मी लॉर्ड! आप से कैसे हो सकता है ऐसा ब्लंडर

Estimated read time 1 min read

नई दिल्ली। अगर देश की उच्च न्यायिक संस्थाओं और एजेंसियों की ही प्रमाणिकता संदिग्ध हो जाएगी तो भला इस लोकतंत्र का क्या होगा ? अभी खबर आयी थी कि कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार की जमानत याचिका में ईडी ने पूर्व गृहमंत्री चिदंबरम के मामले से जुड़े कंटेट को कट पेस्ट कर लगा दिया था।

अब एक दूसरा मामला चिदंबरम से जु़ड़ा हुआ सामने आया है जिसमें उनके आईएनएक्स मीडिया मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज करते हुए नवंबर 2017 में एक दूसरे शख्स रोहित टंडन के मनी लांडरिंग के केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेश के एक पैराग्राफ की कापी कर उसे हुबहू अपने आर्डर में डाल दिया है। जबकि चिदंबरम के मामले का मनी लांडरिंग के इस केस से कोई लेना-देना ही नहीं है।

द हिंदू के मुताबिक तीन जगहों पर हाईकोर्ट के जज जस्टिस एसके कैत ने 10 नवंबर,2017 के सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को शामिल किया है। सर्वोच्च न्यायालय का आदेश एक मनी लांडरिंग के केस में दिल्ली के वकील रोहित टंडन की जमानत याचिका खारिज होने से संबंधित है। 

टंडन की जमानत याचिका से संबंधित पूरा पैराग्राफ जस्टिस कैत के 15 नवंबर, 2019 के चिदंबरम के जमानत संबंधी आदेश में देखा जा सकता है।

उदाहरण स्वरूप एक पैराग्राफ कुछ इसी तरह से है, “ऐसा आरोप है कि 15.11.2016 से 19.11.2016 के बीच 31.75 करोड़ रुपये की एक बड़ी राशि कोटक महिंद्रा बैंक में खोले गए ग्रुप आफ कंपनीज के 8 खातों में जमा की गयी। इसमें 15.11.2016 से 19.11.2016 के बीच आठ खाताधारकों सुनील कुमार, दिनेश कुमार, अभिलाषा दुबे, मदन कुमार, मदन सैनी, सत्य नारायण दागदी और सीमा बाई के नाम विभिन्न तारीखों को जारी किए गए डिमांड ड्राफ्ट की डिटेल शामिल है। ज्यादातर डिमांड ड्राफ्ट को रिकवर कर लिया गया है।”

पैराग्राफ में जिक्र किए गए सात नाम बिल्कुल काल्पनिक हैं। आपको बता दें कि टंडन दिल्ली के वकील हैं और उन पर अपने विभिन्न सहयोगियों के जरिये बड़ी मात्रा में धन राशि दिल्ली के विभिन्न बैंकों के खातों में जमा करने का आरोप लगा था। ऐसा कहा जाता है कि यह पूरा मामला नोटबंदी के बाद घटित हुआ था। टंडन को 2016 में गिरफ्तार कर लिया गया था।

जबकि आईएनएक्स मीडिया केस 2007-08 में एफआईपीबी के ग्रांट की संस्तुति से जुड़ा हुआ है जब चिदंबरम वित्तमंत्री थे।

उम्मीद की जा रही है कि चिदंबरम दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जल्द ही अपील कर सकते हैं।

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author