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ताली-थाली बज गई, अब सरकार अपना दायित्व निभाए!

अभी थोड़ी देर पहले जब ताली, थाली, शंख की आवाजें रुकी तो उप्र के एक डॉक्टर मित्र का फोन आया। मुझसे कोरोना की समस्या पर बात कर रहे थे। उन्हें एक दूरस्थ सेंटर में कोरोना का इंचार्ज बनाया गया है। उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से उन्हें एक मास्क और ग्लब्स तक उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। उच्च अधिकारियों से बार-बार कहने के बाद भी एक थर्मामीटर पकड़ा कर उनकी टीम को कोरोना की रोकथाम की ड्यूटी में लगा दिया गया है। मास्क और ग्लब्स भी उनकी टीम ने अपनी जेब से खरीदे हैं। उनका कहना था कि स्वास्थ्य कर्मी जान जोखिम में डालकर जनता को बचाने के लिए जूझ रहे हैं पर सरकार की ओर से कोई सुरक्षा किट नहीं दिए जा रहे हैं। जिलों में कोरोना टेस्ट की कोई सुविधा नहीं है। संदिग्ध लोगों को लखनऊ भेजा जाता है।

आज दिन में मैंने उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत अपने एक साथी से बात की। उन्होंने बताया कि कोरोना से बेरोजगार हुए या डरे हुए लोगों की भीड़ उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में आ रही है। इससे यहां भी गांवों-कस्बों में कोरोना फैलने का खतरा बढ़ गया है। पर सरकार की तरफ से अब तक कोई तैयारी नहीं की गई है। यहां तक कि डॉक्टर्स और स्वास्थ्य कर्मियों को मास्क व ग्लब्स तक नहीं दिए गए हैं। जांच की तो कोई व्यवस्था है ही नहीं।

उत्तराखंड में एक और स्वास्थ्य कर्मी मित्र से बात हुई। उन्होंने बताया कि कोरोना की जांच के लिए कुमाऊं के सुशीला तिवारी मेडिकल कालेज को मात्र 200 किट भेजी गई हैं। कुमाऊँ की 50 लाख से ज्यादा की आबादी को सरकार ने भाग्य भरोसे मरने को छोड़ा है। डॉक्टर्स, स्वास्थ्य कर्मियों के लिए भी कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं हैं।

अभी चार दिन पहले मैं एक रिपोर्ट पढ़ रहा था कि एम्स के डॉक्टर्स एसोसियेशन ने अपने उच्च अधिकारियों को ज्ञापन देकर डॉक्टर्स और स्वास्थ्य कर्मियों को सुरक्षा किट उपलब्ध कराने की मांग की थी।

देश की जनता ने अपनी सुरक्षा में तैनात इन लोगों के लिए ताली, थाली के साथ ही शंख भी बजा दिया है। पर सरकारें इनकी जीवन रक्षा के लिए इन्हें सुरक्षा उपकरण कब उपलब्ध कराएंगी? और जनता के लिए जिला स्तर पर कोरोना की मुफ्त जांच की व्यवस्था कब करेगी? इसका जवाब तो देना ही होगा।

(पुरुषोत्तम शर्मा अखिल भारतीय किसान सभा के नेता हैं।)

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