साथ हर स्तर पर छल हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट से एफआईआर लिखने के आदेश के बाद भी अभी तक शिकायतकर्ता का बयान नहीं लिया गया और न ही बृजभूषण शरण सिंह से कोई पूछताछ की गई। आखिर इसकी क्या वजह है।
धरना-स्थल पर पहलवानों के मेडल और बृजभूषण के अपराधों की सूची
पहलवानों ने धरना-स्थल पर पहलवानों के मेडल और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के अपराधों की सूची नीम के पेड़ पर टांग दिए हैं। धरना दे रहे पहलवानों ने कहा कि हमने इतने मेडल जीते हैं और बृजभूषण सिंह पर इतने आपराधिक केस दर्ज हैं। वह खुलेआम घूम रहा है। एक दो मुकदमे और दर्ज हो जाएंगे तो भी मोदी सरकार उसे बचाती रहेगी।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बयान जारी कर कहा, पहलवानों के साथ कल जो व्यवहार हुआ वह निंदनीय है। वे यहां अपनी मांग लेकर बैठे हैं, उन्हें न्याय मिलना चाहिए, जो खिलाड़ी आज स्टेडियम में होने चाहिए वे मजबूरी में यहां बैठे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी आज कहा है वे हाईकोर्ट या मजिस्ट्रेट के पास जा सकते हैं।
पहलवान बजरंग पूनिया ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की है। वहीं पहलवानों और पुलिसवालों के बीच हुई झड़प के बाद पुलिस का बयान आया है कि किसी भी पुलिस वाले ने शराब नहीं पी थी। मौके पर पर्याप्त महिला पुलिसकर्मी मौजूद थीं। पहलवानों के खिलाफ बल का उपयोग नहीं किया गया था और पूरे मामले में पांच पुलिस वाले घायल हुए हैं।
पहलवानों को मिल रहे व्यापक जन-समर्थन के बाद दिल्ली पुलिस एक्शन में है। अब वह लोगों को धरना स्थल पर जाने से रोक रही है। सिंघु बॉर्डर पर पुलिस ने पहरा कड़ा कर दिया है। हरियाणा से आने वालों से पूछताछ की जा रही है।
पहलवान गीता फोगाट और उनके पति को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया
बृहस्पतिवार शाम को जंतर-मंतर आ रही गीता फोगाट को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। फोगाट ने एक ट्वीट में कहा, मुझे और मेरे पति पवन सरोहा को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले और कांस्य पदक जीतने वाले सरोहा के साथ उन्हें हिरासत में लेने के बाद बवाना पुलिस थाने ले जाया गया।
SC ने पहलवानों की याचिका बंद की, कहा-याचिकाकर्ता निचली अदालत जा सकते हैं
बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट में महिला पहलवानों की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए पूछा कि अब तक सभी पीड़िताओं के बयान क्यों दर्ज नहीं किए गए? इतना ही नहीं कोर्ट ने पूछा कि कब इनके बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए जाएंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस याचिका का उद्देश्य बृजभूषण शरण के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराना था। अब एफआईआर दर्ज हो गई है। ऐसे में हम याचिका बंद कर रहे हैं। इसके साथ ही सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, याचिकाकर्ताओं न्यायिक मजिस्ट्रेट या हाईकोर्ट के पास और राहत के लिए जाने के लिए स्वतंत्र हैं। वहीं याचिकाकर्ता पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि पुलिस मामले की ठीक से जांच नहीं कर रही है।
दरअसल, जंतर मंतर पर पहलवान 23 अप्रैल से कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। पहलवानों ने बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है और उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल कर बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराने का आदेश देने की मांग की थी।
(प्रदीप सिंह जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।)