तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए मिलीं सिर्फ भाजपा नेत्रियां

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आज उत्तराखंड की वीरांगना तीलू रौतेली के जन्मदिन है। उनके जन्मदिन पर उत्तराखण्ड सरकार स्त्री शक्ति तीलम रौतेली पुरस्कार का आयोजन करती है। आज वर्ष सर्वेचौक स्थित आईआरडीटी सभागर में ‘‘तीलू रौतेली पुरस्कार एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार” वितरित किये गये। चयनित राज्य की 22 महिलाओं को तीलू रौतेली पुरस्कार एवं 22 महिलाओं को आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। तीलू रौतेली पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को 31 हजार रूपये की सम्मान धनराशि एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। जबकि आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार के तहत 21 हजार रूपये की सम्मान राशि एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।

जिन 22 महिलाओं को तीलू रौतेली पुरस्कार दिया गया उनके नाम हैं – डॉ. राजकुमारी भंडारी चौहान, श्यामा देवी, अनुराधा वालिया, डॉ. कंचन नेगी, रीना रावत, वन्दना कटारिया, चन्द्रकला तिवाड़ी, नमिता गुप्ता, बिन्दुवासिनी, रूचि कालाकोटी, ममता मेहता, अंजना रावत, पार्वती किरौला, कनिष्का भण्डारी, भावना शर्मा, गीता जोशी, बबीता पुनेठा, दीपिका बोहरा, दीपिका चुफाल, रेखा जोशी, रेनू गडकोटी, पूनम डोभाल।

जिन स्त्रियों को राज्य स्तरीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ती पुरस्कार दिये गये उनके नाम हैं-

गौरा कोहली, पुष्पा प्रहरी, पुष्पा पाटनी, गीता चन्द, गलिस्ता, अंजना, संजू बलोदी, मीनू, ज्योतिका पाण्डेय, सुमन पंवार, राखी, सुषमा गुसांई, आशा देवी, दुर्गा बिष्ट, सोहनी शर्मा, वृंदा, प्रोन्नति विस्वास, हन्सी धपोला, गायत्री दानू, हीरा भट्ट, सुषमा पंचपुरी, सीमा देवी।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि अगले वर्ष से तीलू रौतेली पुरस्कार एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार की धनराशि बढ़ाकर 51 हजार रूपये की जायेगा। उन्होने यह भी कहा कि भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी वन्दना कटारिया उत्तराखण्ड में महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की ब्रांड एम्बेसेडर होंगी। 

भाजपा नेत्रियों में बांट दिया गया तीलू रौतेली पुरस्कार 

तीलू रौतेली पुरस्कार के लिये एक नहीं अनेक भाजपा नेत्रियों के नाम शामिल किये गये हैं। आरोप लगाया जा रहा है कि सूची में केवल कुमाऊं से ही 7 भाजपा नेत्रियों के अतिरिक्त भाजपा नेताओं के रिश्तेदारों को तीलू रौतेली पुरस्कार बांटा जा रहा है। यह पहली बार है जब प्रतिष्ठित तीलू रौतेली पुरस्कार इतनी बड़ी संख्या में किसी पार्टी विशेष से सबंधित महिलाओं को दिया गया है। 

उत्तराखंड कांग्रेस का आरोप है कि जब सरकार को कोई विशेष योगदान नहीं दिखा तो उन्होंने कोरोना वारियर नाम का नया योगदान क्षेत्र बनाकर तीलू रौतेली पुरस्कार बांटा जा रहा है। 

वहीं आम आदमी पार्टी का कहना है कि एक तरफ दिल्ली सरकार सुंदर लाल बहुगुणा के लिये भारत रत्न की मांग संबंधित प्रस्ताव पारित कर रही है, वहीं उत्तराखंड सरकार कैबिनेट मंत्री की बेटी को पुरस्कृत कर रही है।  


तीलू रौतेली- (गढ़वाल की झाँसी की रानी)

कौन हैं तीलू रौतेली

1661 ई. में जन्मी पौड़ी गढ़वाल की यह वीरांगना खैरागढ़ के शासक मानकसाह के सरदार तथा चाँदकोट के थोकदार भूपसिंह गैरोला की पुत्री थी। कत्यूरी शासक धामदेव ने जब खैरागढ़ पर आक्रमण किया तो मानशाहगढ़ की रक्षा का भार अपने सरदार भूपसिंह को सौंप कर स्वयं चांदपुर गढ़ी में आ गया। भूपसिंह ने आक्रमणकारी कत्यूरियों का डटकर मुकाबला किया। सराईखेत में कत्यूरियों और गढ़वाली सैनिकों के मध्य घमासान रण हुआ। इस युद्ध में भूपसिंह अपने दो बेटों भगलू और पतवा के साथ वीरगति को प्राप्त हुआ। भूपसिंह के समधी भूम्या नेगी, उनके दामाद भवानसिंह नेगी और बहुत से अन्य योद्धा भी इस संघर्ष में मारे गए। 

उस काल में गढ़वाल के पूर्वी सीमान्त के गांवों पर कुमाऊँ के पश्चिमी क्षेत्रों के कैंतुरा वर्ग के लोग बवाल मचाये रखते थे। लूटपाट करने वाले कैंतुराओं द्वारा पैदा की गयी इस अशांत स्थिति में एक बार जब कांडा का वार्षिक लोकोत्सव होने वाला था, तीलू ने अपनी माता से उस में जाने की इच्छा व्यक्त की। मेले की बात सुनकर तीलू की माता को कैंतुरा आक्रान्ताओं के साथ मारे गए अपने पति और दो बेटों की याद आ गयी। उसने अपनी 15 वर्षीया बेटी तीलू से कहा – “यदि आज मेरे पुत्र जीवित होते तो एक न एक दिन वे इन कैंतुरों से अपने पिता की मौत का बदला अवश्य लेते।”

मां के उलाहनों को सुन तीलू ने तत्क्षण संकल्प लिया कि वह कैंतुरों से प्रतिशोध लेगी और खैरागढ़ समेत अपने समीपवर्ती गांवों को इन आक्रान्ताओं से मुक्त करायेगी। उसने इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आसपास के गांवों में घोषणा करवा दी कि इस वर्ष कांडा का उत्सव नहीं बल्कि आक्रमणकारी कैंतुरों के विनाश का उत्सव होगा। इसके लिए उसने सभी युवा योद्धाओं को सम्मिलित होने के लिए ललकारा। इसका वांछित परिणाम हुआ और क्षेत्र के सभी युवक और योद्धा तैयार हो गए। नियत दिन पर उनका नेतृत्व करने के लिए वीरांगना तीलू योद्धाओं का बाना पहन, सात में अस्त्र-शस्त्र लेकर अपनी घोड़ी बिंदुली पर सवार होकर अपने सहयोगियों के साथ युद्ध के लिए निकल पड़ी। तीलू ने सबसे पहले खैरागढ़ के उस किले को आक्रमणकारियों से मुक्त कराया जो उस पर अपना अधिकार जमाये बैठे थे। इसके बाद उसने कालीखान पर कब्जा करने के इरादे से उसी दिशा में बढ़ते हुए कैंतुरों को वहां से भी खदेड़ा। तत्पश्चात अगले सात वर्षों तक वह लगातार अपने क्षेत्र को इन लुटेरे-आक्रान्ताओं से मुक्त कराने हेतु संघर्षरत रही। इस कालावधि में उसने अपनी सैन्य टुकड़ियों का सफल नेतृत्व करते हुए आसपास के क्षेत्रों – सौन, इड़ियाकोट, भौन, ज्यूड़ालूगढ़, सल्ट, चौखुटिया, कालिकाखान, बीरोंखाल आदि को मुक्त करवा कर वहां शान्ति स्थापित किया। 

इतने लम्बे समय तक संघर्षरत रहने के उपरान्त बीरोंखाल पहुँचने पर उसने कुछ दिन वहां विश्राम करने के इरादे से पड़ाव डाला और सैनिकों को कांडा भेज दिया। इस क्रम में जब वह तल्ला कांडा में नयार के पास से गुज़र रही थी तो उसके मन में आया कि एक बार नयार में स्नान कर ले। उसने एक स्थान पर सैनिकों को ठहरने को कहा और स्वयं स्नान करने चली गयी। जब वह एकांत में स्नान कर रही थी, मौका पाकर नजदीक ही एक झाड़ी में छिपे एक कैंतुरा सैनिक रामू रजवार ने धोखे से उस पर वार किया और उसकी हत्या कर दी। 

तब से कांडा और बीरोंखाल के इलाके में हर वर्ष तीलू की स्मृति में एक मेले का आयोजन होता है और पारंपरिक वाद्यों के साथ जुलूस निकालकर उसकी मूर्ति की पूजा की जाती है। तीलू रौतेली की को याद करते हुए गढ़वाल मंडल में अनेक गीत भी प्रचलित हैं। उत्तराखंड की सरकार हर वर्ष उल्लेखनीय कार्य करने वाली स्त्रियों को तीलू रौतेली पुरुस्कार से सम्मानित करती है। 

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