नई दिल्ली। नेशनल प्रेस क्लब की अध्यक्ष एमिली विलकिंस और नेशलन प्रेस क्लब जर्नलिज्म इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष गिल क्लीन ने कश्मीरी पत्रकार आसिफ सुल्तान की फिर से गिरफ्तारी की निंदा की है। आसिफ सुल्तान को 2019 में नेशनल प्रेस क्लब की तरफ से जॉन अबुचन प्रेस फ्रीडम पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। गौरतलब है कि मंगलवार को आसिम जेल से रिहा हुए थे और गुरुवार को कश्मीर पुलिस ने फिर से उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
दोनों संगठनों की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि हम कश्मीरी पत्रकार आसिफ सुल्तान के इस हफ्ते फिर से गिरफ्तारी से बेहद चिंतित हैं। साढ़े पांच साल सुल्तान द्वारा पत्रकार के तौर पर काम करने लिए खर्च किया गया जेल का हर दिन बहुत लंबा था। उन्हें घुसपैठियों को मदद पहुंचाने के लिए गैर न्यायिक रूप से आरोपित किया गया जबकि वह केवल उन पर रिपोर्टिंग कर रहे थे।
सुल्तान को मंगलवार को जेल से रिहा किया गया और यह उनके लिए खुशी का मौका होना चाहिए था। जो उनके परिवार के लिए एक शांति का मौका लेकर आया था। इसकी बजाय राज्य की पुलिस ने गुरुवार को उन्हें फिर से किसी एक पुराने मामले में गिरफ्तार कर लिया जब वो घर लौटे।
नेशनल प्रेस कल्ब ने 2019 में सुल्तान को अबुचन फ्री प्रेस फ्रीडम अवार्ड से सम्मानित किया था। और इसके जरिये उसने प्रधानमंत्री पीए मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत कश्मीर में प्रेस की बुरी स्थिति और उनके केस के साथ होने वाले असहनीय अन्याय को सामने लाने का काम किया था। सुल्तान की फिर से गिरफ्तारी ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में पत्रकारों के किए जा रहे उत्पीड़न की फिर से याद दिला दी है।
पत्रकारिता कोई अपराध नहीं है। कोई भी सरकार अगर तानाशाहीपूर्ण तरीके से उन पत्रकारों को हिरासत में लेती है या फिर उनकी गिरफ्तारी करती है जो अपना काम कर रहे हैं। इसका मतलब यह है कि वह सूचनाएं देने और नागरिकों तक उनके पहुंचने के उनके बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही है। विज्ञप्ति में आसिफ सुल्तान की बेबुनियादी गिरफ्तारी को खत्म कर तत्काल उनकी रिहाई की मांग की गयी है।
आपको बता दें कि नेशनल प्रेस क्लब की स्थापना 1908 में हुई थी। और यह पत्रकारों का दुनिया में सबसे अगुआ संगठन है। और इसमें दुनिया के तकरीबन सभी स्थापित पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधि हैं। इसके साथ ही अमेरिका समेत दुनिया में यह प्रेस की स्वतंत्रता के लिहाज से एक अगुआ आवाज है।
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