भारत बंद का झारखंड-बिहार में व्यापक असर, प्रदर्शनकारियों की सुप्रीम कोर्ट से फैसला वापस लेने की मांग

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रांची। एसटी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में आहूत भारत बंद का झारखंड में व्यापक असर देखने को मिला। वहीं बिहार की राजधानी पटना में लाठी चार्ज के दौरान एक सिपाही ने एसडीएम को ही लाठी जमा दी जिसका वीडियो सोशल मीडिया वायरल हो गया।

झारखंड में भारत बंद का समर्थन झारखंड मुक्ति मोर्चा और उसके सहयोगी दलों ने किया है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद राजधानी रांची में बंद के समर्थन में धरना देने की बात कही थी, लेकिन बाद में उन्होंने फैसला बदल दिया।

रांची में झामुमो समर्थकों ने सड़क पर उतरकर दुकानों और बाजारों को बंद करवाया। दलादिली के पास सड़क पर बांस-बल्ली लगाकर बंद समर्थकों ने बैरिकेडिंग कर दी जिससे आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया। ऐसे में आम लोग काफी परेशान दिखे।

राज्य के हजारीबाग जिले के बड़कागांव में बंद समर्थकों ने बड़कागांव मुख्य चौक को जाम कर दिया। सुबह से ही ये लोग भारत बंद के समर्थन में सड़कों पर उतर गए और बाजारों एवं दुकानों को जबरन बंद करवाया। बंद का असर कोडरमा जिले में भी देखा गया। बंद समर्थकों ने सड़क पर उतरकर सड़कों पर वाहनों का आवागमन ठप कर दिया।

पलामू और खूंटी जिले में भी भारत बंद का व्यापक असर देखा गया। मेदिनीनगर शहर में बंद असरदार रहा, तो पलामू के ग्रामीण इलाकों में बंद का मिलाजुला असर देखा गया। वाहनों का परिचालन पूरी तरह ठप रहा। खूंटी जिले में झामुमो कार्यकर्ताओ ने खूंटी शहर के भगत सिंह चौक को जाम कर दिया और घूम-घूमकर बंद को सफल बनाया।

गिरिडीह जिले में सुबह से ही झामुमो समर्थक सड़क पर आ गए और घूम-घूमककर दुकानों और बाजारों को बंद करवाया।लोहरदगा जिले में भीम आर्मी, धोबी महासंघ, आदिवासी छात्र संघ, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा तथा अन्य समाजिक संगठनों ने बंद को समर्थन दिया। इनके समर्थकों ने वाहन सहित दुकानों को बंद करवाया।

मांडर में ब्रांबे चौक, मुड़मा चौक पर बंद समर्थकों ने बांस-बल्ली लगाकर एनएच 75 को जाम कर दिया, जिसकी वजह से सड़क पर वाहनों की लंबी कतार लग गई। खलारी में बंद समर्थक सरना झंडा (आदिवासी समाजका धार्मिक झंडा) लेकर सड़कों पर उतरे। बाइक रैली निकाली और भारत बंद का समर्थन किया।

धनबाद जिले के बंद समर्थक सुबह 7 बजे सड़कों पर उतर आए। खानुडीह बसंती चौक, लूटी पहाड़ी चौक, बाघमारा इंद्रा चौक, डुमरा राजा चौक, हरिणा चौक को बांस-बल्ली लगाकर आवागमन ठप कर दिया गया। परिणातः वाहनों की लंबी कतार लग गई।

बोकारो जिले के ललपनिया क्षेत्र में भारत बंद का व्यापक असर दिखा। सुबह छह बजे ही झामुमो, भाकपा सहित अन्य संगठनों के कार्यकर्ता अघनू मांझी चौक ललपनिया में जुट गए। ललपनिया-गोमिया तथा ललपनिया-चार नंबर (रामगढ़) मुख्य पथ को रस्सी लगाकर अवरुद्ध कर दिया। बंद से टीटीपीएस प्रशासकीय भवन में कामकाज ठप पड़ गया। स्कूल, कॉलेज, बैंक, एटीएम सब बंद रहे। सभी मार्केट कॉम्प्लेक्स भी बंद रहे व लंबी दूरी के वाहनों का परिचालन भी ठप रहा।

वहीं झारखंड में विभिन्न संगठनों द्वारा आहूत बंदी कार्यक्रम को भाकपा-माले ने सक्रिय समर्थन किया। झारखंड के लगभग सभी ज़िलों में माले कार्यकर्ता सड़क पर उतरे। माले के अलावे छात्र संगठन AISA के बैनर तले सैकड़ों छात्र युवा भी इन प्रतिवाद कार्यक्रमों में हिस्सा लिया।

धनबाद, रांची, डाल्टनगंज. रामगढ, गिरिडीह, कोडरमा, बोकारो दुमका, देवघर आदि जिलों के ग्रामीण तथा शहरी इलाकों में प्रदर्शन, मार्च आदि संगठित किया गया। प्रदर्शनकारी आरक्षण में वर्गीकरण तथा लैटरल एंट्री के जरिए नियुक्ति के खिलाफ नारे लगा रहे थे। वे जाति आधारित जनगणना चालू करने की मांग कर रहे थे।

राजधानी रांची के अल्बर्ट एक्का चौक पर सुबह करीब साढ़े दश बजे दर्जनों माले कार्यकर्ताओं ने तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया एवं नारे लगाए। प्रदर्शन का नेतृत्व रविन्द्र भुइयां, जगरनाथ ओरांव, शांति सेन, ऐति तिर्की, नौरिन, अकरम, मोइन, मोहन दत्ता, शुभेंदु सेन, एनामुल, समर सिन्हा, भीम साहू, नौहीद आकाश आदि ने किया।

सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी कोटा के अंदर कोटा दिये जाने के फैसले को लेकर दलित व आदिवासी संगठनों ने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत 21 को भारत बंद कराया। जिसका मिला-जुला असर पूरे राज्य में देखने को मिला। कहीं रेल सेवा बाधित की गयी तो कहीं सड़क मार्ग जाम किया गया। पुलिस मुख्यालय की तरफ से जिलों को पहले ही अलर्ट किया गया था।

वहीं बिहार के पटना में प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज के दौरान पटना पुलिस के एक सिपाही ने पटना के एसडीएम पर ही डंडा बरसा दिया। जिससे एसडीओ भी अचंभित रह गए। भारत बंद को सफल बनाने के लिए प्रदर्शनकारी शहर के डाकबंगला चौराहा पर जमा हुए और यहां प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर खड़े वाहनों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया। कई वाहनों को प्रदर्शनकारियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। जिसके बाद पुलिस एक्शन में आ गयी और लाठीचार्ज कर दिया। पटना के एसडीएम भी गलती से इस लाठीचार्ज के चपेटे में आ गए।

दरअसल, प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए पुलिस लाठियां चटका रही थी कि इस दौरान पटना के SDM श्रीकांत खण्डलेकर सड़क पर मौजूद प्रदर्शकारियों को समझा रहे थे। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों को खदेड़ते हुए कुछ पुलिसकर्मी आगे बढ़े और इनमें एक सिपाही ने भूलवश दो लाठी SDM श्रीकांत खण्डलेकर को ही दे दी। जिससे एसडीओ भी अचंभित रहे। उन्होंने फौरन सिपाही को समझाया। जिसके बाद साथ के पुलिसकर्मियों ने सिपाही को बताया कि ये अफसर हैं। बता दें कि इसका वीडियो भी वायरल हो रहा है।

भागलपुर के बिहपुर में एससी/एसटी के उप-वर्गीकरण के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बहुजन संगठनों का भारत बंद सफल रहा। बंद समर्थक एससी/एसटी उपवर्गीकरण का विरोध करने के साथ ही “बिहार के एससी,एसटी और ईबीसी-बीसी के 65 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को 9 वीं अनुसूची में डालने,” “लैटरल एंट्री के जरिए भर्ती पर रोक लगाने,” “ओबीसी को आबादी के अनुपात में आरक्षण देने,” “आरक्षण की तय 50 प्रतिशत की सीमा और ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर के प्रावधान को खत्म करने,” “जाति जनगणना जल्द कराने और निजी क्षेत्र व हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति सहित हर क्षेत्र में एससी,एसटी व ओबीसी को आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी की गारंटी करने” की मांगों को भी बुलंद कर रहे थे।

बंद की अगुआई सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के गौतम कुमार प्रीतम, बिहार फुले-अंबेडकर युवा मंच के अखिलेश रमण, नसीब रविदास, अशोक अंबेडकर, सुनील दास, बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन(बिहार) के अनुपम आशीष, संतोष पासवान, सोहराब आलम, दीपक दीवान कर रहे थे।

सुबह से ही बिहपुर प्रखंड के शहीद गेट पर बंद समर्थकों का जुटान शुरु हो गया था। बिहपुर विधानसभा क्षेत्र से बंद समर्थकों का जत्था सोनवर्षा, हरिओ, झंडापुर, बिक्रमपुर, अरसंडीह, खरीक, नारायणपुर आदि जगहों से जमा हुए। हजारों की संख्या में जत्था शांतिपूर्ण भारत बंद व सुप्रीम कोर्ट आदेश के विरूद्ध नारा लगाते हुए बिहपुर प्रखंड कार्यालय होकर बाज़ार भ्रमण, करते हुए रेलवे गोलंबर होकर वापस डाक बंगला के सामने एक जगह इकट्ठा होकर सभा किया तथा दिनभर के इस बंदी कार्यक्रम के बाद एक सभा करते हुए बंद को समाप्त किया गया।

इससे पूर्व सभा को संबोधित करते हुए सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के गौतम कुमार प्रीतम और बिहार फुले-अंबेडकर युवा मंच के अखिलेश रमण ने कहा कि ऐतिहासिक बंद के जरिए बिहपुर सहित देशभर के बहुजनों ने एससी/एसटी उप वर्गीकरण के खिलाफ अन्य मांगों के पक्ष में एकजुट आवाज बुलंद की है।

इस मौके पर नसीब रविदास और अनुपम आशीष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भाजपा-आरएसएस का एजेंडा लागू कर रही है। भाजपा-आरएसएस की नीति फूट डालो-राज करो की है सुप्रीम कोर्ट भाजपा-आरएसएस के लिए रास्ता बना रही है। इसे बहुजन समाज बर्दास्त नहीं करेगा।

फुले-अंबेडकर युवा मंच के दीपक दीवान और सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के विनोद सिंह निषाद, सोहराब आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट-हाई कोर्ट एससी, एसटी और ओबीसी के मसले पर हमेशा ही विरोध में फैसला देती रही है। सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट तक एससी, एसटी व ओबीसी के जज नहीं के बराबर हैं। 2018 से 2023 तक हाई कोर्ट में नियुक्त जजों में एससी-3 प्रतिशत, एसटी-1.5 प्रतिशत और ओबीसी-12 प्रतिशत हैं। न्याय व्यवस्था के चरित्र को बदलने के लिए जरूरी है कि हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति में भी एससी, एसटी और ओबीसी को आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी मिले और कॉलेजियम सिस्टम खत्म हो।

(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट)

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