अडानी ग्रुप के भारी कर्ज पर क्रेडिट एजेंसी ने जताई चिंता

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गौतम अडानी का अडानी ग्रुप भारी कर्ज के बोझ में है और यह कंपनी लगातार आक्रामक तरीके से पुराने और नए कारोबार में निवेश कर रही है। निवेश के लिए अधिकतम पूंजी कर्ज से जुटाई गई है। आक्रामक तरीके से लगातार भारी निवेश करने से कंपनी के क्रेडिट और कैश फ्लो पर दबाव बन गया है। इस वजह से यह ग्रुप बहुत ज्यादा कर्जदार हो चुका है। इसके चलते हालात बिगड़ने पर इसके डिफॉल्टर होने का भी खतरा है। ये बातें अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग और रिसर्च कंपनी फिच ग्रुप की इकाई क्रेडिटसाइट्स ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कही है।

इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर भारी कर्ज का जिक्र करते हुए आशंका जताई गई है कि हालात बिगड़ने पर यह समूह कर्ज के जाल में फंस सकता है और डिफॉल्टर भी हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक अडानी ग्रुप की कंपनियों पर कुल मिलाकर 2.3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। इस ग्रुप की कंपनियों पर कर्ज का भारी बोझ ऐसे दौर में है जब ब्याज दरें बढ़ रही हैं, जिससे यह जोखिम और गंभीर हो सकता है। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्टर प्रोजेक्ट्स लंबे समय के हैं जिनमें भविष्य में और निवेश की जरूरत पड़ सकती है।

हालांकि फिच ग्रुप की डेट रिसर्च यूनिट क्रेडिटसाइट्स ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर कर्ज के भारी बोझ के बारे में चिंता जाहिर करने के साथ ही यह भी कहा है कि इस उद्योग समूह के भारतीय बैंकों और सरकार के साथ बेहतर संबंध हैं। जो उसके लिए राहत की बात है। दरअसल अडानी सरकारी सपोर्टेड कंपनी है। एक परसेप्शन है कि अडानी और सरकार एक यूनिट हैं। लेकिन अगर सरकार बदली तो अडानी का बचना जरा कठिन होगा। अडानी ग्रुप भारतीय इकॉनमी का ब्लैकहोल बन रहा है। अडानी ग्रुप के प्रतिनिधियों ने इस रिपोर्ट के बारे में अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है।

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अडानी ग्रुप टेलिकॉम, सीमेंट, बिजली से लेकर लांग-टर्म इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े तमाम प्रोजेक्ट्स में लगातार बड़े-बड़े निवेश कर रहा है। 23 अगस्त को अडानी ग्रुप की सभी सातों लिस्टेड कंपनियों के शेयर 2 से 7 फीसदी तक फिसल गए।

क्रेडिटसाइट्स के एनालिस्ट्स के मुताबिक गौतम अडानी की गैर-मौजूदगी में सीनियर मैनेजमेंट की क्षमता ग्रुप के लिए पर्याप्त नहीं होगी, जिसके चलते अडानी ग्रुप को एनालिस्ट्स ने ‘हाई की-मैन रिस्क’ की कैटेगरी में रखा है। अडानी ग्रुप कई ऐसे नए कारोबार में कदम रख रहा है, जिनमें पूंजी की जरूरत बहुत अधिक है और जिसके बारे में उसे अब तक अनुभव नहीं रहा है। रेटिंग एजेंसी के मुताबिक अडानी ग्रुप की कंपनियों में प्रमोटर का निवेश बेहद कम रहा है, जो कर्ज के भारी बोझ को कम करने के लिए बहुत जरूरी है।

अडानी ग्रुप ने 1980 के दशक में जिंस कारोबारी के रूप में काम शुरू किया। और बाद में खान, बंदरगाह और बिजली संयंत्र, हवाईअड्डा, डेटा सेंटर तथा रक्षा जैसे क्षेत्रों में कदम रखा। हाल ही में समूह ने होल्सिम की भारतीय इकाइयों का 10.5 अरब डॉलर में अधिग्रहण कर सीमेंट क्षेत्र के साथ एल्युमिना विनिर्माण में कदम रखा।

रिपोर्ट के अनुसार अडानी ग्रुप ने पिछले कुछ साल में आक्रामक विस्तार योजना अपनाई है। इससे कर्ज और नकदी प्रवाह पर दबाव पड़ा है। क्रेडिटसाइट्स ने कहा, ‘अडानी ग्रुप तेजी से नए और अलग-अलग कारोबार में कदम रख रहा है, जो अत्यधिक पूंजी गहन हैं। इससे निगरानी के स्तर पर क्रियान्वयन को लेकर जोखिम बढ़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समूह की कंपनियों में प्रवर्तक इक्विटी पूंजी डाले जाने का पक्का सबूत है लेकिन अडानी ग्रुप में पर्यावरणीय, सामाजिक और संचालन (ईएसजी) के स्तर पर कुछ जोखिम भी है।

अडानी ग्रुप की घरेलू शेयर बाजार में छह सूचीबद्ध कंपनियां हैं और इसके समूह की कुछ संस्थाओं के पास अमेरिकी डॉलर बॉन्ड को लेकर बकाया भी है। समूह की इन छह सूचीबद्ध कंपनियों के ऊपर 2021-22 में 2,309 अरब रुपये का कर्ज था। समूह के पास उपलब्ध नकदी को निकालने के बाद शुद्ध रूप से कर्ज 1,729 अरब रुपये बैठता है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सामान्य रूप से समूह मौजूदा और नई इकाइयों में आक्रामक तरीके से निवेश कर रहा है। निवेश का वित्तपोषण मुख्य रूप से कर्ज के जरिये किया जा रहा है। इससे कर्ज बढ़ने के साथ आय प्रवाह/ कर्ज अनुपात ऊंचा हुआ है’।

क्रेडिटसाइट्स ने कहा कि इससे पूरे समूह के बारे में चिंता उत्पन्न हुई है। उसने कहा कि समूह मुख्य रूप से कर्ज के आधार पर जिस तरीके से आक्रामक रूप से विस्तार कर रहा है, वह सतर्कता के साथ उस पर नजर रखे हुए हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज और टाटा समूह के बाद अडानी ग्रुप देश में तीसरा सबसे बड़ा उद्योग समूह है। इसका कुल बाजार पूंजीकरण 200 अरब डॉलर से अधिक है।

हाल के समय में अडानी ग्रुप ने तेजी से अपने मौजूदा कारोबार का विस्तार करने के साथ नये क्षेत्रों में भी कदम रखा है। रिपोर्ट में समूह के उन क्षेत्रों में विस्तार का जिक्र किया गया है, जहां उसका पहले से अनुभव या विशेषज्ञता नहीं है। इसमें तांबा रिफाइनिंग, पेट्रोरसायन, दूरसंचार और एल्युमिनियम उत्पादन शामिल हैं। यह मानते हुए कि नयी कारोबारी इकाइयां कुछ साल लाभ नहीं कमा पातीं, ऐसे में उनमें आमतौर पर ऋण को तुरंत चुकाने की क्षमता नहीं होती है।

इस रिपोर्ट के आने के बाद मंगलवार के कारोबार में अडानी समूह की सभी लिस्टेड कंपनियों के शेयर में बिकवाली का माहौल रहा। इस रिपोर्ट के चलते अडानी समूह की शेयर बाजार में लिस्टेड सात कंपनियों में से छह कंपनियों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। अडानी ग्रीन एनर्जी 3.62 फीसदी, अडानी पावर 5 फीसदी, अडानी विल्मर 3.87 फीसदी, अडानी ट्रांसमिशन 0.62 फीसदी, अडानी पोर्ट्स 0.90 फीसदी, अडानी इंटरप्राइजेज में 0.87 फीसदी की गिरावट देखी गई।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)    

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