किसान आंदोलन की प्रमुखता से कवरेज के चलते न्यूज़क्लिक बना सरकार का निशाना: किसान मोर्चा

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वेब पोर्टल न्यूजक्लिक, उसके संपादक प्रबीर पुरकायस्थ न्यूजक्लिक के शेयरधारकों के आवास व दफ्तर पर प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी का संयुक्त किसान मोर्चा व तमाम किसान यूनियनों ने पुरजोर निंदा की है। बता दें कि संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के यहां तो ईडी ने 113 घंटे तक लगातार छापेमारी की। यह छापा बीती रात तकरीबन एक बजे खत्म हुआ। इस बीच प्रबीर पुरकायस्थ को अपने घर में ही नजरबंद रखा गया।

भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने न्यूजक्लिक पर ईडी रेड को किसान आंदोलन कवर करने से जोड़कर कहा कि  “भारतीय किसान यूनियन स्वतंत्र पत्रकारिता के संस्थानों पर सरकारी जांच एजेंसियों द्वारा दमन का विरोध करती है। निशाना वह है जो प्रमुखता के साथ किसान आंदोलन को कवर कर रहे हैं।” 

उन्होंने एक के बाद एक कई सिलसिलेवार ट्वीट करके न्यूजक्लिक न्यूज वेबपोर्टल पर सरकारी हमले का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि “हाल में, न्यूज़क्लिक और इसके सम्पादकों, प्रबीर पुरकायस्थ और प्रांजल पर प्रवर्तन निदेशालय की लंबी कार्रवाई सरकार के विरोध में उठने वाली आवाज़ों को दबाने की कोशिश है।” 

उन्होंन आगे कहा है, “इससे पहले भी, सरकार ने पत्रकारों पर देशद्रोह के केस के साथ ट्विटर और यूट्यूब पर किसानों के समर्थन में उठने वाली आवाज़ों को दबाने का काम किया है। ये सभी कार्रवाइयां संविधान द्वारा नागरिकों को दिए गए मूलभूत ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ के अधिकार पर हमला हैं।

 भाकियू माँग करती है कि स्वतन्त्र मीडिया के खिलाफ ये सारी कार्रवाइयाँ तुरंत प्रभाव से रोकी जाएं।”

वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान जारी करके न्यूज़क्लिक के दफ़्तर में छापेमारी की निंदा की है। बयान में कहा गया है कि “इस सरकार का कलम और कैमरे पर सख्त दबाव है। इसी कड़ी में पत्रकारों की गिरफ्तारी और मीडिया के दफ्तरों पर छापेमारी हो रही है।” 

बयान में कहा गया है कि, ‘हम न्यूज़क्लिक मीडिया पर बनाये जा रहे दबाव की निंदा करते हैं। ऐसे वक़्त में जब गोदी मीडिया सरकार का प्रोपोगेंडा फैला रहा है, चंद मीडिया चैनल लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की लाज बचाये हुए हैं व उन पर हमला निंदनीय है।’

न्यूजक्लिक पर छापे का पूरे देश में तीखा विरोध हुआ है। समाज के अलग-अलग हिस्सों से प्रतिक्रियाएं आयी हैं। पत्रकारिता जगत में इसको लेकर बेहद रोष है। बिहार के कुछ इलाकों में तो लोग बाकायदा सड़क पर उतर कर इसका विरोध कर रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार में सच सुनने की ताकत खत्म हो गयी है और उसी का नतीजा है कि उसने आइना दिखाने वाले पोर्टलों को अब निशाना बनाना शुरू कर दिया है। सैकड़ों मीडिया घरानों को अपनी गोद में रखने वाली सत्ता एक छोटे से वेब पोर्टल से अगर डर जा रही है तो इससे यह बात बखूबी समझी जा सकती है कि वह किस कदर डरी हुई है और कितनी कमजोर हो गयी है।

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