नई दिल्ली। खुदकुशी की दो पीड़ादायक खबरें हैं और दोनों मामले आर्थिक संकट से जुड़े हुए हैं। पहला सूबे के कृषि मंत्री के सामने जहर खाने वाले हल्द्वानी के ट्रांसपोर्टर प्रकाश पांडेय की मौत की है। दूसरी आजादी के रणबांकुरे शहीद ऊधम सिंह के परिवार से जुड़ी हुई है। उनके पोते और पेशे से किसान गुरदेव सिंह ने पंजाब के फरीदकोट में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।
शनिवार को देहरादून में प्रदेश के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के जनता दरबार में प्रकाश पांडेय जहर खाकर पहुंच गए थे। वो जीएसटी और नोटबंदी के चलते अपने कारोबार के चौपट हो जाने की उनसे शिकायत करना चाहते थे। उसी दौरान पांडेय बेहोश होकर गिर पड़े। जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन चार दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद आखिरकार वो जिंदगी की लड़ाई हार गए। आज मंगलवार को दिन में 12 बजे डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद अंतिम संस्कार के लिए हल्द्वानी भेज दिया।
बताया जाता है कि प्रकाश ने तीन ट्रक खरीद रखे थे। लेकिन नोटबंदी और जीएसटी के लागू होने के बाद उनका कारोबार बिल्कुल चौपट हो गया था। कहीं से कोई दूसरी आमदनी न होने के चलते उनके ऊपर कर्जों का बोझ बढ़ता जा रहा था। हालात ये थे कि अब उनके लिए परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा था। किसी सरकारी दफ्तर में उनका कुछ बकाया भी था लेकिन लगातार चक्कर लगाने के बाद भी उन्हें अपना बकाया नहीं मिल सका।
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अंत में हार कर वो सरकार के सामने अपनी फरियाद ले जाने के साथ ही अपना गुस्सा भी प्रकट करने की उन्होंने कोशिश की। और इसी रोष में उन्होंने जहर भी खा लिया था।
इस बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रकाश की मौत पर गहरा दुख जाहिर करने के साथ ही परिजनों की मांग पर मामले की जांच का भी भरोसा दिलाया है।
दूसरी घटना भले पंजाब की हो लेकिन एक दूसरे तरीके से वो उत्तराखंड से भी जुड़ी हुई है। क्योंकि शहीद ऊधम सिंह का उत्तराखंड से भी रिश्ता था। उनके पोते की मौत के पीछे उसके कर्जे का न माफ हो पाना प्रमुख वजह बताया जा रहा है। आपको बता दें कि 9 महीने के इंतजार के बाद कर्जा माफी वाले किसानों की जो सूची आय़ी उसमें अपना नाम न पाकर गुरदेव बेहद परेशान हो गए थे। देशबंधु पोर्टल के हवाले से आई इस खबर में बताया जा रहा है कि उनके ऊपर 20 लाख रुपये का कर्ज हो गया था। गुरदेव फरीदकोट के चाहल गांव में रहते थे।
आपको बता दें कर्जा माफी का ये कार्यक्रम पहले पांच जिलों में लागू किया गया है। और बताया जा रहा है कि कुल 47 किसानों के 2 लाख तक के कर्जे माफ हुए हैं। हालांकि योजना में कई खामियां भी गिनाई जा रही हैं और उसका किसान विरोध भी कर रहे हैं।
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