कश्मीरी परिवारों ने पर्यटकों के लिए न केवल अपने घरों के दरवाजे खोले, बल्कि अपने दिल भी खोल दिए। पहलगाम में घटी घटना के बाद कश्मीर में आए हुए पर्यटकों में भारी डर फैल गया था। कुछ मामलों में वहां के होटल वाले पर्यटकों को होटल छोड़ने के लिए मजबूर कर रहे थे। ऐसे डरे हुए पर्यटकों को कश्मीर के अनेक परिवारों ने अपने घरों में शरण दी और उनका पूरा ख्याल रखा। न केवल उन्हें ठहराया, बल्कि उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी की। यह पूरा आतिथ्य उन्होंने निःशुल्क किया।
पुणे की रहने वाली रूपाली पाटिल ने बताया कि वे इतनी डरी हुई थीं कि होटल से बाहर जाने की भी हिम्मत नहीं कर पा रही थीं। ऐसे में एक कश्मीरी परिवार ने उन्हें शरण दी। न केवल उन्हें, बल्कि उनके जैसे अनेक पर्यटकों को कश्मीरियों ने अपने घरों में ठहराया। इस तरह के कई किस्से सुनने को मिले।
अनेक पत्रकार, खासकर समाचार चैनलों के प्रतिनिधि, घटना के बाद कश्मीर पहुंच गए। उनमें से कई ने वहां मौजूद पर्यटकों से बात की। एक चैनल के प्रतिनिधि ने उन लोगों से बात की जो पहलगाम की घटना से बिल्कुल डरे नहीं थे। ऐसे लोगों में पुणे का एक डॉक्टरों का समूह शामिल था। उन्होंने बताया कि वे इस बात को पूरी तरह जानते थे कि इस जघन्य घटना के पीछे कश्मीरियों का हाथ नहीं है। इसलिए इस घटना के बावजूद वे कश्मीर में रुके रहे और जितने दिन उन्होंने कश्मीर में रहने का तय किया था, वह पूरे होने पर ही वे कश्मीर से लौटे।
एक पर्यटक, रामदास खोपड़े ने बताया कि वे सुरक्षित स्थान खोज रहे थे। इसी दौरान एक कश्मीरी परिवार ने हमें पूर्ण आतिथ्य प्रदान किया और एक पैसा भी नहीं लिया। हम पूरी दुनिया को बताना चाहते हैं कि आम कश्मीरी बहुत अच्छे इंसान हैं और उन्होंने इस मुसीबत के दौरान दिल खोलकर लोगों की मदद की।
कश्मीरियों को इस घटना के कारण भारी नुकसान हुआ। इस बार कश्मीर में पर्यटक भारी संख्या में आ रहे थे। पर्यटन से जुड़े कश्मीरियों ने पर्यटकों के स्वागत के लिए पूरी तैयारी कर रखी थी। होटल वालों ने अतिरिक्त कमरे बनाकर पर्यटकों को ठहराने की व्यवस्था की थी। कश्मीर की एक बड़ी आबादी के लिए पर्यटन मुख्य व्यवसाय है। लेकिन इस घटना के कारण कई कश्मीरियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसके बावजूद, वे इसकी परवाह किए बिना दिल खोलकर पर्यटकों को सुरक्षा दे रहे हैं।
पर्यटन व्यवसाय से जुड़े एक कश्मीरी ने बताया कि एक ओर जहां पहलगाम जैसी घटना पहले कभी कश्मीर में नहीं हुई, वहीं जिस बड़े पैमाने पर कश्मीर के निवासियों ने इस घटना की भर्त्सना की और इसके खिलाफ अपना गुस्सा दिखाया, वह भी पहले कभी नहीं हुआ। पहले कुछ कश्मीरी आतंकवादियों के समर्थन में खड़े हो जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। लगभग तीन दिन तक पूरे कश्मीर ने अपना कारोबार बंद रखकर अपने गुस्से का इजहार किया।
इसलिए हमारा कर्तव्य है कि जो कश्मीरी भारत के विभिन्न हिस्सों में रह रहे हैं, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। खासकर जो कश्मीरी विद्यार्थी विभिन्न शहरों में हैं, उन्हें पूर्ण सुरक्षा दी जाए। इस दौरान जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने मंत्रियों को भारत के विभिन्न हिस्सों और शहरों में भेजा है ताकि वे वहां जाकर राज्य सरकारों के मुखियाओं से मिलकर उनके क्षेत्र में रहने वाले कश्मीरियों की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करें। कई मुख्यमंत्रियों ने पूर्ण सुरक्षा की गारंटी दी है। इस संकट के समय हमें यह प्रदर्शित करना चाहिए कि पूरा भारत कश्मीर के साथ है।
(एल.एस. हरदेनिया राष्ट्रीय सेक्युलर मंच के संयोजक हैं)
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