संयुक्त युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अधिवेशन में उठी मांग, मानसून सत्र में पेश हो रोजगार कानून

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नई दिल्ली। संसद भवन से चंद कदमों की दूरी पर स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब में शनिवार को दिनभर युवाओं का जमावड़ा रहा। इस दौरान देश के विभिन्न राज्यों से आए युवाओं और युवा संगठनों के प्रतिनिधियों ने संसद के मानसून सत्र में रोजगार कानून पेश करने की मांग की। युवाओं ने कहा कि यदि मोदी सरकार मानसून सत्र में रोजगार कानून पेश नहीं करती है तो देशव्यापी आंदोलन होगा। रोजगार अधिकार के लिए 113 युवा संगठनों द्वारा बनाए गए ‘संयुक्त युवा मोर्चा’ का पहला राष्ट्रीय अधिवेशन राजधानी दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में शनिवार को संपन्न हुआ। सम्मेलन में केंद्र सरकार से रोजगार अधिकार की गारंटी लागू करने की मांग उठी।

देश के संविधान के अनुच्छेद 39 व 41 के अनुसार सरकार का यह दायित्व है कि वह हर भारतीय के काम के अधिकार की गारंटी करे। सुप्रीम कोर्ट तक ने अनुच्छेद 21 की व्याख्या करते हुए कहा है कि देश के हर नागरिक के एक गरिमापूर्ण जीवन की गारंटी करना सरकार का कर्तव्य है और इसे सरकार को हर हाल में पूरा करना चाहिए। इसलिए रोजगार अधिकार संहिता (भरोसा) के लिए देश भर में मजबूती से अभियान चलाने का निर्णय खचाखच भरे हॉल में देशभर से आए प्रतिनिधियों ने लिया। साथ ही यह मांग भी की गई कि रिक्त पड़े एक करोड़ सरकारी पदों को तत्काल भरा जाए, सरकारी क्षेत्र में ठेका प्रथा पर रोक लगे और जनता के लिए उपयोगी शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंक, बीमा, रेलवे,पोर्ट, एयरपोर्ट, बिजली आदि उद्योगों के निजीकरण को बंद किया जाए।

भारत युवाओं का देश है। हमारी जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा 35 वर्ष के कम आयु वर्ग का है। भारत के पास डेमोग्राफिक डिविडेंड है। इतनी बड़ी युवा शक्ति और डेमोग्राफिक डिविडेंट किसी भी देश के लिए फायदेमंद बात हो सकती है यदि नेक नीयत और सुनियोजित तरह से उसका इस्तेमाल किया जाए। लेकिन हमारे नेताओं और सरकारों ने इस डिविडेंड को डिजास्टर बना दिया है। अगर युवाओं को बेहतर शिक्षा, रोज़गार, मूल्य और कौशल न मिले तो जिस आबादी के सहारे भारत विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बन सकता था, वही हमारे लिए बोझ बन जाएगी। किसी देश और समाज के लिए इससे बड़ा संकट क्या हो सकता है?

हमारा देश आज गहरे रोज़गार संकट का सामना कर रहा है। इसके पर्याप्त आंकड़ें और ज़मीनी प्रभाव की कहानियां मौजूद हैं। कहने की जरूरत नहीं कि इस विभीषिका के लिए सत्ता की नीति और राजनीति ज़िम्मेदार है। न सिर्फ हमारी अर्थव्यवस्था, बल्कि हमारा सामाजिक सौहार्द और लोकतंत्र भी आज निशाने पर है। इसलिये वर्तमान संकट बहुआयामी और अभूतपूर्व है।

अधिवेशन को संबोधित करते अनुपम

संयुक्त युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए युवा हल्ला बोल के अध्यक्ष अनुपम ने कहा कि आज देश में रोजगार संकट अभूतपूर्व है लेकिन इसे मोदी सरकार स्वीकार करने के लिए भी तैयार नहीं है। हालत इतनी बुरी है कि सरकार की नीतियों से दिन प्रतिदिन रोजगार के अवसर कम होते जा रहे हैं। इसे छिपाने के लिए ही नियुक्ति पत्र बांटने और रोजगार मेला लगाने जैसे नाटक सरकार कर रही है और उसके लोग रोजगार के बड़े-बड़े दावे कर जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं।

रोजगार के सवाल पर युवाओं का आक्रोश समय-समय पर पूरे देश में उभरता रहता है। इसे संगठित करने के लिए संयुक्त युवा मोर्चा का गठन किया गया है और इसमें देशभर के ज्यादातर आंदोलनरत संगठन शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हम विपक्ष से भी मांग करते हैं कि वह रोजगार के सवाल पर अपनी स्थिति को स्पष्ट करें और जहां-जहां उसकी सरकारें हैं वहां विधानसभा से रोजगार कानून को पास कराए। राज्यों में भी जो सरकारी नौकरियों में रिक्त पद हैं उन्हें भरा जाए। उन्होंने कहा कि संयुक्त युवा मोर्चा स्वतंत्र रूप से रोजगार के प्रश्न को देश में उठाएगा।

प्रशांत भूषण, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस दौर में अगले 10 सालों में औपचारिक क्षेत्र में 90 फीसदी तक नौकरियां खत्म हो जाएंगी। इसका पहला हमला देश में वकीलों और डॉक्टरों जैसे प्रोफेशनल कामों में लगे हुए लोगों पर होगा। देश में गहराते जा रहे बेकारी के संकट का जिक्र करते हुए कहा कि इसके हल के लिए रोजगार अधिकार कानून बनाया जाना चाहिए। जिसमें कम से कम न्यूनतम मजदूरी पर सभी नागरिकों के लिए सालभर रोजगार की गारंटी हो और रोजगार न मिलने की स्थिति में न्यूनतम मजदूरी का कम से कम 50 फीसद बेकारी भत्ता दिया जाए। उन्होंने कहा कि देश के कारपोरेट्स के ऊपर संपत्ति टैक्स, उत्तराधिकार टैक्स और स्टेट ड्यूटी लगाई जाए तो इसके लिए संसाधन जुटाए जा सकते हैं। आज के दौर में भी यह संभव है और आवश्यक भी है।

अखिलेंद्र प्रताप सिंह, पूर्व अध्यक्ष, इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ

इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा देश के संसाधनों पर चंद देशी विदेशी पूंजी घरानों का कब्जा होता जा रहा है। इसका परिणाम यह है कि देश में बड़े पैमाने पर असमानता बढ़ती जा रही है। नागरिकों का बड़ा हिस्सा संसाधन विहीन है और बेहद कठिन स्थितियों में अपने जीवन को चला रहा है। संविधान संसाधनों के असमान वितरण पर रोक लगाता है। हमें आम जनता के संसाधनों पर अधिकार के लिए खड़ा होना होगा। उन्होंने कहा कि पूर्व में हुए नागरिक आंदोलन, किसान आंदोलन, मजदूर आंदोलन से सीखते हुए आज के दौर में खड़ा हो रहा संयुक्त युवा मोर्चा का आंदोलन समावेशी और जन पक्षधर नई नीतियों के निर्माण का केंद्र बनेगा ऐसी हमें उम्मीद है।

पूर्व सूचना आयुक्त व आईपीएस यशोवर्धन आज़ाद ने कहा कि उन्हें युवाओं के आंदोलन से बड़ी उम्मीद है। राजनीति देश के हर सवाल का फैसला करती है इसलिए युवाओं को राजनीतिक रूप से सक्रिय होकर काम करना होगा और सुझाव दिया कि युवा आंदोलन को अपनी स्वतंत्रता बरकरार रखनी चाहिए।

जाने माने अर्थशास्त्री प्रो. संतोष मेहरोत्रा ने कहा कि नोटबन्दी, जीएसटी जैसे तुगलकी फरमानों का भारतीय जॉब मार्केट पर प्रतिकूल असर पड़ा, छोटे व्यापारी और व्यवसाय अभी भी उन झटकों से उबर नहीं पाए हैं। इससे भारी संख्या में रोजगार के अवसर खत्म हुए हैं। इसका हल मौजूदा सरकार को सत्ता से हटाना है।

बैंक एसोसिएशन के राष्ट्रीय नेता सी एच वेंकटचलम ने युवा आंदोलन से एकजुटता व्यक्त करते हुए कहा कि बैंकों में जमा पूंजी को देशी विदेशी कारपोरेट्स के हवाले करना जनता के धन की लूट है और देश की संप्रभुता पर हमला है। आज देश में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता पर हमला हो रहा है। मजदूर आंदोलन युवा आंदोलन के साथ एकताबद्ध होकर काम करेगा।

पर्यावरणविद् रवि चोपड़ा ने कहा कि वनों को आदिवासी व आम जनता को वानकीकरण के लिए देने से आजीविका का बहुत बड़ा साधन पैदा होगा और पर्यावरण की सुरक्षा की भी गारंटी होगी।

कांस्टीट्यूशन क्लब में युवा

सम्मेलन में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली, बिहार, झारखंड, केरल, उत्तराखंड समेत तमाम राज्यों व युवा आंदोलनों से प्रतिनिधियों ने शिरकत की। सम्मेलन को युवा मंच संयोजक राजेश सचान, युवा हल्ला बोल के कार्यकारी अध्यक्ष गोविंद मिश्रा, प्रशांत कमल, रजत यादव, दिवाकर, रजत सिंह, दिनकर कपूर, लवप्रीत, जुबिल, बृजेश राय, अरुणोदय परमार, राशिद हुसैनी, गौरव सिंह, अनिल सिंह, पत्रकार रवि शंकर तिवारी, डा. रोहन कृष्णन आदि ने सम्बोधित किया और संचालन अनुराधा ने किया।

प्रदीप सिंह https://www.janchowk.com

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

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