प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर यह दावा करते हैं कि उनकी सरकार अब तक की सबसे पारदर्शी सरकार है और उसने सरकारी योजनाओं में होने वाले भ्रष्टाचार को खत्म कर दिया है। लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट है। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय को नहीं मालूम कि सांसद निधि यानी एमपी स्थानीय क्षेत्र विकास (एमपीएलएडी) योजना पर कोरोना काल में कितना धन ख़र्च किया गया। इस सांसद निधि से होने वाले कामों का क्रियान्वयन और उस पर निगरानी का काम सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय करता है।
इसी मंत्रालय ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया है कि उसे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि सांसद निधि को कोरोना महारामारी काल 2020-21 और 2021-22 के दौरान कैसे ख़र्च किया गया था। उसे यह भी जानकारी नहीं है कि इस निधि के लिए आवंटित बजट का पूरी तरह से उपयोग किया गया या नहीं।
एमपीएलएडीएस (एमपीलैड्स) केंद्र सरकार की योजना है जो सांसदों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में पेयजल, प्राथमिक शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता और सड़कों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में सामुदायिक विकास कार्य करने के लिए दी जाती है। यह योजना वर्ष 1993 में पीवी नरसिंहराव सरकार के समय शुरू हुई थी।
शुरुआत में इस योजना के तहत हर सांसद को उसके निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए एक करोड रुपए सालाना दिए जाते थे। बाद में यह राशि बढ़ते-बढ़ते पांच करोड़ रुपए हो गई। अब प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र को हर साल ढाई-ढाई करोड़ रुपए की दो किस्तों में पांच करोड़ रुपए आवंटित किए जाते हैं।
कोरोना काल के दौरान सांसद निधि काफी चर्चा में रही थी। ऐसा इसलिए कि कोरोना महामारी की वजह से 2020 में केंद्र सरकार ने सांसद निधि पर रोक लगा दी थी। वर्ष 2021 के आख़िरी में सरकार ने घोषणा की थी कि सांसद निधि को फिर से बहाल कर दिया है। यह निधि वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए बचे हुए हिस्से के लिए बहाल की गई थी और कहा गया था कि 2025-26 तक जारी रहेगी।
सरकार ने कहा था कि 2021-22 की सांसद निधि के लिए प्रत्येक सांसद को दो-दो करोड़ रुपए की किस्त आवंटित की जाएगी। इसके बाद हर साल ढाई-ढाई करोड़ रुपए की दो किस्तें जारी की जाएंगी।
बहरहाल, इसी सांसद निधि को लेकर अब सरकार से सवाल पूछा गया था कि आख़िर कोरोना काल में सांसद निधि का कितना इस्तेमाल किया गया। बहुजन समाज पार्टी के सांसद श्याम सिंह यादव के एक सवाल के लिखित जवाब में सरकार ने कहा कि सांसद निधि को ‘स्वास्थ्य और समाज पर कोविड -19 के प्रतिकूल प्रभावों के प्रबंधन के लिए वित्त मंत्रालय के अधीन रखा गया था।’ इसमें कहा गया है कि मंत्रालय के पास ‘इस बारे में कोई डेटा या विवरण नहीं है कि इस हेतु आवंटित बजट का उपयोग किन उद्देश्यों के लिए किया गया है या क्या इसका कोई हिस्सा बिना इस्तेमाल का रहा है।’
यादव के सवाल के जवाब में सांख्यिकी मंत्रालय ने कहा है कि 2019-20 में पूरी सांसद निधि उपलब्ध कराई गई थी और कुछ भी निलंबित नहीं किया गया था। 2020-21 मे प्रति सांसद पांच करोड़ रुपए की पूरी सांसद निधि निलंबित कर दी गई थी और कुछ भी उपलब्ध नहीं कराई गई थी। 2021-22 में एमपीलैड्स फंड यानी सांसद निधि आंशिक रूप से जारी की गई थी और हर निर्वाचन क्षेत्र में दो करोड़ रुपए उपलब्ध कराए गए थे।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अप्रैल 2020 में वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 के दौरान एमपीएलएडीएस को संचालित नहीं करने का निर्णय लिया था और महामारी के प्रबंधन के लिए धन को वित्त मंत्रालय के अधीन कर दिया था। हालाँकि बाद में इसे बहाल कर दिया गया था।
(अनिल जैन वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल दिल्ली में रहते हैं।)
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