इस संकट में वामपंथी, अंबेडकरवादी, समाजवादी और गांधीवादियों को होना होगा एकजुटः अखिलेंद्र

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किसान आंदोलन के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए स्वराज अभियान लोकतांत्रिक संगठनों, बुद्धिजीवियों व सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं से संवाद स्थापित कर रहा है। इसी क्रम में स्वराज अभियान के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अखिलेन्द्र प्रताप सिंह और आईपीएफ के बिहार प्रभारी पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा ने भागलपुर के सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों के साथ चर्चा और विमर्श किया।

इस मौके अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि आज के दौर में सैद्धांतिक बहसों में उलझने के बजाय कार्यक्रमगत एकता की जरूरत है। वामपंथी, अंबेडकरवादी, समाजवादी व गांधीवादियों की बड़ी एकता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन व्यापक स्वरूप के लोकतांत्रिक आंदोलन के बतौर  विकसित हो रहा है। इस आंदोलन में देश की राजनीति को बदल देने की क्षमता है। यह किसान आंदोलन केन्द्र सरकार की कॉरपोरेटपरस्त नीतियों से टकरा रहा है। किसान आंदोलन अन्य तबकों के लोकतांत्रिक मांगों पर आंदोलन को आवेग प्रदान कर रहा है, प्रेरित कर रहा है।

उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन भाजपा की तानाशाही शासन का चक्का रोक रहा है। सांप्रदायिक विभाजन को तोड़ रहा है। इस आंदोलन को तमाम तबकों-उत्पीड़ित समूहों का समर्थन मिल रहा है। किसान आंदोलन भी तमाम आंदोलनों से रिश्ता बना रहा है।

इस मौके पर आईपीएफ के प्रदेश प्रभारी पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा ने कहा कि बिहार सरकार पर विधानसभा से तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने, एमएसपी को कानूनी दर्जा देने और सरकारी खरीद की गारंटी करने की मांगों पर आंदोलनात्मक दबाव बनाने के लिए आगे बढ़ना होगा। इन मांगों पर बिहार में किसान आंदोलन को खड़ा करने की चुनौती कबूल की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी, एमएसपी को कानूनी बनाने और सरकारी खरीद की गारंटी की मांगों पर व्यापक एकजुटता बनाने की जरूरत है।

संवाद का संयोजन सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के रिंकु यादव ने किया। इस मौके पर डॉ. योगेन्द्र, प्रो. अर्जुन यादव, डॉ. केके मंडल, नीरज, सोनम राव, संजय पटेल, रवि, श्यामदेव, मुकेश मुक्त, फारूक, अर्जुन शर्मा, भरत, रामपूजन, दीपक मंडल, साहिल, ललन, सुमन सहित कई मौजूद थे।

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